Husband died in a moving train, his wife thought he was sleeping and sat next to him…the dead body kept traveling in the train for 12 hours.
अहमदाबाद से चलकर अयोध्या जा रही साबरमती एक्सप्रेस (Sabarmati Express) ट्रेन के स्लीपर कोच के यात्री करीब 13 घंटे तक एक शव के साथ सफर करने को मजबूर रहे. 13 घंटे बाद ट्रेन जब झांसी रेलवे स्टेशन पर पहुंची तब शव को कोच से उतारा गया. जिसके बाद शव को कब्जे में लेकर जीआरपी ने कार्यवाही शुरु की. इस दौरान मृतक की पत्नी शव के साथ बैठी रही.
दरअसल, मृतक अपनी पत्नी, छोटे बच्चों और एक साथी के साथ सूरत से अयोध्या की यात्रा कर रहा था. इस यात्रा के दौरान ट्रेन में ही वो सो गया. लेकिन कई घंटे बाद भी जब नहीं उठा तो पास बैठे लोगों को शक हुआ. हिलाने-डुलाने पर पता चला कि शख्स की तो सांसे थम चुकी हैं.
सूरत से चलकर अयोध्या जा रहे पत्नी और बच्चों के साथ सफर में पति की अचानक मौत हो गई. पति की मौत हो जाने की जानकारी पत्नी को हुई तो उसने ट्रेन में किसी को बिना बताए शव से लिपटकर लेटी रही. जब झांसी पहुंची तब सूचना पर जीआरपी ने शव को ट्रेन से उतारा. ट्रेन की बोगी के अंदर से शव निकलता देख सफर कर रहे दूसरे यात्री भी दंग रह गए.
दो दिसंबर की रात एक बजे प्रेमा अपने पति-बच्चों और उनके दोस्त के साथ छायापुर स्टेशन से अयोध्या जाने के लिए साबरमती एक्सप्रेस में सवार हुई। ट्रेन के कोच एस-6 की सीट नंबर 43,44 और 45 पर यह सभी सफर कर रहे थे। पति को व्हीलचेयर की मदद से ट्रेन में चढ़ाकर एक बर्थ पर लिटा दिया। अपने बीमार पति की सेहत की फिक्र में पूरी रात प्रेमा उसका सिर सहलाती रही। सुबह 8 बजे ट्रेन उज्जैन पहुंची तो उसने पति को जगाने की कोशिश की, लेकिन पति के शरीर में कोई हरकत नहीं हुई। प्रेमा को लगा कि वह गहरी नींद में हैं तो उसने पैर दबाना शुरू कर दिया। इस बीच पति के दोस्त सुरेश यादव ने रामकुमार की नब्ज टटोली, तब पता चला कि सुरेश की सांसें थम चुकी हैं। लेकिन, उसने इसकी जानकारी प्रेमा को नहीं दी। उसे डर था कि पति की मौत की जानकारी लगने पर प्रेमा रोने-चीखने लगेगी, जिससे उन्हें रास्ते में ही उतरना पड़ेगा।
उज्जैन से लेकर झांसी तक 427 किमी के सफर में प्रेमा अपने पति के कभी पैर दबाती तो कभी सिर सहलाती रही। उसे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि पति की सांस थम चुकी है। रात आठ बजे जब सह यात्रियों को युवक की मौत की जानकारी हुई तो उन्होंने विरोध किया, लेकिन प्रेमा को कुछ समझ ही नहीं आया। ट्रेन के मंगलवार रात साढ़े आठ बजे झांसी पहुंचने पर जीआरपी ने रामकुमार के शव को उतारा तो प्रेमा ने रोका, लेकिन मौत की जानकारी होने पर वह टूट गई। सह यात्रियों ने उसे संभाला।