Bridge construction on Mand river: 12 months of work incomplete even in 4 years, questions on quality
निर्माण में देरी से जनता परेशान, 7.90 करोड़ की परियोजना अधर में
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रायगढ / मांड नदी पर ससकोवा से रायमेर मार्ग पर बनने वाले पुल का निर्माण कार्य पिछले 4 वर्षों से अधर में लटका हुआ है। इस परियोजना की स्वीकृति 22 दिसंबर 2020 को 7 करोड़ 90 लाख रुपये की लागत से दी गई थी। 28 जून 2021 को ठेकेदार को कार्य आदेश जारी किया गया, जिसमें 12 महीने के भीतर पुल निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन 28 जुलाई 2022 तक यह काम पूरा नहीं हुआ और अब तक केवल 30त्न ही काम हो पाया है।
काम में देरी और गुणवत्ता पर उठे सवाल
पुल निर्माण के लिए दोनों ओर पहुंच मार्ग (रायमेर की ओर 820 मीटर और ससकोवा की ओर 425 मीटर) बनना था, लेकिन यह कार्य अभी तक शुरू ही नहीं हुआ है। पुल का ढांचा भी अधूरा है, जहां 6 कलम और स्लैब का निर्माण होना था। इसके अलावा जो काम हुआ है, उसमें भी लापरवाही दिख रही है। पुल निर्माण में इस्तेमाल हुए छड़ों में जंग लग चुकी है। मौके पर आधुनिक ऑटोमैटिक मिक्चर मशीन के बजाय हाथ मिक्चर मशीन का उपयोग किया जा रहा है, जिससे निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं।
जनप्रतिनिधियों ने जताई नाराजगी
ससकोवा ग्राम के सरपंच पुनेश्वर राठिया, जनपद सदस्य साध राम और जिला पंचायत सदस्य बलवंत तिग्गा ने इस मामले पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने बताया कि ठेकेदार की लापरवाही के कारण निर्माण कार्य वर्षों से अधूरा पड़ा है। जनप्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि सरकार की बड़ी परियोजनाएं विभागीय लापरवाही और ठेकेदार की सुस्त कार्यशैली के कारण जनता के लिए बेकार साबित हो रही हैं।
PWD अधिकारियों का जवाब
PWD सेतु एसडीओ एनआर भगत से जब इस मुद्दे पर संपर्क किया गया, तो उन्होंने बताया कि जंग लगे छड़ों को साफ कर, ऑटोमैटिक मिक्चर से कार्य कराया जाएगा। उन्होंने ठेकेदार को जून 2025 तक पुल निर्माण कार्य पूरा करने का निर्देश दिया है।
जनता को आवागमन की सुविधा से वंचित
निर्माण कार्य में हो रही देरी और गुणवत्ता की कमी के कारण आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यह पुल क्षेत्र के लिए आवागमन का मुख्य साधन माना जा रहा था, लेकिन धीमी प्रगति ने स्थानीय लोगों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
विभागीय मिलीभगत का आरोप
स्थानीय लोग और जनप्रतिनिधि विभागीय अधिकारियों पर ठेकेदार के साथ मिलीभगत का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि काम की धीमी प्रगति और गुणवत्ता की अनदेखी शासन के करोड़ों रुपये के नुकसान का कारण बन रही है। यह परियोजना सरकारी कार्यशैली और ठेकेदार की लापरवाही का उदाहरण बन गई है। जनता को उम्मीद है कि जल्द ही जिम्मेदार अधिकारी इस मामले में ठोस कदम उठाएंगे और समय पर काम पूरा होगा, ताकि जनता को आवागमन की सुविधा मिल सके।