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छत्‍तीसगढ़ में 33 हजार से ज्‍यादा लोग हैं इस रोग से ग्रसित, जानिये…क्‍या है सिकलसेल और इसके क्‍या हैं लक्षण आज है विश्‍व सिकलसेल दिवस

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More than 33 thousand people in Chhattisgarh are suffering from this disease, know… what is sickle cell and what are its symptoms, today is World Sickle Cell Day

रायपुर। सिकलसेल की बीमारी गंभीर समस्‍या है। राज्‍य में इसके 33 हजार से ज्‍यादा मरीज हैं। आज विश्‍व सिकलसेल दिवस के मौके पर प्रदेश में जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि विश्व सिकलसेल दिवस पर लोगों को जगाना है और छत्तीसगढ़ से सिकलसेल एनीमिया को भगाना है। प्रदेश के 33 जिलों के 33 हजार हितग्राहियों को सिकलसेल के लिए चिन्हित किया गया है। प्रदेश के एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों, छात्रावास-आश्रमों तथा आवासीय विद्यालयों में भी सिकलसेल स्क्रीनिंग एवं जागरूकता शिविरों का आज आयोजन किया जा रहा है।

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विश्व सिकलसेल दिवस के अवसर पर 19 जून को राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर पर जागरूकता शिविरों और सिकलसेल परीक्षण का आयोजन स्वास्थ्य केन्द्रों में किया जाएगा। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने विभागीय अमले को प्रदेश में सिकलसेल उन्मूलन के लिए व्यापक रूप से स्क्रीनिंग एवं जागरूकता शिविरों का आयोजन करने के निर्देश दिए हैं। आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग एवं अन्य संबंधित विभागों द्वारा कार्ययोजना बनाकर सभी जिलों में सिकलसेल की स्क्रीनिंग एवं जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ और पिछड़े आदिवासी क्षेत्रों में सिकलसेल बीमारी की अधिक से अधिक जागरूकता की आवश्यकता है, ताकि इस बीमारी का उन्मूलन किया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने वर्ष 2024 तक विकसित भारत का संकल्प लिया है। इस कड़ी में सिकलसेल उन्मूलन मिशन का आगाज 2023 में किया गया है और इसके उन्मूलन का कार्य 2047 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा है।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरगामी सोच के अनुरूप छत्तीसगढ़ राज्य में शासन-प्रशासन, जनप्रतिनिधि, पंचायत, ग्राम सभा, सभी समुदाय के लोग, स्थानीय निकाय, एनजीओ, चिकित्सक, नर्स, पैरामेडिकल स्टॉफ, शिक्षक सहित सभी के सहयोग से इस लक्ष्य को 2047 से पहले ही प्राप्त करने प्रयास किया जाएगा। इस दिशा में तेजी से स्क्रीनिंग का कार्य और स्क्रीनिंग पश्चात् जिन लोगों को इस रोग के उपचार की आवश्यकता हो, उन्हें दवा, उपचार, परामर्श और सतत सहयोग देने के लिए राज्य शासन दृढ़ संकल्पित है।

जानिये…क्‍या है सिकलसेल की बीमारी

ज्ञातव्य है कि सिकलसेल एक आनुवांशिक रोग है। इसमें मानव रक्त में उपस्थित गोलाकार लाल रक्त कण (हीमोग्लोबिन) हंसिये के रूप में परिवर्तित होकर नुकीले और कड़े हो जाते हैं जिसके कारण शरीर की सभी कोशिकाओं तक पर्याप्त मात्रा मे ऑक्सीजन पंहुचने का काम बाधित होता है। ये रक्त कण शरीर की छोटी रक्त वाहिनी (शिराओं) में फसकर लिवर, तिल्ली, किडनी, मस्तिष्क आदि अंगों के रक्त प्रवाह को बाधित कर देते हैं। इसलिए समय पर इसका ईलाज बहुत जरूरी है। इस बीमारी की रोकथाम हेतु आम जनता को जागरुक करने एवं उपचार हेतु प्रतिवर्ष 19 जून को विश्व सिकलसेल दिवस मनाया जाता है। आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा भी इसके सफल आयोजन हेतु व्यापक तैयारियां की गई हैं। प्रदेश में इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से व्यापक रूप से स्क्रीनिंग एवं जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जा रहा है।

