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Who is Swapnil Kusale: पिता हैं शिक्षक तो मां सरपंच , जानिए पेरिस ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता स्वप्निल कुसाले के बारे में..

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Who is Swapnil Kusale: Father is a teacher and mother is a Sarpanch, know about Paris Olympics bronze medalist Swapnil Kusale.

नई दिल्ली। पेरिस ओलंपिक में भारतीय निशानेबाज स्वप्निल कुसाले ने भारत को तीसरा कांस्य पदक दिलाया है। 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन में भारत के शूटर स्वप्निल ने 451.4 का स्कोर करते हुये इतिहास रच दिया। इससे पहले मनु ने इंडिविजुअल और टीम इवेंट में सरबजोत सिंह के साथ मिलकर ब्राॅन्ज मेडल जीते थे। जानकारी के लिए बता दें कि निशानेबाज कुसाले ने 17 मई 2024 को भोपाल में आयोजित अंतिम चयन ट्रायल में ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था। 12 साल के लंबे इंतजार के बाद उन्होंने अपना ओलंपिक डेब्यू किया है। आईये अब जानते हैं कि आखिर कौन हैं स्वप्निल कुसाले…

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सेंट्र्ल रेलवे में कर रहे काम

निशानेबाज स्वप्निल कुसाले 2015 से सेंट्र्ल रेलवे में पदस्थ हैं। वो भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान एमएस धोनी से प्रेरित होते हैं और धोनी की तरह ही रेलवे टिकट कलेक्टर भी हैं। स्वप्निल कहते हैं कि उन्होंने धोनी की बायोपिक फिल्म को कई बार देखा है और दिग्गज क्रिकेटर की उपलब्धियों से उन्हें प्रेरणा मिलती है। वो सिर्फ धोनी को ही फाॅलो करते हैं। धोनी क्रिकेट फिल्ड में शांत रहते हैं वो भी वैसे ही निशानेबाजी प्रतियोगिता में शांत रहते हैं।

जानिए स्वन्पिल कुसाले के परिवार को

शूटर स्वप्निल कुसाले महाराष्ट्र के कोल्हापुर के कंबलवाड़ी गांव के रहने वाले हैं और किसान पृष्ठभूमि से हैं। उनका जन्म 6 अगस्त 1995 को हुआ। उनके पिता और भाई दोनों शिक्षक हैं और उनकी मां कंबलवाड़ी गांव की सरपंच हैं। बच्चपन से ही स्वप्निल की खेल में रूची रही। उनकी रूची को देखते हुये पिता ने उन्हें महाराष्ट्र् के शुरूआती लेवल के स्पोर्ट्स प्रोग्राम क्रीड़ा प्रबोधिनी में दाखिल करा दिया। इसके एक साल बाद उन्होंने शूटिंग में करियर बनाने की सोची। स्वप्निल ने कुवैत 2015 एशियाई शूटिंग चैंपियनशिप में 50 मीटर राइफल प्रोन 3 इवेंट में गोल्ड मेडल जीता था। साथ ही काहिरा में हुई वर्ल्ड चैम्पियनशिप 2022 में चौथे स्थान पर रहे थे, जिसके बाद उन्हें ओलंपिक कोटा मिला था।

दमदार वापसी के साथ स्वप्निल ने किया कमाल

फिर 10.3 स्कोर करके वह तीसरे स्थान पर पहुंचे और अंत तक बने रहे। वह नीलिंग पोजिशन के बाद छठे स्थान पर थे लेकिन प्रोन के बाद पांचवें स्थान पर आ गए। पिछले 12 साल से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल रहे कुसाले को ओलिंपिक पदार्पण के लिये 12 साल तक इंतजार करना पड़ा। धोनी की ही तरह ‘कूल’ रहने वाले कुसाले ने विश्व कप विजेता क्रिकेट कप्तान पर बनी फिल्म कई बार देखी।

पिता-भाई शिक्षक, मां हैं गांव की सरपंच

उन्होंने क्वालीफिकेशन के बाद कहा था, ‘मैं निशानेबाजी में किसी खास खिलाड़ी से मार्गदर्शन नहीं लेता। लेकिन अन्य खेलों में धोनी मेरे पसंदीदा हैं। मेरे खेल में भी शांतचित्त रहने की जरूरत है और वह भी मैदान पर हमेशा शांत रहते थे। वह भी कभी टीसी थे और मैं भी हूं।’ कुसाले 2015 से मध्य रेलवे में काम करते हैं। उनके पिता और भाई जिला स्कूल में शिक्षक हैं और मां गांव की सरपंच हैं। उन्होंने अपने प्रदर्शन पर कहा, ‘अभी तक अनुभव बहुत अच्छा रहा है। मुझे निशानेबाजी पसंद है और मुझे खुशी है कि इतने लंबे समय से कर पा रहा हूं। मनु भाकर को देखकर आत्मविश्वास आया है। वह जीत सकती है तो हम भी जीत सकते हैं।’

क्यों टिकी थी स्वप्निल पर उम्मीदें?

स्वप्निल को अंतरराष्ट्रीय मैचों का ज्यादा अनुभव नहीं है. लेकिन हर टूर्नामेंट में जहां वह फाइनल में पहुंचे, वहां उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया है. उन्होंने फाइनल में पहुंचने के बाद से कई बार टूर्नामेंट जीते हैं. ऐसे में पेरिस ओलंपिक में भी उनसे मेडल की उम्मीद की जा रही थी.
ओलंपिक क्वालिफ़ायर में कई उतार-चढ़ाव को पार करने के बाद स्वप्निल 7वें स्थान पर आए और उन्होंने फाइनल का टिकट हासिल किया था.
उस समय उनके पिता सुरेश कुसाले ने उम्मीद जताते हुए कहा था, “स्वप्निल ने इस लक्ष्य के लिए अब तक कड़ी मेहनत की है. उसका आत्मविश्वास मज़बूत है. उसकी तपस्या निश्चित रूप से रंग लाएगी.”

स्वप्निल शूटिंग के किस गेम में खेले

शूटिंग के तीन मुख्य प्रकार हैं: राइफ़ल, पिस्तौल और बन्दूक. ये इस्तेमाल की जा रही बंदूकों के आधार पर बंटी हुई है.
स्वप्निल ने 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन स्पर्धा में ओलंपिक पदक के लिए चुनौती पेश की. थ्री पोज़िशन का मतलब ये है कि निशानेबाज़ को घुटने के बल बैठकर, लेट कर (प्रोन) और खड़े रहकर निशाना लगाना होता है.
स्वप्निल के कोच विश्वजीत शिंदे का कहना है कि यह स्पर्धा, निशानेबाज़ी की दूसरी प्रतिस्पर्धाओं की तुलना में अधिक चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि तीन अलग-अलग पोज़िशन में निशाना साधना मुश्किल होता है.

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