A mass cemetery containing 500 graves was discovered on the outskirts of Khatiya village in Kutch district of Gujarat,
Whose graves are these? And who were these people?
गुजरात के कच्छ जिले के जूना खटिया गांव के बाहरी इलाके में खुदाई के दौरान 500 कब्रों वाले एक सामूहिक कब्रिस्तान का पता चला था. ये खुदाई साल 2018-19 में केरल यूनिवर्सिटी और कच्छ यूनिवर्सिटी के पुरातत्वविदों ने साथ मिलकर की थी.
तब ये सवाल था कि ये कब्रें आखिर किसकी हैं? क्या ये आसपास के किसी बड़े मानव बस्ती का कब्रिस्तान था या कुछ और? पुरातात्विक की टीम लगातार तब से आसपास के क्षेत्रों में बस्तियों के अवशेषों की तलाश कर रही है. अब इन्हीं पुरातत्वविदों को एक और बड़ी सफलता मिली है. उन्हें एक नया सुराग मिला है.
पहले समझिए पुरातात्विक खुदाई का मतलब
पुरातात्विक खुदाई का मतलब होता है जमीन में दबे हुए प्राचीन अवशेषों को ढूंढना और उनपर रिसर्च करना. ये अवशेष किसी भी चीज के हो सकते हैं, जैसे कि: पुरानी इमारत, मकबरा, मूर्तियां, बर्तन, औजार, हड्डियां, कलाकृतियां आदि.
पुरातत्वविद जमीन को खोदकर इन अवशेषों को ढूंढते हैं और उनपर रिसर्च करके प्राचीन सभ्यताओं के बारे में जानकारी हासिल करते हैं. पुरातत्वविद हमें प्राचीन सभ्यताओं के इतिहास और संस्कृति के बारे में जानकारी देते हैं. प्राचीन लोगों के जिंदगी जीने के तरीके के बारे में बताते हैं.
जूना खटिया में पुरातात्विक खुदाई में क्या पता चला
गुजरात के कच्छ शहर में पुरातात्विक खुदाई से 5200 साल पुरानी हड़प्पाकालीन बस्ती का पता चला है. पडता-बेट नामक स्थानीय टीले से खुदाई में उन्हें एक कंकाल, मिट्टी के बर्तन और कुछ जानवरों की हड्डियां मिली हैं. ये सब इस बात के संकेत देते हैं कि जूना खटिया के कब्रिस्तान से करीब 1.5 किमी दूर 5200 साल पुरानी एक हड़प्पाकालीन बस्ती हुआ करती थी.
कब से कब तक रहे हड़प्पाकालीन लोग
राजेश एसवी ने द हिंदू को बताया, “इन जगहों पर मिले ढेर सारे मिट्टी के बर्तन, जानवरों की हड्डियां और अन्य चीजें इस बात का संकेत देती हैं कि इलाके में हड़प्पाकालीन लोग लगभग 3200 ईसा पूर्व से 1700 ईसा पूर्व तक, यानी शुरुआती हड़प्पा काल से लेकर बाद के हड़प्पा काल तक रहते थे. मिले हुए मिट्टी के बर्तन भी बताते हैं कि वहां शुरुआती हड़प्पा, विकसित हड़प्पा और बाद के हड़प्पा काल के बर्तन पाए गए हैं.”
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2018 में, केरल विश्वविद्यालय के पुरातत्वविदों ने, क्रांतिगुरु श्यामजी कृष्ण वर्मा कच्छ विश्वविद्यालय, भुज के सहयोग से काम करते हुए, गुजरात के कच्छ जिले के खटिया गांव के बाहरी इलाके में 500 कब्रों वाले एक सामूहिक दफन स्थल का पता लगाया था। फिर सवाल यह था कि ये कब्रें किसकी हैं? क्या यह कब्रगाह – संभवतः सबसे बड़ी – आसपास की किसी बड़ी मानव बस्ती के लिए थी या यह छोटी बस्तियों के समूह के लिए एक सामान्य सुविधा थी? तब से टीम आसपास की बस्तियों के अवशेषों की तलाश कर रही है।