- रिश्ता हो तो इंद्रभूति गौतम और भगवान महावीर सा
रायपुर (विश्व परिवार)। उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि ने मंगलवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि प्रभु महावीर ने जीवन में समाधान का स्रोत और समस्या का स्वरुप खोजने के लिए एक महत्वपूर्ण विज्ञान दिया है, जिसे लेश्या कहते हैं। अब तक नीच लेश्या (कृष्ण, नील और कपोत) लेश्या का वर्णन हुआ है। अब उच्च लेश्या (तेजो, पद्म और शुक्ल) लेश्या का वर्णन चल रहा है। उपाध्याय प्रवर ने कहा कि आज के समय में प्रेम क्यों नहीं टिक रहा है? प्रेम होता है, लेकिन बरक़रार क्यों नहीं रहता? लेश्या विज्ञान कहता है कि जिसकी तेजो लेश्या रहती है, उसका प्रेम अटूट रहता है। और जिसकी तेजो लेश्या नहीं रहती है, वो प्यार तो करता है, लेकिन उसका प्यार टिकता नहीं है। उक्ताशय की जानकारी रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने दी । लालगंगा पटवा भवन में निरंतर चल रही प्रवचन माला में उपाध्याय प्रवर शुभ लेश्या का वर्णन कर रहे थे। उन्होंने पूछा कि प्यार करना महत्वपूर्ण है कि प्यार का टिकना? जब प्यार नहीं टिकता है तो वेदना होती है। जब प्यार नहीं होता है तो वेदना होती है, लेकिन जब प्यार टूटता है तो भयंकर वेदना होती है। रिश्ता टूटने का दर्द बहुत भयंकर होता है। रिश्ता न हो तो आदमी जी लेता है, लेकिन अगर कोई रिश्ता टूट जाए तो वह हताश हो जाता है। उन्होंने कहा कि बिना गूढ़ता के प्रेम फलित नहीं होता है। कोई भी बीज तब फलता है जब वह मजबूती से जमता है। तूफ़ान को वही पेड़ झेल सकता है जिसकी जड़ मजबूत रहती है। रिश्ते तोड़ना कृष्ण, नील और कपोत लेश्या का चरित्र है। वो रिश्त धर्म के साथ, प्रभु के साथ या किसी व्यक्ति के साथ का हो सकता है। इनमे कोई प्रतिबद्धता नहीं रहती है।
उपाध्याय प्रवर ने कहा कि तेजो लेश्या में रिश्ता टूटता नहीं है, और नील-कृष्ण-कपोत लेश्या में रिश्ता टिकता नहीं है। रिश्ता बनेगा लेकिन टिकेगा नहीं। वहीं तेजो-पद्म-शुक्ल लेश्या में रिश्ता जन्मजन्मांतर का रहता है, मौत के बाद भी नहीं टूटता। जैसे इंद्रभूति गौतम और भगवान महावीर का रिश्ता। लेकिन आज के समय में छोटी से बात को लेकर एक दूसरे से प्यार करने वाले खार खाने लग जाते हैं। यह पीड़ादायी है, आस्था को तोड़ देता है। कृष्ण लेश्या का चरित्र है कि अगर सामने वाला मेरी बात नहीं मानता है तो मैं उससे रिश्ता तोड़ देता हूं। लेकिन तेजो लेश्या में सामने वाला मेरी बात माने या न माने, मैं उसके साथ का अपना रिश्ता कभी नहीं तोडूंगा। पांडव क्यों साथ में थे? उनकी तेजो लेश्या थी। अर्जुन, भीम धर्मराज की कई बातों से सहमत नहीं होते थे, तो क्या उन्होंने उनका साथ छोड़ दिया? अर्जुन और बाकी भाई तो कई बार सहमत हो जाते थे, लेकिन भीम तो हमेशा असहमत रहता थे। तो क्या उसने धर्मराज के साथ अपने रिश्ता तोड़ा? नहीं, क्यों कि उनकी तेजो लेश्या थी, वे भले ही असहमत थे, लेकिन उन्होंने कभी साथ नहीं छोड़ा। आप अपने रिश्तेदारों से, अपने जीवनसाथी से सहमत हो या असहमत, साथ कभी न छोड़ें। अपने अंदर तेजो लेश्य का जीवन शुरू करें। कई लोग कहते हैं कि परमात्मा ही सत्य है, बाकी सब झूठा है, संसार सत्य नहीं है, मिथ्या है। लेकिन परमात्मा महावीर ने कहा कि संसार शाश्वत है, तुम्हारे अंदर का कषाय झूठा है। दुनिया झूठी नहीं है, तुम्हारा दुनिया के प्रति नज़रिया झूठा है। तुम रहो या न रहो, दुनिया तो रहेगी । रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया कि रायपुर में 21 दिनों तक तीर्थंकर प्रभु महावीर के अंतिम वचनों की अमृत गंगा बहने वाली है। उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि की मुखारविंद से श्रावक-श्राविकाएं 24 अक्टूबर से 14 नवंबर तक प्रभु महावीर के वचनों का श्रवण करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रभु महावीर ने अपने अंतिम क्षणों में एक धर्मसभा आयोजित की, जहां 48 घंटों तक परमात्मा के वचन गूँजते रहे। रायपुर में 21 दिनों तक उत्तराध्ययन श्रुतदेव आराधना में भगवान महावीर के अंतिम वचनों का पाठ होगा। उन्होंने बताया कि यह आराधना प्रातः 7.30 से 9.30 बजे तक चलेगी। उन्होंने सकल जैन समाज को इस आराधना में शामिल होने का आग्रह किया है।