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श्री कृष्ण जन्म की कथा सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु, पूरा पंडाल जयकारों से गूंजा

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मिश्रा परिवार की हो रही वाहवाही

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बिलासपुर के कुदुदंड मे चल रही है संगीतमय सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के दौरान गुरुवार को श्री क्रष्ण जन्म की कथा सुन श्रद्धालु भाव विभोर हो गये इस दौरान करगी कला से पहूंचे कथा व्यास श्री शांतनु पान्ङेय ने कथा के दौरान बताया की अहंकार नहीं करना चाहिए, अहंकार बुद्धि और ज्ञान का हरण कर लेता है। अहंकार ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है । जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब अष्टमी संतान बसुदेव जी महराज की धर्मपत्नी देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। ने कहा कि जब-जब धरती पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं। जैसे ही कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ पूरा पंडाल जयकारों से गूंजने लगा।
श्रद्धालु भक्ति में लीन होकर जमकर झूमे श्रीकृष्ण जन्म उत्सव पर नन्द के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की भजन प्रस्तुत किया तो श्रद्धालु भक्ति में लीन होकर जमकर झूमे। एक-दूसरे को श्रीकृष्ण जन्म की बधाईयां दी गई, एवं आतिशबाजी कर खिलौने और मिठाईयां बाटी गई। कथा महोत्सव में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भजन श्रवण कर भगवान श्री कृष्ण के जन्म की खुशियां मनाई। कथा में प्रथम श्रोता श्री मति शशि मिश्रा दुर्गेश मिश्रा एवं कांति मिश्रा उल्लास मिश्रा (सोमू) सहित भरी संख्या में श्रोता गण शामिल रहे ।

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