Questions raised again on Baba Ramdev, Supreme Court said – ‘Is the size of an apology as big as an advertisement’?
पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने अखबारों में प्रकाशित किए गए माफीनामे को लेकर कंपनी और बाबा रामदेव से तीखे सवाल किए। माफीनामे के छोटे आकार पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने कहा कि क्या माफीनामा भी इतना बड़ा छपा है, जितने बड़े आकार के पूरे पेज के विज्ञापन छपते हैं। कोर्ट ने उसके आदेश के एक हफ्ते बाद और सुनवाई से मात्र एक दिन पहले माफीनामा छापने पर भी सवाल खड़े किए।
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने नाराज़गी जताते हुए पूछा कि क्या यह उसी फॉन्ट में और साइज़ में प्रकाशित किया गया है, जिसमें आप हमेशा ऐड देते हैं। इस पर अधिवक्ता ने कहा कि नहीं महोदया… इसकी कीमत बहुत ज्यादा है। साथ ही उन्होंने कहा कि हमने विज्ञापन नहीं माफीनामा छपवाया है।
सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश होने से कुछ घंटे पहले, पतंजलि ने अखबारों में सार्वजनिक माफीनामा प्रकाशित किया। “पतंजलि आयुर्वेद माननीय सर्वोच्च न्यायालय की गरिमा का पूरा सम्मान करता है। हमारे अधिवक्ताओं द्वारा शीर्ष अदालत में बयान देने के बाद भी विज्ञापन प्रकाशित करने और प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने की गलती के लिए हम ईमानदारी से माफी मांगते हैं। हम ऐसी गलती नहीं होने देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” भविष्य में भी दोहराया जाएगा। हम आपको आश्वस्त करते हैं कि हम संविधान और माननीय सर्वोच्च न्यायालय की गरिमा को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे।”
क्या है मामला?
पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित किए थे, जिसे लेकर कोर्ट ने कंपनी को मानहानि का नोटिस जारी किया था। हालांकि, पतंजलि ने इस नोटिस का जवाब नहीं दिया, जिसके बाद कोर्ट ने कंपनी के संस्थापक बाबा रामदेव और प्रबंधक निदेशक (MD) आचार्य बालकृष्ण को तलब किया। पिछली सुनवाइयों में कोर्ट ने इन दोनों के माफीनामे खारिज कर दिए और अखबारों में माफीनामा प्रकाशित करने को कहा। पतंजलि ने सोमवार को माफीनामा प्रकाशित किया।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) से भी सवाल किए और कहा कि उसके एलोपैथिक डॉक्टर भी अपने पद का दुरुपयोग करके महंगी और बाहरी दवाओं की सिफारिश करते हैं।कोर्ट ने कहा कि यह केवल एक कंपनी का सवाल नहीं है, बल्कि कई कंपनियां भ्रामक विज्ञापक प्रकाशित कर जनता को धोखा दे रही हैं। उसने कहा कि इससे शिशुओं, बच्चों और बुजुर्गों का स्वास्थ्य प्रभावित होता है और केंद्र सरकार बताए कि ऐसा क्यों हो रहा है।
2 बार माफीनामे खारिज कर चुका है कोर्ट
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट मामले में 2 बार बाबा रामदेव और पतंजलि के माफीनामे खारिज कर चुका है। कोर्ट ने कहा था कि ये माफी महज दिखावटी है और उन्होंने कोर्ट के आदेश की जानबूझकर अवज्ञा की। कोर्ट ने माफीनामे के साथ दस्तावेज संलग्न न करने पर भी सवाल उठाए थे और जालसाजी का केस चलाने की चेतावनी दी थी। कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार ने मामले में आंखें मूंद रखी थीं।