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कोल परिवहन पर सीएम साय ने लिया बड़ा निर्णय, कोल परिवहन की एनओसी और परमिट अब से ऑफलाइन नहीं, होगी ऑनलाइन

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​CM Sai took a big decision on coal transportation, NOC and permit for coal transportation will no longer be offline, but will be online.

CG Budget Session: छत्तीसगढ़ विधानसभा में बजट सत्र का आज तीसरा दिन सदन में तेलीबांधा डिवाइडर निर्माण और हसदेव अरण्य पर जमकर हंगामा हुआ. विधानसभा की कार्यवाही गुरुवार 11.00 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है.

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सीएम साय ने लिया बड़ा निर्णय
आज बजट सत्र में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कोल परिवहन को लेकर बड़ा निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि “ऑफलाइन प्रक्रिया बंद होगी. पिछली सरकार में ऑनलाइन प्रक्रिया को बंद कर ऑफलाइन किया गया था,खनिज का भौतिक सत्यापन कर ही ई ट्रांजिट पास जारी किया जाता था. जिसके कारण परिवहन में लेट होता था भ्रष्टाचार समावेश हो गया था. पारदर्शिता भ्रष्टाचार मुक्त सुशासन को ध्यान में रखते हुए कानून निरस्त किया गया,इससे छत्तीसगढ़ की छवि खराब हुई थी बदनामी हुई. कई भ्रष्टाचार हुए कई ias अधिकारी,माइनिंग अधिकारी जेल में है,

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सदन में बताया कि खनिज विभाग द्वारा एक आदेश जारी हुआ था. संचालक के द्वारा 15 जुलाई 2020 को इस आदेश के द्वारा यह व्यवस्था दी गई थी कि खनिज सम्मिलित द्वारा ई परमिट का भौतिक सत्यापन करने के बाद ही इस ट्रांजिट पास किया जा सकेगा. इसके पहले जो ऑनलाइन प्रक्रिया थी, उसे बंद कर कर ऑफलाइन किया गया, जिसके कारण परिवहन में भी लेट होता था, और भ्रष्टाचार का भी समावेश हो गया था.

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोयला परिवहन में भ्रष्टाचार हुआ था, छवि खराब हुई थी. ईडी उस पर जांच भी कर रही है. कई लोग, संचालक, माइनिंग ऑफिसर आज जेल के अंदर हैं. इससे प्रदेश की छवि खराब हुई. लेकिन आज मुझे बताते हुए गौरव हो रहा है कि हमारी सरकार पारदर्शिता, भ्रष्टाचार मुक्त और सुशासन को ध्यान में रखते हुए 15 जुलाई 2020 के कानून को निरस्त किया है, और अब ऑनलाइन टीपी जारी होगा.

कार्टेल ने किया 540 करोड़ का घोटाला
ईडी का दावा है कि छत्तीसगढ़ में करीब 540 करोड़ रुपये का कोयला घोटाला हुआ है. इस पैसे का उपयोग राजनीतिक खर्च, बेनामी संपत्तियों को बनाने और अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए किया गया है. ईडी ने अपनी जांच में पाया कि छत्तीसगढ़ में कोल लेवी के लिए अधिकारियों, व्यापारियों और राजनेताओं का एक कार्टेल था, जो कोयला परिवहन के जरिए प्रति टन 25 रुपए की वसूली किया करता था.

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