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Cyber Fraud: आईफोन के लिए ऐप बनाने का लालच देकर डकारे एक करोड़, इंदौर में एपल के सीईओ टिम कुक के नाम पर ठगी,

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Cyber ​​Fraud: One crore rupees were swindled by luring to make an app for iPhone, fraud in the name of Apple CEO Tim Cook in Indore,

इंदौर। इंदौर में साइबर ठगों (Cyber ​​Fraud in Indore) ने एपल के सीईओ टिम कुक को भी नहीं छोड़ा है। मध्य प्रदेश साइबर सेल ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर मयंक सलूजा को गिरफ्तार किया है, जिसने कुक के नाम पर लाखों की ठगी कर दी।
आरोप है कि सलूजा ने ऑस्ट्रेलियन नागरिक पॉल शेफर्ड से एक करोड़ रुपये की ठगी की है। आरोपी ने अकाउंट्स सॉफ्टवेयर और ऐपल कंपनी के गैजेट्स की विशेष एप्लीकेशन बनाने का झांसा देकर शेफर्ड से राशि ऐंठी थी।

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वीडियो कॉलिंग ऐप बनाने के नाम पर ठगी

पुलिस की मानें तो उसने वेबसाइट की होस्टिंग भी जब्त कर ली है। एसपी (साइबर) जितेंद्र सिंह के मुताबिक, विक्टोरिया राज्य में रहने वाले पॉल शेफर्ड पेशे से अकाउंटेंट हैं। ग्रीन पार्क कॉलोनी निवासी मयंक सलूजा से वीडियो कॉलिंग एवं कॉन्फ्रेंसिंग वेब ऐप बनाने के संबंध में चर्चा हुई थी।
मयंक ने स्काईप ऐप के माध्यम से कहा कि उसके द्वारा तैयार एप विंडोज पर ही चल रहा है। उसने ऐपल के वेब ब्राउजर (सफारी) आईफोन, आईपैड, मैकबुक के लिए विशेष एप्लीकेशन बनाने का झांसा दिया।

डॉलर में लिए पैसे, कुक के जाली साइन कर दिया कॉन्ट्रैक्ट

मयंक ने शेफर्ड से कई लाख रुपये लिए और कहा कि कोड लेने के लिए ऐपल कंपनी के साथ पार्टनरशिप जरूरी है। टुकड़ों में ऑस्ट्रेलियन डॉलर में राशि लेकर उसने ऐपल कंपनी के सीईओ टिम कुक के जाली हस्ताक्षर कर कॉन्ट्रैक्ट भी मेल कर दिया।
चार साल बाद भी ऐप तैयार न करने पर शेफर्ड ने दोस्त रूपेश शर्मा के माध्यम से अन्नपूर्णा पुलिस को शिकायत की। पुलिस द्वारा कार्रवाई न करने पर साइबर सेल को आवेदन भेजा। टीआई दिनेश वर्मा ने वीडियो कॉल के माध्यम से शेफर्ड के कथन लिए और मयंक के विरुद्ध केस दर्ज कर लिया।

पार्टनरशिप का फर्जी अनुबंध भी तैयार किया

टीआई के मुताबिक, शेफर्ड ने वेबसाइट का डोमेन स्वयं खरीदा था। आरोपित ने काम करने का झांसा देकर होस्टिंग ट्रांसफर करवा ली। पुलिस ने कोर्ट से अनुमति लेकर वेबसाइट की होस्टिंग कब्जे में ले ली।
स्काईप और ऐपल कंपनी को भी पत्र लिखा गया है। मयंक ने टिम कुक के नाम से एप्पल कंपनी के शेयर खरीदने और पार्टनरशिप करने का फर्जी अनुबंध भी तैयार किया था।

ऑस्ट्रेलियन डॉलर में राशि ली थी

शेफर्ड से लाखों रुपये लिए और कहा कि कोड लेने के लिए ऐपल कंपनी के साथ पार्टनरशिप जरूरी है। टुकड़ों में ऑस्ट्रेलियन डॉलर में राशि ली और ऐपल कंपनी के सीईओ टिम कुक के जाली हस्ताक्षर कर कॉन्ट्रैक्ट भी मेल कर दिया।
चार साल बाद भी एप तैयार न करने पर शेफर्ड ने दोस्त रूपेश शर्मा के माध्यम से अन्नपूर्णा पुलिस को शिकायत की। पुलिस द्वारा कार्रवाई न करने पर साइबर सेल को आवेदन भेजा। टीआई दिनेश वर्मा ने वीडियो कॉल के माध्यम से शेफर्ड के कथन लिए और मयंक के विरुद्ध केस दर्ज कर लिया।

आरोपित ने पार्टनरशिप का फर्जी अनुबंध भी तैयार किया था

टीआई के मुताबिक, शेफर्ड ने वेबसाइट का डोमेन स्वयं खरीदा था। आरोपित ने काम करने का झांसा देकर होस्टिंग ट्रांसफर करवा ली। पुलिस ने कोर्ट से अनुमति लेकर वेबसाइट की होस्टिंग कब्जे में ले ली। स्काईप और ऐपल कंपनी को भी पत्र लिखा गया है। मयंक ने टिम कुक के नाम से एप्पल कंपनी के शेयर खरीदने और पार्टनरशिप करने का फर्जी अनुबंध भी तैयार किया था।

ठगी का तरीका

आरोपी, मयंक शर्मा, ने खुद को एक कुशल सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में पेश किया और ऑस्ट्रेलियाई नागरिक, मार्क शेफर्ड से संपर्क किया। उसने शेफर्ड को Apple कंपनी के उत्पादों के लिए सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट करने में अपनी विशेषज्ञता का झूठा दावा किया। मयंक ने शेफर्ड को विश्वास दिलाया कि वह Apple के साथ सीधे पार्टनरशिप में काम करता है और उसे कंपनी के CEO टिम कुक का भी समर्थन प्राप्त है।
विश्वास हासिल करने के बाद, मयंक ने शेफर्ड से 1 करोड़ रुपये की रकम हासिल कर ली, जो कि कथित तौर पर Apple के साथ पार्टनरशिप शुल्क के रूप में थी।
पैसे हड़पने के बाद, मयंक ने शेफर्ड को Apple के CEO टिम कुक के फर्जी हस्ताक्षर वाला एक कॉन्ट्रैक्ट का ई-मेल भी भेजा, ताकि उसे धोखाधड़ी का एहसास न हो।

शेफर्ड को धोखाधड़ी का एहसास हुआ जब

उसे Apple से कोई संपर्क नहीं हुआ।
मयंक ने उसे टालना शुरू कर दिया।

फर्जी कॉन्ट्रैक्ट की जांच करने पर, शेफर्ड को पता चला कि यह जालसाजी का एक हिस्सा था।
शेफर्ड ने तुरंत मध्य प्रदेश साइबर सेल से संपर्क किया, जिसके बाद मयंक शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया।
इस घटना से साफ हो जाता है कि कैसे साइबर अपराधी लोगों को धोखा देने के लिए नई-नई तरकीबें अपना रहे हैं। लोगों को सलाह दी जाती है कि वे ऑनलाइन लेनदेन करते समय सावधानी बरतें और किसी भी अनजान व्यक्ति या कंपनी को पैसे न दें, खासकर यदि वे भारी रकम की मांग कर रहे हों।

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