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‘ रणबीर कपूर-नीतेश तिवारी की फिल्म पर रामानंद सागर के पोते की नसीहत, ‘रामायण को इस तरह न बनाएं, किसी का कॉपीराइट…

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‘ Ramanand Sagar’s grandson’s advice on Ranbir Kapoor-Nitesh Tiwari’s film, ‘Do not make Ramayana like this, it is someone’s copyright…

मुंबई. नीतेश तिवारी के डायरेक्शन में बन रही ‘रामायण’ एक मच अवेटेड फिल्म है. फिल्म में रणबीर कपूर राम का जबकि साई पल्लवी सीता का किरदार निभा रही हैं. हाल में फिल्म के सेट कई तस्वीरें और वीडियो ली हुई हैं, जिससे पता चला कि इसमें लारा दत्ता, अरुण गोविल जैसे प्रतिभाशाली और बड़े कलाकार हैं. फैंस फिल्म को लेकर एक्साइटेड हैं. वहीं, रामानंद सागर के पोते अमृत सागर ने भी आने वाली फिल्म पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. रामानंद सागर की ‘रामायण’ में अरुण गोविल ने भगवान राम की भूमिका निभाई थी और इसे रामायण पर आधारित शो को बेंचमार्क माना जाता है.
रामानंद सागर के पोते अमृत सागर ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अमृत सागर ने नितेश तिवारी की रामायण पर अपनी प्रतिक्रिया दी और सभी से इस महाकाव्य पर ईमानदारी से फिल्में और शो बनाने की अपील की है. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा,“मुझे लगता है कि रामायण सभी को बनानी चाहिए, क्यों नहीं? रामायण पर किसी का कॉपीराइट नहीं है.”

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अमृत सागर की मेकर्स को नसीहत!

अमृत सागर ने कहा, “मेरा बस इतना ही कहना है कि इसे ईमानदारी से बनाइए. रामायण को इस तरह बनाने की कोशिश न करें कि अब मैं इस व्यक्ति के नज़रिए से रामायण बनाऊंगा, या उस व्यक्ति के नज़रिए से. रामायण वह नहीं है. यह राम की कहानी है, इसलिए इसका नाम रामायण है.”

अमृत सागर का रामलीला पर कमेंट

अमृत सागर ने आगे कहा,“इस देश में सदियों से रामलीलाएं होती आ रही हैं. और वे पूरी तरह से कहानी का फॉलो करती हैं.” बता दें, रामानंद सागर की ‘रामायण’ दूरदर्शन पर 1987 में प्रसारित हुआ. लॉकडाउन के बीच ‘रामायण’ का दोबारा से दूरदर्शन पर प्रसारण हुआ.

कहानी नहीं, लोगों के जीवन का अंग है रामायण

अमृत ने इंडियन एक्सप्रेस के साथ बात करते हुए पिछले साल आई, प्रभास की फिल्म ‘आदिपुरुष’ की आलोचना की, जो रामायण पर आधारित थी. खराब डायलॉग और बुरे विजुअल इफेक्ट्स के लिए ‘आदिपुरुष’ की बहुत आलोचना हुई थी. इस बारे में अमृत सागर ने कहा कि रामायण बनाते हुए हर किसी को ये बात याद रखनी चाहिए कि ‘उन्हें कहानी को आखिरी शब्द तक एकदम सटीक रखना होगा.’

उन्होंने आगे कहा, ‘क्योंकि ये एक कहानी नहीं है. ये लोगों के जीवन का हिस्सा है. शहरों और मेट्रोज में रहते हुए हम ये भूल गए हैं कि भारत में एक बड़ा तबका है जो हर रोज इसका टेक्स्ट पढ़ता है. उन्हें इस टेक्स्ट का एक-एक शब्द याद है. तो हमारे लिए किसी ऐसी चीज को बदलना जो युगों पहले लिखी गई है और ग्रन्थ के रूप में स्वीकार की जा चुकी है… ऐसा है जैसे बाइबिल में बदलाव करना. टेक्स्ट जैसा है, उसे वैसा ही फॉलो कीजिए और उसके दायरे में अपना काम ईमानदारी से कीजिए.’

सभी को है रामायण बनाने का अधिकार

जब अमृत से नितेश तिवारी की ‘रामायण’ फिल्म के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि रामायण बनाने का अधिकार सभी को है बस उन्हें ये काम ईमानदारी से करना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि हर किसी को रामायण बनानी चाहिए. क्यों नहीं? इसपर किसी का कॉपीराइट नहीं है. मेरी बस एक सलाह है कि इसे ईमानदारी से बनाएं. रामायण को इस तरह न बनाएं कि ‘अब मैं इस व्यक्ति के या उस व्यक्ति के पर्सपेक्टिव से रामायण बनाऊंगा. रामायण ये नहीं है. ये राम के पर्सपेक्टिव से है इसीलिए इसका नाम रामायण है.’
अमृत ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि इस देश में सदियों से रामलीलाएं हो रही हैं और वो पूरी तरह से कहानी को फॉलो करते हैं.

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