Her husband had broken her arms and legs by beating her, exercising for 6 hours, eating for 9 hours… No man could defeat Hamida, India’s first female wrestler.
साल 1944 और जगह बंबई का एक स्टेडियम, जो खचाखच भरा था. करीब 2,00,00 लोगों की भीड़ उत्साह से चीख रही थी, तालियां बजा रही थी. बस कुछ मिनट बाद एक महिला पहलवान और उस दौर के दिग्गज गूंगा पहलवान के बीच कुश्ती का मुकाबला होने वाला था. सब कुछ ठीक चल रहा था. अचानक गूंगा पहलवान ने अपना नाम वापस ले लिया. आयोजकों ने कहा गूंगा ने ऐसी शर्तें रख दीं, जिसे मानना नामुमकिन था. उन्होंने ज्यादा पैसे की डिमांड की और मुकाबले की तैयारी के लिए और वक्त मांगा.
जैसे ही मैच कैंसिल होने की घोषणा हुई, भीड़ उग्र हो गई और स्टेडियम में तोड़फोड़ शुरू कर दी. पुलिस ने किसी तरह मामले को संभाला. अगले दिन कुछ अखबारों ने छापा- ‘गूंगा पहलवान, हमीदा बानो (Hamida Banu) से डरकर पीछे हट गए…’ उस दिन गूंगा पहलवान का मुकाबला हमीदा बानो से होना था, जिन्हें भारत की पहली महिला पहलवान कहा जाता है. गूगल आज (4 मई को) Google Doodle के जरिये हमीदा बानो को याद कर रहा है.
कौन थीं हमीदा बानो?
हमीदा बानो (Hamida Banu Biography) उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में जन्मी थीं और शुरू से उनकी कुश्ती में दिलचस्पी थी. उस दौर में कुश्ती सिर्फ पुरुषों तक सीमित थी. महिलाएं तो अखाड़े में उतरने का सोच भी नहीं सकती थीं. हमीदा ने जब अपने परिवार वालों से कुश्ती लड़ने की बात कही, तो परिवार ने उन्हें खूब खरी-खोटी सुनाई. हमीदा ने बगावत कर दी और अलीगढ़ चली आईं. यहां सलाम पहलवान से कुश्ती के दांव-पेंच सीखे और फिर मुकाबले में उतरने लगीं.
महेश्वर दयाल 1987 में प्रकाशित अपनी किताब में लिखते हैं कि कुछ साल के भीतर हमीदा बानो (Hamida Banu) उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब तक मशहूर हो गईं. वह बिल्कुल पुरुष पहलवानों की तरह लड़ा करती थीं. शुरू में छोटे-मोटे मुकाबला लड़ती रहीं, लेकिन वह जो हासिल करना चाहती थीं, इन मुकाबलों से नहीं मिल सकता था.
‘जो मुझे हराएगा, उससे शादी कर लूंगी’
हमीदा बानो (Hamida Banu) साल 1954 में तब चर्चा में आईं, जब उन्होंने एक अजीब ऐलान कर दिया. बानो ने घोषणा की कि जो पुरुष पहलवान उन्हें कुश्ती में हराएगा, उससे शादी कर लेंगी. इस ऐलान के बाद तमाम पहलवानों ने उनका चैलेंज स्वीकार किया, लेकिन हमीदा (Hamida Banu) के आगे टिक नहीं पाए. पहला मुकाबला पटियाला (Patiala) के कुश्ती चैंपियन से हुआ और दूसरा कलकत्ता के चैंपियन से. हमीदा ने दोनों को धूल चटा दी.
गामा पहलवान हट गए पीछे
BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक उसी साल हमीदा बानो, वड़ोदरा (तब बड़ौदा कहा जाता था) अपने तीसरे मुकाबले के लिए पहुंचीं. शहर में जगह-जगह उनके पोस्टर और बैनर लगे थे. रिक्शा से लेकर इक्का के जरिये, उनके मुकाबले का प्रचार किया जा रहा था. हमीदा का मुकाबला छोटे गामा पहलवान से होना था, जिनका नाम ही काफी था और महाराजा बड़ौदा के संरक्षण में थे, लेकिन ऐन मौके पर छोटे गामा पहलवान यह कहते हुए मुकाबले से पीछे हट गए कि वह एक महिला से कुश्ती नहीं लड़ेंगे. इसके बाद हमीदा का मुकाबला बाबा पहलवान से हुआ.
