Bournvita is not a ‘health drink’: ‘Government gave instructions to remove health and energy drinks’ from e-commerce companies
नरेंद्र मोदी सरकार ने अब सभी ई-कॉमर्स वेबसाइटों से बेवरेजेज को ‘हेल्थ ड्रिंक’ कैटेगरी से हटाने के लिए कहा है, जिसके परिणामस्वरूप बोर्नविटा और अन्य प्रमुख ब्रांडों को बड़ा झटका लगा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का आदेश ऐसे समय में जारी किया गया है जब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कहा कि एफएसएस अधिनियम 2006, नियमों और विनियमों के तहत कोई स्वास्थ्य पेय परिभाषित नहीं है. जैसा कि एफएसएसएआई और मोंडेलेज इंडिया द्वारा प्रस्तुत किया गया है.
मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 14 के तहत एक एनसीपीसीआर जांच का हवाला दिया गया, जिसमें निष्कर्ष निकाला गया कि एफएसएस अधिनियम 2006, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण और मोंडेलेज द्वारा प्रस्तुत नियमों और विनियमों के तहत कोई स्वास्थ्य पेय परिभाषित नहीं है.
वाणिज्य मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि सभी ई-कॉमर्स वेबसाइटों को सलाह दी गई है कि वे अपने संबंधित प्लेटफॉर्म से बोर्नविटा सहित अन्य बेवरेजेज को ‘हेल्थ ड्रिंक’ कैटेगरी से हटा दें. मंत्रालय का यह आदेश एफएसएसएआई द्वारा ई-कॉमर्स वेबसाइटों को ‘हेल्थ ड्रिंक’ या ‘एनर्जी ड्रिंक’ कैटेगरी के तहत डेयरी, अनाज या माल्ट-आधारित पेय पदार्थों को शामिल नहीं करने के लिए कहने के कुछ दिनों बाद आया है.
खाद्य सुरक्षा निकाय ने कहा था कि ‘हेल्थ ड्रिंक’ को कानूनों में परिभाषित नहीं किया गया है. कानूनों के अनुसार ‘एनर्जी ड्रिंक’ केवल स्वादयुक्त जल-आधारित पेय होते हैं. इसमें कहा गया है कि गलत शब्दों का इस्तेमाल उपभोक्ता को गुमराह कर सकता है, जिससे वेबसाइटों को उन विज्ञापनों को हटाने या सुधारने के लिए कहा जा सकता है.
ऐसे ड्रिंक एवं बेवरेजेस को हेल्थ ड्रिंक कैटेगरी से हटाना होगा
मंत्रालय के नोटिफिकेशन के अनुसार, कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स एक्ट के तहत बनी समिति एनसीपीसीआर (NCPCR) ने अपनी जांच के बाद निर्देश दिया है कि एफएसए एक्ट के तहत हेल्थ ड्रिंक की परिभाषा स्पष्ट नहीं दी गई है. इसलिए सभी ईकॉमर्स कंपनियों और पोर्टल को बॉर्नवीटा समेत सभी तरह के ड्रिंक एवं बेवरेजेस को हेल्थ ड्रिंक कैटेगरी से हटाना होगा.
हेल्थ-एनर्जी ड्रिंक के नाम पर बिक रहे जूस पर हुई थी सख्ती
इससे पहले इसी महीने सरकार ने ईकॉमर्स कंपनियों द्वारा हेल्थ और एनर्जी ड्रिंक के नाम पर बेचे जा रहे जूस पर सख्ती की थी. सरकार ने ईकॉमर्स वेबसाइटों को निर्देश दिया था कि वह हेल्थ और एनर्जी ड्रिंक के नाम पर हर तरह के जूस नहीं बेच सकेंगे. फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने कहा था कि ईकॉमर्स कंपनियां अपनी वेबसाइट पर बिकने वाले फूड प्रोडक्ट्स का सही तरीके से सेगमेंट में रखें. प्रोडक्ट के सही सेगमेंट में नहीं होने से कस्टमर्स गुमराह हो जाते हैं. एनर्जी ड्रिंक की सेल लगभग 50 फीसदी सालाना की दर से बढ़ रही है. युवाओं में इसकी बढ़ती खपत चिंताजनक है. कई शोध में इसके स्वास्थ्य पर गंभीर असर सामने आए हैं. इसलिए इन्हें लेकर एफएसएसएआई भी गंभीर हो गया है.
एफएसएसएआई ने अलग कैटेगरी बनाने के दिए निर्देश
एफएसएसएआई के अनुसार, प्रॉपराइटरी फूड लाइसेंस के तहत आने वाले डेयरी बेस्ड, अनाज बेस्ड और माल्ट बेस्ड पेय पदार्थों को ई-कॉमर्स वेबसाइट पर हेल्थ ड्रिंक या एनर्जी ड्रिंक के नाम से नहीं बेचा जा सकेगा. कंपनियों को इनके लिए अलग कैटेगरी बनानी पड़ेगी. एफएसएसएआई ने स्पष्ट किया है कि हेल्थ ड्रिंक को एफएसएस एक्ट 2006 के तहत कहीं भी परिभाषित नहीं किया गया है. एनर्जी ड्रिंक भी सिर्फ कार्बोनेटेड और कार्बोनेटेड वाटर बेस्ड ड्रिंक्स के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा. प्रॉपराइटरी फूड ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जो खाद्य सुरक्षा और मानक नियमों के दायरे में नहीं हैं. इस कार्रवाई की मदद से प्रोडक्ट्स के बारे में कस्टमर्स को सही जानकारी दी जा सकेगी.