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रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रुओ से हुआ था ,,,,पंडित श्री श्री धरा चार्य

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Rudraksha originated from the tears of Lord Shiva,,,, Pandit Sri Sri Dharcharya

प्रमोद अवस्थी मस्तूरी

Ro No - 13028/44

मस्तूरी में नवयुवक दुर्गोंत्सव एवं दशहरा समिति के तत्वाधान में लगातार दूसरे वर्ष पर दुर्गा चौक के प्रांगण में रैतापरा कबीर धाम के कथा वाचक श्री श्री धरा चार्य ने शिव महापुराण कथा के दौरान विघेस्वर संहिता कथा के दौरान रुद्राक्ष की उत्पत्ति के वर्णन करते हुए श्रोताओं को बताए की सनातन धर्म में एक रुद्राक्ष का प्रयोग भगवान शिव के अंश के रूप में किया जाता है रुद्राक्ष का महत्व इसलिए भी अधिक माना जाता है क्योंकि रुद्राक्ष का जन्म भगवान शिव के अस्श्रुओ से हुआ था रुद्राक्ष की और अनेक महिमा बताएं। तथा कथा के दौरान श्री ब्रह्मा श्री विष्णु जी के युद्ध के बारे में बताए की श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी के पास आए। उस समय श्री विष्णु जी लक्ष्मी जी सहित शेष शैय्या पर सोए हुए थे। साथ में अनुचर भी बैठे थे। श्री ब्रह्मा जी ने श्री विष्णु जी से कहा बेटा, उठ देख तेरा बाप आया हूँ। मैं तेरा प्रभु हूँ। इस पर विष्णु जी ने कहा आओ, बैठो मैं तुम्हारा पिता हूँ। तेरा मुख टेढ़ा क्यों हो गया। ब्रह्मा जी ने कहा – हे पुत्र अब तुझे अभिमान हो गया है, मैं तेरा संरक्षक ही नहीं हूँ। परंतु समस्त जगत् का पिता हूँ। श्री विष्णु जी ने कहा तू अपना बड़प्पन क्या दिखाता है ? सर्व जगत् तो मुझमें निवास करता है। तू मेरी नाभि कमल से उत्पन्न हुआ और मुझ से ही ऐसी बातें कर रहा है। इतना कह कर दोनों प्रभु आपस में हथियारों से लड़ने लगे। एक-दूसरे के वक्षस्थल पर आघात किए। यह देखकर सदाशिव (काल रूपी ब्रह्म) ने एक तेजोमय लिंग उन दोनों के मध्य खड़ा कर दिया, तब उनका युद्ध समाप्त हुआ। (यह उपरोक्त बाते शिव महापुराण कथा के दौरान पंडित श्री श्री धरा चार्य जी ने कही। कथा के दौरान मुख्य यजमान के साथ समिति के सदस्यों तथा भारी संख्या में शिवभक्त गण उपस्थित हो कर कथा का श्रवण कर रहे थे।

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