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विकसित भारत संकल्प भारत यात्रा से नवीनतम तकनीकी से कृषकों में खासा उत्साह

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जांजगीर चांपा जिले के विकासखण्ड अकलतरा में ग्राम कटघरी कृषक दिलेंद कश्यप फसल गेंहू रकबा 1 एकड़, ग्राम सोनादुला, कृषक श्री लक्ष्मी पटेल फसल गेंहू रकबा 1 एकड़ और विकासखण्ड पामगढ़ ग्राम कोडामाट कृषक माधो प्रसाद रकबा 1 एकड़ फसल धान में नैनो यूरिया का छिड़काव ड्रोन के माध्यम से किया गया। इस नवीनतम तकनीकी से कृषकों में खासा उत्साह देखा जा रहा है। ड्रोन के माध्यम से नैनो यूरिया छिड़काव के समय अनुविभागीय कृषि अधिकारी पामगढ़ श्री पंकज पटेल वरिष्ठ कृषि अधिकारी अकलतरा, श्री नंद कुमार दिनकर वरिष्ठ कृषि अधिकारी पामगढ़, श्री संतोष सोनी ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी श्री राज किशोर साड़िल, जागेश्वर मिश्रा एवं एन.एफ.एल कम्पनी के प्रतिनिधित्व करता श्री शिवम शशांक सोनकर और क्षेत्र के ग्रामीण कृषक उपस्थित थे। नैनो यूरिया (तरल)

Ro No - 13028/44

नैनो यूरिया (तरल) पौधों को नाइट्रोजन प्रदान करने का उत्तम स्त्रोत है। पौधों की अच्छी बढ़वार एवं विकास में नाइट्रोजन अहम भूमिका निभाता है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा नैनो यूरिया के निम्नानुसार अनुशंसाऐ दी गई है-धान, गेहूं दलहन, तिलहन एवं मोटे आनाज (मक्का) एवं पोषक आनाज (रागी, कोदो कुटकी) फसलों में 75 प्रतिशत अनुशंसित नत्रजन उर्वरक के साथ नैनो यूरिया के 4 मि.ली. / लीटर की दर से दो पर्णीय छिड़काव करने से उपज 100 प्रतिशत अनुशंसित उर्वरक मात्रा से पर्याप्त उपज प्राप्त होगी।

नैनो यूरिया के लाभ :

नैनो यूरिया तरल के परिवहन एवं भंडारण में कम खर्च आता है।

परम्परागत यूरिया से 10 प्रतिशत सस्ता है।

फसल की पैदावार को प्रभावित किए बिना परम्परागत यूरिया के उपयोग में 50 प्रतिशत

की कमी की जा सकती है।

• कृषि उत्पाद की गुणवत्ता व पोषक तत्व में वृद्धि।

• उर्वरकों के अत्यधिक प्रयोग से पर्यावरण को होने वाले कुप्रभाव को रोकता है, जिससे मृदा, वायु और जल प्रदुषित नहीं हो पाता। प्रयोग दर एवं विधि :

• धान, मक्का, गेहूं एवं अन्य अनाज वाली फसलों में स्फुर एवं पोटाश की पूरी मात्रा उपयोग करें एवं यूरिया की प्रति एकड उपयोग होने वाली मात्रा की आधी मात्रा (35-40 कि.ग्रा.) उपयोग करने के पश्चात शेष आधी मात्रा के स्थान पर कल्ले निकलने के समय एवं फल आने के 7-10 दिन पूर्व नैनो यूनिया की 500 मि.ली. मात्रा का 125 लीटर पानी में (अर्थात 4 मि.ली. / प्रति लीटर पानी) घोल बनाकर छिड़काव करें।

सब्जियों, दलहनी एवं तिलहनी फसलों में 2 से 3 मि.ली. नैनो यूरिया को प्रति लीटर पानी में मिलाकर आवश्यकतानुसार इन फसलों पर क्रांतिक अवस्थाओं में 1 से 2 बार छिडकाव करना चाहिए।

प्रयोग के लिए सामान्य सुझाव:

• प्रयोग करने के पहले बोतल को अच्छी तरह से हिला लें।

• फ्लैट फेन या कट नोजल वाले स्प्रेयर का प्रयोग कर पत्तियों पर अच्छे से छिड़काव करें।

प्रयोग के लिए सामान्य सुझाव :

प्रयोग करने के पहले बोतल को अच्छी तरह से हिला लें।

फ्लैट फेन या कट नोजल वाले स्प्रेयर का प्रयोग कर पत्तियों पर अच्छे से छिड़काव करें।

छिडकाव सुबह या शाम के समय जब पत्तियों पर ओस के कण ना हो, उस समय करें।

यदि छिड़काव के 6-8 घंटे के भीतर वर्षा हो जाए तब पुनः छिडकाव करें।

नैनो यूरिया को आवश्यकतानुसार अनुसंशित जैव-उत्प्रेरक, शत प्रतिशत जल-पिलेय उर्वरकों और अन्य कृषि रसायनों के साथ मिलाकर भी छिड़काव किया जा सकता है।

नैनो यूनिया की उपयोग विधि सरल है। यह प्रयोग करने वाले व्यक्ति, पर्यावरण, वनस्पति एवं मृदा में पाए जाने वाले सूक्ष्म एवं अन्य जीव-जंतुओं के लिए भी सुरक्षित है।

नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए नैनो यूरिया का प्रयोग सभी फसलों के लिए उपयुक्त है। इसके प्रयोग से नाइट्रोजन उपयोग क्षमता और फसल उत्पादकता में वृद्धि होती है।

नैनो यूरिया पूर्णतः सुरक्षित है, फिर भी सावधानी के लिए फसल पर छिड़काव करते समय मास्क और दस्ताने का प्रयोग अवश्य करना चाहिए।

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