Madras High Court: Lawyer reached the High Court to get permission, the court said about running a brothel- ‘Check where did you get your degree from’
नई दिल्ली। मद्रास हाईकोर्ट में बीते दिन एक अजीब याचिका लगाई गई। एक वकील ने वेश्यालय केंद्र (Brothel) चलाने के लिए सुरक्षा मांगते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वकील की इस याचिका पर जज को काफी गुस्सा आया और उन्होंने जुर्माना लगाते हुए उससे डिग्री दिखाने को कहा।
कोर्ट से मांगी सुरक्षा
दरअसल, कन्याकुमारी के नागरकोइल में वेश्यालय चला रहे इस वकील पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। अब इसी एफआईआर को रद्द कराने के लिए याचिकाकर्ता कोर्ट पहुंचा और उसने जज से वेश्यालय चलाने के लिए सुरक्षा की मांग की।
10 हजार रुपये का लगाया जुर्माना
वकील की मांग सुनते ही जस्टिस बी पुगलेंधी की पीठ ने याचिका खारिज कर दी और वकील पर काफी गुस्सा जताया। पीठ ने इसी के साथ याचिकाकर्ता वकील पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
कोर्ट ने बार काउंसिल को दी हिदायत
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने इसी के साथ राज्य बार काउंसिल से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि सदस्यों को केवल प्रतिष्ठित संस्थानों से ही नामांकित किया जाए और आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और अन्य राज्यों के गैर-प्रतिष्ठित संस्थानों से नामांकन को प्रतिबंधित किया जाए।
न्यायमूर्ति बी पुगलेंधी ने कहा कि यह सही समय है जब बार काउंसिल को यह एहसास होना चाहिए।
जानें क्या है पूरा मामला?
दरअसल, याचिकाकर्ता वकील ने अपनी याचिका में कन्याकुमार जिले के नागरकोईल में वेश्यालय चलाने के लिए हाईकोर्ट से सुरक्षा की मांग की थी। वकील ही एक ट्रस्ट के माध्यम से वेश्यालय चला रहा था और पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। मद्रास हाईकोर्ट के मदुरै पीठ के न्यायाधीश बी पुगलेंधी इस याचिका पर गुस्सा गए। उन्होने तमिलनाडु और पुडुचेरी की बार काउंसिल को याचिकाकर्ता वकील के बार काउंसिल में निबंधन और उसकी लॉ समेत अन्य शैक्षणिक डिग्री की वास्तविकता और प्रमाणिका का पता लगाने का निर्देश दे दिया। पांच जुलाई को पारित आदेश में न्यायाधीश बी पुगलेंधी ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि बार काउंसिल समाज में वकीलों की प्रतिष्ठा में आ रही गिरावट पर ध्यान दें। साथ ही न्यायाधीश ने यह भी कहा कि प्रतिष्ठित कॉलेजों के सद्स्यों को ही नामांकित करना चाहिए।
‘गैर-प्रतिष्ठित संस्थानों से नामांकन पर लगे बैन’
मद्रास हाई कोर्ट ने वकील पर 10,000 रूपये का जुर्माना लगाते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी. लाइव लॉ के मुताबिक पीठ ने कहा, ”अब समय आ गया है कि बार काउंसिल को यह महसूस करना होगा कि समाज में वकीलों की प्रतिष्ठा कम हो रही है. कम से कम इसके बाद बार काउंसिल यह सुनिश्चित करेगी कि सदस्यों का नामांकन केवल प्रतिष्ठित संस्थानों से ही हो और आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और अन्य राज्यों के गैर-प्रतिष्ठित संस्थानों से नामांकन प्रतिबंधित हो.”
अधिवक्ता राजा मुरूगन की ओर से दायर दो याचिकाओं पर कोर्ट सुनवाई कर रही थी. इनमें उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने और अपने व्यवसायिक गतिविधियों में पुलिस के हस्तक्षेप को रोकने के लिए आदेश जारी करने की मांग की थी.
वेश्यालय चलाने की मांग करने पहुंचा हाई कोर्ट
मुरूगन ने अदालत के सामने खुलासा किया कि वह एक ट्रस्ट चलाता है, जो वयस्कों के बीच सहमति से यौन संबंध, परामर्श और 18 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए चिकित्सीय तेल स्नान जैसी सेवाएं प्रदान करता है.
याचिकाओं पर जवाब देते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि मुरूगन ने बुद्धदेव मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत समझा है. हाई कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बुद्धदेव मामले को तस्करी को रोकने और यौनकर्मियों के पुनर्वास को सुनिश्चित करने के लिए संबोधित किया था. इसके विपरीत, मुरूगन ने एक नाबालिग लड़की का शोषण किया और उसकी गरीबी का फायदा उठाया.
हाई कोर्ट ने कानून की डिग्री जांचने के दिए आदेश
याचिका से नाराज होकर अदालत ने यह भी मांग की कि मुरूगन अपनी कानूनी शिक्षा और बार एसोसिएशन की सदस्यता को सत्यापित करने के लिए अपना नामांकन पत्र और कानून की डिग्री प्रस्तुत करे.
अतिरिक्त लोक अभियोजक (एपीपी) ने अदालत को बताया कि “मुरूगन बी-टेक स्नातक है और उसके पास नामांकन संख्या के साथ बार काउंसिल की पहचान है. हालांकि वो इसका सत्यापन करने में असमर्थ है कि उसने कानून की कोई पढ़ाई भी की है.”