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कैसे होती है मानसून की एंट्री?क्या है प्री और पोस्ट मानसून बारिश?समय से पहले मानसून आने की वजह ,ला नीना का दिखेगा असर

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How does monsoon enter? What are pre and post monsoon rains? Reasons for premature arrival of monsoon, effect of La Nina will be visible.

गर्मी की तपिश झेल रहे राज्यों को इससे जल्द निजात मिल सकती है. इस बार मॉनसून समय से पहले दस्तक दे सकता है और झमाझम बारिश के भी आसार दिखाई दे रहे हैं. हालांकि इसको लेकर मौसम विभाग ने अपनी भविष्यवाणी नहीं की है लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक, इंडियन ओशियन डायपोल और ला नीना की स्थितियों के एक साथ सक्रिय होने से इस साल मानसून जल्दी दस्तक दे सकता है.

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ये सीमावर्ती घटनाएं देश के कई हिस्सों में संभावित रूप से भारी बारिश के साथ एक मजबूत मानसून की स्थिति पैदा कर रही हैं. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, ला नीना इफेक्ट एक आवर्ती मौसम की घटना है जो मध्य औऱ पूर्वी प्रशांत महासागर में औसत से अधिक ठंडे समुद्री सतह तापमान और हिंद महासागर डिपोल और हिंद महासागर में समुद्र की सतह के तापमान में उतार-चढ़ाव की वजह से बनती है.
भारत में केरल के रास्ते मानसून दस्तक दे चुका है। मानसून के पहुंचने के साथ ही देशभर में बारिश के आसार बनने लगे हैं। वहीं, केरल सहित दक्षिणी राज्यों में बारिश शुरू हो चुकी है। इस साल मानसून सामान्य समय से करीब एक सप्ताह की देरी से भारत पहुंचा है।

क्या होता है मानसून?

मानसून शब्द का जन्म अरबी भाषा मौसिम से हुआ है। इस शब्द की उत्पत्ति अरब के समुद्री व्यापारियों ने की थी। समुद्री व्यापारी समुद्र से चलने वाली हवा को मौसिम कहते थे, जिसे बाद में मानसून के रूप में जाना जाने लगा। आम भाषा में मानसून ऐसी हवाएं हैं, जो मौसम के अनुरूप दिशा बदलती है। मानसून वह हवा है, जो बारिश कराती है। मानसून के आने से बारिश शुरू होती है।

भारत में कब आता है मानसून?

भारत में मानूसन सबसे पहले केरल पहुंचता है। आमतौर पर इसके केरल पहुंचने की तिथि एक जून तक की होती है। हालांकि, इसमें एक-दो सप्ताह की देरी भी देखी गई है। भारत में हिन्द महासागर और अरब सागर की ओर से दक्षिण-पश्चिम तट पर मानसून सबसे पहले पहुंचता है। इसके बाद मानसूनी हवाएं देश के दक्षिण और उतर दिशा की ओर बढ़ती है।

भारत में कितने प्रकार के होते हैं मानसून?

भारत में दो प्रकार के मानसून होते हैं। पहला गर्मी का मानसून और दूसरा सर्दी का मानसून। भारत में दोनों मानसून का असर अलग-अलग समय में रहता है। भारत में गर्मी का मानसून अप्रैल से सितंबर तक रहता है और सर्दी का मानसून अक्टूबर से मार्च तक रहता है। वहीं, भारत में मानसून के दो शाखा हैं। पहला अरब सागर का मानसून और दूसरा बंगाल की खाड़ी का मानसून। ये दोनों भारत में बारिश कराता है।

भारत में कैसे पता चलता है मानसून की एंट्री?

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग भारत में मानसून आने का एलान करता है। केरल, कर्नाटक और लक्षद्वीप में जब लगातार बारिश होने लगती है, तो मौसम विभाग द्वारा इसके आने की घोषणा की जाती है। इसके लिए इन राज्यों के आठ स्टेशनों पर जब दो दिनों तक 2.5 एमएम से अधिक बारिश हो जाता है, तो मानसून की एंट्री मानी जाती है।

क्या है प्री और पोस्ट मानसून बारिश?

भारत में मार्च से मई तक प्री मानसून रहता है। इस दौरान जब बारिश होती है तो उसे प्री मानसून माना जाता है। वहीं, जब सितंबर के बाद बारिश होती है, तो उसे पोस्ट मानसून कहा जाता है।

भारत में कब तक सक्रिय रहता है मानसून?

भारत में गर्मी का मानसून एक जून से 15 सितंबर तक सक्रिय रहता है। इसके बाद सर्दी का मानसून सक्रिय हो जाता है। अगर पूरे दक्षिण एशिया की बात की जाए, तो मानसून एक जून से एक सितंबर तक सक्रिय रहता है।

मानसून के आने से कैसे होती है बारिश?

भारत में जब मानसूनी हवाएं दक्षिण-पश्चिम तट पर पश्चिमी घाट से टकराती हैं, तो देश में बारिश होती है। हालांकि, कई बार मानसून तय तिथि से नहीं पहुंच पाता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। जैसे इस वर्ष चक्रवात तूफान बिपारजॉय की वजह से मानसून प्रभावित हुआ है और तय तिथि से देरी से भारत पहुंचा है।

समय से पहले मानसून आने की वजह

अनुमान है कि ये परस्पर जुड़ी गतिशीलता दक्षिण-पश्चिम मानसून को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेगी. अधिकांश मौसम मॉडल भूमध्यरेखीय हिंद महासागर पर एक सकारात्मक आईओडी चरण का सुझाव देते हैं जो प्रशांत क्षेत्र में ला नीना के गठन के साथ मेल खाता है. मानसून की पृष्ठभूमि में इन घटनाओं का एक साथ अस्तित्व यह दर्शाता है कि ये कारक आमतौर पर जुलाई से सितंबर तक अनुभव की जाने वाली चरम मानसून स्थितियों को बढ़ा सकते हैं.

सामने आ रही ला नीना स्थितियों और आईओडी घटना के अवलोकन मुख्य मानसून अभिसरण क्षेत्र में पश्चिम की ओर बदलाव की ओर इशारा करते हैं. इससे भारतीय समुद्र तट के पास अरब सागर से एक प्रतिक्रिया शुरू होती है, जिससे बड़े पैमाने पर ऊपर की ओर गति होती है जो प्रचलित मानसून प्रणाली का समर्थन करती है, जिससे पूरे मौसम में वर्षा में वृद्धि होती है.

स्काईमेट ने ला नीना को लेकर क्या कहा?

वहीं, स्काईमेट के प्रबंध निदेशक जतिन सिंह के अनुसार, ‘अल नीनो तेजी से ला नीना में बदल रहा है और, ला नीना से संबंधित वर्षों के दौरान मानसून परिसंचरण मजबूत हो जाता है.’ आईएमडी के अधिकारियों ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि भारत में अनुकूल मानसून से जुड़ी ला नीना स्थितियां मौसम के उत्तरार्ध में स्थापित होने की संभावना है.

 

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