Home Blog मिनीमाता ने संपूर्ण समाज में कन्या शिक्षा की क्रांति लाई: रत्नावली कौशल

मिनीमाता ने संपूर्ण समाज में कन्या शिक्षा की क्रांति लाई: रत्नावली कौशल

0

Minimata brought revolution in girl education in the whole society: Ratnavali Kaushal

मुंगेली जिला से हरजीत भास्कर की रिपोर्ट

Ro No - 13028/44

पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम बतौर मुख्य अतिथि पहुंची भाजपा नेत्री कौशल

मुंगेली -ममतामयी मिनीमाता जी ने समाज में नारी शिक्षा का अलख जगाया था। उनके प्रयासों के चलते ही छत्तीसगढ़ में कन्या शिक्षा को प्रोत्साहन मिला और आज बेटियां भी बेटों की तरह हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, समाज का मान बढ़ा रही हैं। अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा दिलाकर ही मिनीमाता को सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं।
उक्त उदगार भाजपा नेत्री एवं अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण छग शासन पूर्व सदस्य रत्नावली कौशल ने सतनामी समाज की आदर्श मिनीमाता की पुण्यतिथि पर मुंगेली जिले के ग्राम लीलवाकापा में मिनीमाता युवा समिति एवं समस्त ग्रामवासियों द्वारा आयोजित मिनीमाता पुण्यतिथि समारोह में मुख्य अतिथि की आसंदी से व्यक्त किए। समारोह स्थल पर पहुंचते ही रत्नावली कौशल ने सर्वप्रथम श्रद्धा और ममता की प्रतिमूर्ति मिनीमाता के तैलचित्र पर माल्यार्पण एवं पूजा अर्चना कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके बाद समाज की महिलाओं और अन्य लोगों ने मुख्य अतिथि रत्नावली कौशल व अन्य अतिथियों का स्वागत चंदन का टीका लगाकर किया। समारोह को संबोधित करते हुए भाजपा नेत्री एवं समाज सेविका रत्नावली कौशल ने कहा कि हमारे समाज में गुरु घासीदास बाबा के बाद और भी अनेक संत महात्मा और दिव्य महान आत्माओं का अवतरण हुआ है। उन्हीं में से एक श्रद्धेया मिनीमाता भी हैं। एक सामान्य किसान परिवार में जन्मी मिनीमाता के साथ एक बड़ा गौरव यह भी जुड़ा हुआ है कि वे छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला सांसद निर्वाचित होकर संसद में पहुंची थीं। यह हमारे सतनामी समाज के लिए सचमुच बड़े ही गर्व की बात है। रत्नावली कौशल ने कहा कि मिनीमाता जी संसद में सिंहनी की तरह दहाड़ती थीं। उन्होंने सदन में हमेशा छत्तीसगढ़ के उत्थान और नारी कल्याण के मुद्दे उठाने का काम किया। कन्या शिक्षा की वे प्रबल पक्षधर थीं। संसद में वे नारी शिक्षा को प्रोत्साहन देने की वकालत करती थीं। उनके प्रयासों का ही सुफल है कि आज हम बहन बेटियों को भी शिक्षा ग्रहण करने के लिए पुरुषों के बराबर अधिकार मिल पाया है। मिनीमाता जी के सदप्रयासों का ही प्रतिफल है कि आज हमारी बहन बेटियां, डॉक्टर, इंजीनियर, जज, वकील, वैज्ञानिक, आईएएस, आईपीएस आदि बनकर देश और समाज की सेवा कर रही हैं। उन्होंने समाज के लोगों से कहा कि अपने परिवार की बेटियों को ऊंची से ऊंची शिक्षा दिलाएं, उनकी परवरिश में कोई कमी न होने दें। बेटा बेटी में भेद कदापि न करें। यदि हम ऐसा करते हैं तो यह श्रद्धेया मिनीमाता के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। ऐसा करके ही हम मिनीमाता जी के सपनों को पूरा कर पाएंगे। रत्नावली कौशल ने कहा कि बेटियों को मिनीमाता की राह पर चलने की प्रेरणा दें, सामाजिक कार्यक्रमों में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करें। इसी में समाज और परिवार की भलाई निहित है। कार्यक्रम के आयोजक एवं संचालक खुमान भास्कर ने ममतामयी मिनीमाता के कार्यों को रेखांकित करते हुए उनके बताए मार्ग पर चलने का आह्वान समाज से किया।कार्यक्रम में अतिथि के रूप में सतनाम महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष विकास खांडेकर, जमहा के सरपंच नीतीश भारद्वाज, सामाजिक कार्यकर्ता एवं पूर्व विधानसभा प्रत्याशी समारु भास्कर, लीलवाकापा की सरपंच गीतेश्वरी सनत बाघ, मुंगेली के पार्षद संजय चंदेल, आयोजन समिति सदस्य एवं आईएसएसओ यूथ विंग के प्रदेश प्रवक्ता खुमान भास्कर, राजेंद्र खांडे, राजा धृतलहरे, धनीराम डाहिरे, दिनेश बघेल, गोरेलाल खांडे, दिलीप खांडे, अश्वनी धृतलहरे, पदुम बाघ, मंगतू भास्कर, हेमचंद दिवाकर, बुधारु भास्कर, रुपेश भास्कर, टिकेश माहिरे, कीर्तन माहिरे, वरिष्ठ जन कुंवरदास, आजूराम, गणेश, मंगलदास, सुखचंद कोशले, छड़ीदार रुपदास, भंडारी प्रेम भास्कर, ओमप्रकाश, शेरा, चिकी, राजकुमार, गजेंद्र डाहिरे समेत समिति सदस्य,वरिष्ठ जन व सैकड़ों संख्या में ग्रामवासी उपस्थित थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here