करन अजगल्ले
सक्ति। नवीन जिला सक्ति के मालखरौदा क्षेत्र में सूत्रों से मिली जानकारी इन दिनों अवैध रूप से एवं बिना लाइसेंस के और बिना नियमों के पालन किये बड़े बड़े पटाखा दूकान संचालित किये जा रहे हैं जिसको लेकर जिम्मेदार अधिकारी गण मौन नजर आ रहे जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा क्षेत्र में जांच नही किया जा रहा है जिससे पटाखा दुकान वाले बेधड़क धड़ल्ले से दुकान संचालित कर रहे हैं।
*दीपावली पर्व पर फटाका व्यवसायियों के लिए गाईड लाईन जारी*
अगामी दीपावली पर्व में फटाका व्यवसायियों के लिए जिला अग्निशामक अधिकारी एवं जिला सेनानी नगर सेना द्वारा आम जनता की रक्षा हेतु अग्निनिरोधक पंडाल लगाने की अपील करते हुए गाईड लाइन जारी किया गया है।
जिला अग्निशामक अधिकारी एवं जिला सेनानी नगर सेना जारी गाईड लाईन में किसी भी दशा में पंडाल 03 मीटर से कम ऊँचाई में न लगाया जाये। पंडाल बनाने में सिन्थेटिक सामग्री से बने कपडे या रसी का प्रयोग न किया जाये। पडाल के चारों तरफ 04-05 मीटर खुला स्थान होना चाहिए, जिससे लोग सुरक्षित बाहर निकल सके। पंडाल बिजली की लाईन के नीचे किसी भी दशा में न लगाया जाये। कोई भी पंडाल रेल्वे लाईन, बिजली के सब स्टेशन, चिमनी या भट्टी से कम से कम 15 मीटर दूर लगाया जाये। बाहर निकलने का गेट 05 मीटर से कम चौड़ा न हो और अगर रास्ता मेहराब दार (आर्य) बनाया जाए तो भूमि तल से मेहराब (आर्य ) की उँचाई 05 मीटर से कम नहीं होना चाहिए। बाहर निकलने के कम से कम दो रास्ते होने चाहिए। जहाँ तक संभव हो सके दोनो रास्ते एक दूसरे के विपरित दिशा में हो। बाहर निकलने के गेट समुचित संख्या में उचित तरीका से बनाये जायें ताकि किसी भी दशा में पंडाल के किसी भी स्थान से किसी व्यक्ति को बाहर निकलने हेतु 15 मीटर से अधिक दूरी न तय करनी पड़े। कुर्सियाँ दोनों किनारे से 1.2 मीटर जगह छोडकर लगाई जावे व बाहर कुर्सियों के बाद 1.5 मीटर की जगह छोड़ी जाये एवं इस के बाद पुनः 12 कुर्सियां लगाई जा सकती है। कुर्सियों को 10 कतारों के बाद 1.5 मीटर की जगह (गैन्गवे) छोड़ी जाये। कुर्सियों को कम से कम 04-04 के समूह में नीचे से बांध कर जमीन में लोहे की छड़ गाड़कर स्थिर कर दिया जाये जिससे भगदड़ के समय वह कुर्सियों अब्यवस्थित होकर बाहर निकलने के मार्गों को अवरुद्ध न कर सके। तारों के जोड़ किसी भी दशा में खुले नही होना चाहिए। जहाँ तक संभव हो पोर्सलीन कनेक्टरों का प्रयोग करना चाहिए। इमरजेंसी लाईट की व्यवस्था होनी चाहिए। विद्युत का कोई भी सर्किट, बल्ब, ट्यूब लाईट आदि पंडाल के किसी भी भाग से कम से कम 15 से.मी. दूर होना चाहिए। हैलोजन लाईट का प्रयोग किसी भी दशा में पंडाल या अस्थाई निर्माण के अंदर में नही किया जाना चाहिए। पंडाल के अन्दर किसी भी दशा में भट्ठी का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। अगर करना ही पड़े तो टीन शेड लगाकर किया जाये जो पंडाल से अलग हो। यदि हवन कुंड का प्रयोग अतिआवश्यक हो तो उस स्थल एवं आस पास जि सुरक्षा से संबंधित निर्धारित मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करेंगे। पंडाल अग्नि सुरक्षा हेतु 0.75 लीटर पानी प्रति वर्गमीटर स्थान हेतु ड्रम या बाल्टियों में सुरक्षित रखा जाये व इसका प्रयोग अग्निशमन के अतिरिक्त किसी अन्य कार्य में न किया जाये। कुल पानी की आधी मात्रा पंडाल के अन्दर व आधी पंडाल के बाहर रखी जाये। प्रत्येक 50 वर्गमीटर जगह हेतु कम से कम 02 बाल्टी पानी व प्रत्येक 100/ वर्गमीटर स्थान हेतु फायर एक्सटींग्यूसर (9 लीटर क्षमता का वाटर आईप) अग्नि सुरक्षा हेतु उपलब्ध रखा जाये। स्विच गेयर, मेन मीटर और स्टेज के पास विद्युत की आग हेतु एक कार्बन डाई आक्साईड गैस एक्सटींग्यूसर या ड्राई केमिकल पाउडर एक्सटींग्यूसर उचित मानक क्षमता के लगाये जाये। आतिशबाजी का प्रयोग पंडाल के निकट अथवा अन्दर न करें। पंडाल के अन्दर तथा भीतर धुम्रपान न करें। पंडाल में प्रयोग आने वाले कपड़ों को अग्नि निरोधक घोल से उपचारित करें। बहुत बड़े पंडाल व अस्थाई निर्माण के पूर्व अग्निशमन विभाग को सूचित कर उनसे सुझाव प्राप्त करें।
*अग्नि निरोधक घोल हेतु सामग्री बनाने का तरीका एवं उपलब्धता -*
अमोनियम सल्फेट – 4 भाग, अमोनियम कार्बाेनेट – 2 भाग, बोरैक्स – 1 भाग, बोरिक एसिड – 1 भाग, एलम- 2 भाग और पानी 35 भाग। निर्धारित अनुपात में सभी सामग्रियों को मिलाकर घोल बनाना है। घोल बनाने के बाद पंडाल के कपड़ों को उक्त घोल में भीगने हेतु छोड़ देना चाहिए। कण्डा के पूर्ण रूप से भीगने के बाद उसे सुखाकर पंडाल बनाना है। ऐसे पंडाल में आग मुश्किल से लगता है। अगर आग लग भी जाता है तो कपड़ा काफी धीरे-धीरे बिना फ्लेम का जलता है। कपड़ा सिंकुड़ जाता है। उपरोक्त सभी समान केमिकल के दूकान में 500 ग्राम के पैकेट में प्राप्त किया जा सकता है।
लेकिन इस प्रकार के नियमों का क्षेत्र के पटाखा दुकान संचालक द्वारा पालन नही किया जा रहा है अब देखना होगा कि खबर प्रकाशन के बाद जिम्मेदार अधिकारी द्वारा कोई ठोस कदम उठाया जाता है कि नहीं।