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CM बीरेन सिंह, पीएम मोदी से मिले, कांग्रेस बोली- क्या मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से मणिपुर हिंसा पर बात की?

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CM Biren Singh met PM Modi, Congress said- did the Chief Minister talk to the Prime Minister about Manipur violence?

नई दिल्ली। कांग्रेस ने रविवार को मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह पर करारा हमला किया। पार्टी ने सीएम बीरेन सिंह से सवाल पूछा कि मणिपुर के लोग पूछ रहे हैं कि क्या मुख्यमंत्री ने हिंसा प्रभावित राज्य के हालात पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अलग से भी मुलाकात की? दरअसल, बीरेन सिंह ने एक दिन पहले राजधानी दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग की बैठक में हिस्सा लिया था।
कांग्रेस के महासचिव और कम्युनिकेशन इंचार्ज जयराम रमेश ने कहा कि मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह शनिवार को दिल्ली में नीति आयोग की बैठक में शामिल हुए, जिसकी अध्यक्षता स्वयंभू नॉन बायोजिकल प्रधानमंत्री ने की। उन्होंने कहा कि मणिपुर के मुख्यमंत्री पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में भाजपा के मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों की बैठक में भाग लेते हैं।

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सीएम ने मणिपुर की स्थिति पर पीएम से चर्चा की?

पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश ने कहा कि मणिपुर के लोग जो सावल पूछ रहे हैं कि क्या मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अलग से मुलाकात की और मणिपुर की स्थिति पर चर्चा की? उन्होंने कहा कि मणिपुर 3 मई 2023 की रात को जलना शुरू हो गया था।

क्या सीएम ने पीएम को मणिपुर आने का निमंत्रण दिया?

रमेश ने पूछा कि क्या बीरेन सिंह ने पीएम मोदी को यूक्रेन की यात्रा से पहले या बाद में मणिपुर आने का निमंत्रण दिया था। मई 2023 में मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसा भड़क उठी थी। तब से अब तक करीब 200 लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं।

देश की सेवा करता रहूंगा- बीरेन सिंह

बता दें कि शनिवार को भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की मीटिंग हुई थी, जिसकी अध्यक्षता पीएम मोदी ने की। इस सम्मेलन में भाग लेने आए सीएम बीरेन सिंह ने कहा कि वह पार्टी को मजबूत बनाने और इसके मूल मूल्यों और विचारधारा को कायम रखकर देश की सेवा करते रहेंगे।

मणिपुर में एक साल से जारी है हिंसा

मणिपुर में पिछले एक साल से ही हिंसा जारी है। दरअसल, मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में पिछले साल तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। राज्य में तब से अब तक कम से कम 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हिंसा में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।

नीति आयोग की बैठक में नहीं शामिल हुए राज्य

शनिवार को दिल्ली में नीति आयोग की बैठक हुई थी। इसमें 10 राज्य नहीं शामिल हुए थे, जबकि 26 राज्यों ने इसमें हिस्सा लिया था। जो राज्य नहीं शामिल हुए थे उनमें केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, बिहार, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और पुद्दुचेरी हैं।

लोकसभा चुनाव में पार्टी को हुआ था भारी नुकसान

सूत्रों ने बताया कि बीजेपी के शीर्ष नेताओं के साथ सिंह की लगातार बैठकों से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि पार्टी नेतृत्व के पास संघर्षग्रस्त राज्य में उनके स्थान पर किसी नए चेहरे को लाने की तत्काल कोई योजना नहीं है। मणिपुर बीजेपी में व्याप्त अनिश्चितता और विभाजन ने पार्टी आलाकमान के पास विपक्ष द्वारा उनके इस्तीफे की लगातार मांग के बावजूद राज्य सरकार की कमान सिंह को सौंपे जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी को राज्य में करारी हार का सामना करना पड़ा था, जिसमें कांग्रेस ने एनडीए से दोनों सीटें छीन ली थीं।

विपक्ष लगातार कर रहा सीएम को हटाने की मांग

विपक्षी दल मोदी पर आरोप लगा रहे हैं कि उन्होंने 14 महीनों में एक बार भी मणिपुर का दौरा नहीं किया, जब से राज्य में जातीय संकट फैला है, जिसमें अब तक 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। सिंह के इस्तीफे की विपक्ष की लगातार मांग के अलावा, बीजेपी नेतृत्व को राज्य में शीर्ष पर बदलाव के लिए पार्टी के एक वर्ग की मांगों का भी सामना करना पड़ रहा है।

अपनी ओर से सिंह ने बार-बार इन मांगों को खारिज किया है। उन्होंने लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार की जिम्मेदारी भी ली है। हालांकि, उन्होंने हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि “कार्यशैली (बदलनी पड़ी)। केंद्रीय बलों (मणिपुर में) को राज्य सरकार की पहल का सक्रिय रूप से समर्थन करना चाहिए और मूल आदिवासी लोगों को यह समझाने में मदद करनी चाहिए कि (राज्य) सरकार उनके खिलाफ नहीं है।”

 

 

 

 

 

 

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