2047 तक देश से सिकल सेल को समाप्त का लक्ष्‍य

केंद्र सरकार ने वर्ष-2047 तक देश से सिकल सेल को समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। एक जुलाई 2023 से सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन प्रारंभ किया गया है। इसके तहत प्रदेश के समस्त 0-40 वर्ष के लोगों की सिकल सेल स्क्रीनिंग जांच कर सिकल सेल कार्ड प्रदान किया जाना है।

राज्य में अब तक 1.11 करोड़ व्यक्तियों की स्क्रीनिंग हो चुकी है। इसमें करीब 2.9 लाख सिकल सेल वाहक तथा 22,672 मरीजों की पहचान हुई है। डाक्टरों का कहना है कि सिकल सेल वाहक का मतलब है कि आप उन जीनों में से एक को धारण करते हैं जो सिकल सेल रोग का कारण बनते हैं। लेकिन, स्वयं सिकल सेल से पीड़ित नहीं हैं। इसे सिकल सेल विशेषता के रूप में भी जाना जाता है।

सिकल सेल कुंडली का करें मिलान

विवाह के दौरान दूल्हा-दुल्हन सिकल सेल के मरीज न हों, न ही वाहक हों। इसके लिए पंडितों को भी पहल करनी चाहिए। कुंडली के साथ-साथ सिकल सेल कुंडली का भी मिलान करना चाहिए। इससे गंभीर बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है। जागरुकता में कमी के चलते यह बीमारी बढ़ रही है। सिकल सेल पीड़ित असहनीय पीड़ा से गुजरते हैं। ऐसे में जरूरी है कि सही समय पर स्क्रीनिंग हो, बीमारी की पहचान हो ताकि तत्काल इलाज शुरू हो सके।

सिकल सेल संस्थान बनेगा सेंटर आफ एक्सीलेंस

सिकलसेल संस्थान को 48 करोड़ की लागत से सेंटर आफ एक्सीलेंस बनाया जाना है। भविष्य में यहां बोन मैरो ट्रांसप्लांट की योजना है। जेल रोड स्थित सिकल सेल संस्थान को तोड़कर पांच मंजिला नई बिल्डिंग बनाई जा रही है। बताया जाता है कि पहली बिल्डिंग में ओपीडी और अन्य चेंबर होंगे।
पैथोलाजी लैब को-आर्डिनेटर रूम, डाक्टर चेंबर, मेडिसिन स्टोर, बैक साइड लाबी तथा दूसरे बिल्डिंग में रिसर्च सेंटर होगा। तीसरे फ्लोर में कांफ्रेस रूम, आडिटोरियम, वीडियो कांफ्रेंसिंग रूम, चौथे फ्लोर में रिहेबिलेशन सेंटर और पांचवें में शिक्षण ब्लाक होगा। इसके साथ ही संस्थान के पीछे के हिस्से में दो और बिल्डिंग बनाने की योजना है। इसमें स्टाफ क्वार्टर होंगे। इसमें 30 बेड की आइपीडी और प्रशिक्षण की सुविधा भी रहेगी।
स्वास्थ्य विभाग के राज्य कार्यक्रम अधिकारी डा. निधि ग्वालरे ने कहा, प्रदेश में सिकल सेल बीमारी की पहचान के लिए लगातार स्क्रीनिंग की जा रही है। राज्य के 33 जिलों में एक करोड़ 77 लाख 69 हजार 535 सिकल सेल स्क्रीनिंग का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें से एक करोड़ 11 लाख छह हजार 561 स्क्रीनिंग हो चुकी है। इसमें एक करोड़ छह लाख 24 हजार 245 स्क्रीनिंग निगेटिव पाई गई है।

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