रोज आधा किलो घी खाती थीं
बीबीसी के मुताबिक साल 1954 में जिस वक्त हमीदा बानो (Hamida Banu) बड़ौदा पहुंचीं, तब तक वह कम से कम 300 मुकाबला जीत चुकी थीं और उनका नाम ‘अमेजन ऑफ अलीगढ़’ पड़ गया था. आए दिन अखबारों में हमीदा बानो की हाइट, वेट, डाइट से जुड़ी खबरें छपती थीं. हमीदा बानो का वजन 108 किलो था और लंबाई 5 फीट 3 इंच थी. उनके डेली खानपान में 5.6 लीटर दूध, 2.8 लीटर सूप, 1.5 लीटर फ्रूट जूस, करीब 1 किलो मटन, बादाम, आधा किलो घी और दो प्लेट बिरयानी शामिल थी.
जब लोगों ने बरसाए पत्थर
रोनोजॉय सेन अपनी किताब ‘नेशन ऐट प्ले: ए हिस्ट्री ऑफ़ स्पोर्ट इन इंडिया’ में लिखते हैं कि उस दूर का समाज सामंती था और एक महिला पहलवान को अखाड़े में पुरुष पहलवान को धूल चटाते बर्दाश्त नहीं कर पाता था. इसलिए कई मौकों पर हमीदा बानो को विरोध का सामना करना पड़ा. पुणे में हमीदा और रामचंद्र सालुंके के बीच मुकाबला होना था, लेकिन रेसलिंग फेडरेशन अड़ गया और मुकाबला कैंसिल करना पड़ा. एक और मौके पर हमीदा बानो ने जब पुरुष पहलवान को धूल चटाई तो लोगों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी और पुलिस किसी तरह उन्हें सुरक्षित निकालकर ले गई.
हमीदा को कोई पुरुष नहीं हरा पाया
हमीदा बानो ने 1940 और 1950 के दशक में पुरुषों की चुनौती देते हुए कहा था कि जो मुझे दंगल में हरा देगा मैं उससे शादी कर लूंगी। पहला कुश्ती मैच जिसने हमीदा को सही मायनों में पहचान दिलाई, वह 1937 में लाहौर के फिरोज खान के साथ था। हमीदा ने उस मैच में फिरोज को चित कर दिया। खान के लिए यह आश्चर्य की बात थी कि वह महिला से कैसे हार सकते हैं।इसके बाद हमीदा काफी फेमस हो गईं। फिर उन्होंने एक सिख और कोलकाता के एक अन्य पहलवान खड़ग सिंह को हराया। इन दोनों को हमीदा से शादी करने के लिए चुनौती दी थी।
डाइट सुनकर ही पसीने छूट जाए
यूपी के मिर्जापुर में जन्मीं हमीदा बानो की डाइट ही बड़े बड़ों के पसीने छुड़ाने के लिए काफी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमीदा बानो की हाइट 5 फीट 3 इंच थी और उनका वजन 107 किलो था। कहते हैं कि वो रोजाना 6 लीटर दूध, पौने तीन किलो सूप, सवा दो लीटर फलों का जूस पीती थीं। इसके साथ ही एक मुर्गा, एक किलो मटन, 450 ग्राम मक्खन, 6 अंडे, लगभग एक किलो बादाम, 2 बड़ी रोटियां और 2 प्लेट बिरयानी खाती थीं। दिन के 24 घंटों में वह 9 घंटे सोती थीं और 6 घंटे एक्सरसाइज करती थीं और बाकी समय खाती रहती थीं।
लोगों का भ्रम किया दूर
उस समय लोगों को लगता था कि डमी पहलवान के खिलाफ उतरकर हमीदा जीत हासिल करती हैं। लेकिन जल्द ही लोगों का भ्रम दूर भी हो गया। हमीदा ने 1954 में रूस की वीरा चस्तेलिन को एक मिनट से भी कम समय में पछाड़कर सभी को चकित कर दिया। छोटे गामा नाम के मशहूर पहलवान ने आखिरी समय में हमीदा से लड़ने से मना कर दिया था। वीरा को चित करने के बाद हमीदा ने यूरोप जाकर लड़ने का फैसला किया। यहीं से उनका करियर ग्राफ नीचे की तरफ गिरने लगा।
ट्रेनर ने तोड़ दिए हाथ पैर
हमीदा बानो के ट्रेनर सलाम पहलवान नहीं चाहते थे कि वह यूरोप जाए। नाराज सलाम ने डंडे से मारकर हमीदा के पैर और हाथ तोड़ दिए थे। इसके बाद वह कुश्ती से गायब हो गईं। कहा जाता है कि बाद में दूध बेचकर अपना घर चलाती थीं।