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आ गए पंखे वाले दिन! गर्मी शुरू, हो जाइए तैयार,अब पसीना छुड़ाने वाली गर्मी आ रही है मौसम का मिजाज एक बार फिर से बदल गया है।

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The days of fans have come! Summer has started, get ready, now the sweat-inducing heat is coming, the mood of the weather has changed once again.

राजधानी दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में मार्च के पहले दस दिन की गुलाबी ठंडक के बाद अब बीते दो दिनों से गर्मी बढ रही है। एक्सपर्ट के अनुसार, अब ठंड की वापसी मुश्किल है। अगले सात दिनों तक अधिकतम और न्यूनतम तापमान अधिक रहेगा। अब जल्द ही पंखे वाली गर्मी शुरू हो जाएगी। लोगों ने एसी की भी सर्विसिंग शुरू करवा दी है। इन दिनों दोपहर में तो धूप की तपिश रहती ही है, साथ में रात में भी गर्मी का अहसास होने लगा है।
मौसम में बदलाव शुरू हो गया है। दिल्ली में धीरे-धीरे पारा भी चढ़ने लगा है। ऐसे में ट्रेन के मुसाफिर रात के वक्त एसी कोच में कूलिंग प्वाइंट कम करने की मांग करने लगे हैं। वहीं, स्टेशन के प्लेटफार्म पर पंखा चलाने की मांग भी बढ़ने लगी है। लेकिन रेलवे अपने नियम से मजबूर है। रेलवे का नियम यह है कि 15 मार्च के बाद ही प्लेटफार्म पर पंखा चलाने की अनुमति है।
चिलचिलाती धूप और लू से गुरुवार को अधिकतम तापमान 37.78 डिग्री पर जा पहुंचा। हवा के गर्म थपेड़ों के चलते राह चलना मुश्किल हो गया था। दिन में आसमान में हल्के बादल छा गए लेकिन, धूप के तेवर कम नहीं हुए। हवा का रुख बदलकर पछुआ से पुरवा हो गया, जिसके चलते वातावरण में नमी बढ़ गई और उमसभरी गर्मी शुरू हो गई। लोग पसीना-पसीना हो गए। शाम होते-होते उमस चरम पर पहुंच गई। कूलर-पंखा फेल हो गया। लोग पसीना पोंछते-पोंछते बेहाल हैं। मौसम के मिजाज से पशु-पक्षी भी परेशान हैं।
स्टेशन डायरेक्टर से जब शिकायत की गई तो रूखा जवाब मिला। कहा कि रेलवे बोर्ड का नियम है कि फरवरी में पंखे नहीं चलते, जाकर बोर्ड से पूछो ऐसे नियम क्यों बनाया है। हालांकि रेलवे का तर्क है कि सभी यात्री पंखा चलाने की मांग नहीं कर रहे है। कुछ यात्रियों की मांग पर चलाया भी जाए तो अन्य यात्री एतराज करेंगे। क्योंकि हर तरह के मुसाफिर प्लेटफार्म पर आते-जाते रहते हैं। बुजुर्ग यात्रियों का भी ख्याल रखना पड़ता है। प्लेटफार्म नंबर एक पर जब कोई ट्रेन पहुंचती है तो वहां अन्य ट्रेन का इंतजार कर रहे बैठे यात्री परेशान होने लगते है। क्योंकि इस प्लेटफार्म पर हवा आने का रास्ता बंद हो जाता है।
मौसम की तल्खी से अस्त व्यस्त हुआ जीवन
पिछले चार दिनों से मौसम तल्ख होने लगा है। बदन को झुलसा देने वाली धूप से जनजीवन अस्त-व्यस्त होने लगा है। धूप इस कदर तल्ख हो रही है कि सुबह के आठ बजे के बाद घर से निकलना मुश्किल हो रहा है। पारा भी चालीस के पास चला गया है। जिस कारण लोगों की मुश्किलें बढ़ने लगी है। वैसे भी इस बार मई के महीने तक उम्मीद के अनुरूप गर्मी नहीं पड़ी थी तथा मौसम सुहाना बना हुआ था।

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