PM Modi said at the inauguration of the new campus, ‘The heritage of many countries is connected to Nalanda’, CM Nitish was also present with him
लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद आज नरेंद्र मोदी आज एक बार फिर से बिहार पहुंचे। बिहार पहुंचने के बाद वह सीधे गया एयरपोर्ट से हेलीकॉप्टर के जरिए नालंदा यूनिवर्सिटी पहुंचे। यहां उन्होंने नालंदा यूनिवर्सिटी के नए कैंपस का उद्घाटन किया।
पीएम मोदी ने नालंदा यूनिवर्सिटी के नए कैंपस का किया उद्घाटन
पीएम नरेंद्र मोदी ने नालंदा यूनिवर्सिटी के नए कैंपस का उद्घाटन कर दिया है। इस दौरान उनके साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी दिखे। पीएम मोदी ने इस दौरान पौधारोपण भी किया।
पटना सर्किल हेड गौतमी भट्टाचार्या बनीं पीएम मोदी की गाइड
पीएम नरेंद्र मोदी ने विश्व धरोहर की सूची में शामिल प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष के बार में भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण की पटना सर्किल हेड गौतमी भट्टाचार्या से जानकारी प्राप्त की।
पीएम ने प्राचीन नालंदा विव का किया मुआयना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों को देखा। इस दौरान वह बारिकी से हर चीज की जानकारी ले रहे थे। इस दौरान उनकी गाइड पटना सर्किल हेड गौतमी भट्टाचार्या बनीं।
नालंदा यूनिवर्सिटी पहुंचे पीएम मोदी
पीएम नरेंद्र मोदी नालंदा यूनिवर्सिटी पहुंच गए हैं। वह यहां के पुराने धरोहरों का मुआयना कर रहे हैं। पीएम मोदी का यूनिवर्सिटी में घूमते वीडियो भी सामने आया है।
पीएम मोदी गया एयरपोर्ट से नालंदा के लिए रवाना
गया एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आगमन हुआ, यहां पर केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी, बिहार सरकार की ओर से सहकारिता मंत्री डॉ प्रेम कुमार, लघु सिंचाई मंत्री संतोष सुमन, विधायक एवं एनडीए के घटक दल के पदाधिकारी ने स्वागत किया। सभी लोगों से मिलने के उपरांत प्रधानमंत्री हेलीकॉप्टर से नालंदा के लिए रवाना हो गए।
विदेश मंत्री एस जयशंकर गया एयरपोर्ट से नालंदा के लिए रवाना
गया एयरपोर्ट पर विदेश मंत्री एस जयशंकर पहुंचे, जहां मगध प्रमंडल के आयुक्त मयंक बरबड़े एवं जिला पदाधिकारी डॉक्टर त्याग राजन एस एम ने उनका स्वागत किया। उसके बाद विदेश मंत्री के साथ 16 सदस्यीय शिष्टमंडल सड़क मार्ग से नालंदा के लिए रवाना हो गए।
नालंदा विश्वविद्यालय का प्राचीन इतिहास
मूल रूप से पांचवीं शताब्दी में स्थापित नालंदा विश्वविद्यालय, दुनिया भर के छात्रों को आकर्षित करने वाला एक प्रसिद्ध संस्थान था। यह 12वीं शताब्दी में नष्ट होने तक 800 वर्षों तक फलता-फूलता रहा। आधुनिक विश्वविद्यालय ने 2014 में 14 छात्रों के साथ एक अस्थायी स्थान से परिचालन शुरू किया। नए परिसर का निर्माण 2017 में शुरू हुआ।
नालंदा विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय छात्रों का केंद्र है
नालंदा विश्वविद्यालय को ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, चीन, इंडोनेशिया और थाईलैंड सहित 17 अन्य देशों का समर्थन प्राप्त है, जिन्होंने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। विश्वविद्यालय अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को 137 छात्रवृत्तियां प्रदान करता है। 2022-24 और 2023-25 के लिए स्नातकोत्तर कार्यक्रमों और 2023-27 के पीएचडी कार्यक्रम में नामांकित अंतर्राष्ट्रीय छात्रों में अर्जेंटीना, बांग्लादेश, कंबोडिया, घाना, केन्या, नेपाल, नाइजीरिया, श्रीलंका, अमेरिका और जिम्बाब्वे के छात्र शामिल हैं।
40 क्लासरूम, 1900 बच्चों के बैठने की व्यवस्था
नालंदा यूनिवर्सिटी में दो अकेडमिक ब्लॉक हैं, जिनमें 40 क्लासरूम हैं. यहां पर कुल 1900 बच्चों के बैठने की व्यवस्था है. यूनिवर्सिटी में दो ऑडिटोरयम भी हैं जिसमें 300 सीटे हैं. इसके अलावा इंटरनेशनल सेंटर और एम्फीथिएटर भी बनाया गया है, जहां 2 हजार लोगों के बैठने की क्षमता है. यही नहीं, छात्रों के लिए फैकल्टी क्लब और स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स सहित कई अन्य सुविधाए भी हैं.नालंदा यूनिवर्सिटी का कैंपस ‘NET ZERO’ कैंपस हैं, इसका मतलब है कि यहां पर्यावरण अनुकूल के एक्टिविटी और शिक्षा होती है. कैंपस में पानी को रि-साइकल करने के लिए प्लांट लगाया गया है, 100 एकड़ की वॉटर बॉडीज के साथ-साथ कई सुविधाएं पर्यावरण के अनुकूल हैं.
12वीं शताब्दी में आक्रमणकारियों ने किया नष्ट
नालंदा यूनिवर्सिटी का इतिहास काफी पुराना है. लगभग 1600 साल पहले नालंदा यूनिवर्सिटी की स्थापना पांचवी सदी में हुई थी. जब देश में नालंदा यूनिवर्सिटी बनाई गई तो दुनियाभर के छात्रों के लिए यह आर्कषण का केंद्र था. विशेषज्ञों के मुताबिक 12वीं शताब्दी में आक्रमणकारियों ने इस विश्वविद्यालयों को नष्ट कर दिया था. इससे पहले करीबन 800 सालों तक इन प्राचीन विद्यालय ने ना जाने कितने छात्रों को शिक्षा दी है.
ह्वेनसांग ने भी नालंदा से ली शिक्षा
नालंदा विश्वविद्यालय की नींव गुप्त राजवंश के कुमार गुप्त प्रथम ने रखी थी. पांचवीं सदी में बने प्राचीन विश्वविद्यालय में करीब 10 हजार छात्र पढ़ते थे, जिनके लिए 1500 अध्यापक हुआ करते थे. छात्रों में अधिकांश एशियाई देशों चीन, कोरिया और जापान से आने वाले बौद्ध भिक्षु होते थे. इतिहासकारों के मुताबिक, चीनी भिक्षु ह्वेनसांग ने भी सातवीं सदी में नालंदा में शिक्षा ग्रहण की थी. उन्होंने अपनी किताबों में नालंदा विश्वविद्यालय की भव्यता का जिक्र किया है. यह बौद्धों के दो सबसे अहम केंद्रों में से एक था.