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चीन के समर्थक और भारत के विरोधी राष्ट्रपति मुइज्जू की होगी अग्निपरीक्षा मालदीव के चुनाव पर क्यों है इंडिया की नजर ? जानिए

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President Muizzu, who is pro-China and anti-India, will be tested. Why is India keeping an eye on Maldives’ elections? Learn

भारत में लोकसभा चुनाव 2024 की गहमागहमी चल रही है. पहले चरण की वोटिंग के बाद अब लोगों को बाकी के 6 फेज के मतदान का इंतजार है. इन सबके बीच अपने चुनावों से अलग भारत की नजर पड़ोसी मुल्क मालदीव में आज (21 अप्रैल 2024) हो रहे संसदीय चुनाव पर भी टिकी है.
मालदीव के 20वें संसदीय चुनाव के नतीजे 28 अप्रैल को घोषित किए जा सकते हैं. सूत्रों का कहना है कि प्रारंभिक नतीजे कल (22 अप्रैल 2024) आधी रात तक घोषित हो सकते हैं. कुल 93 सीटों वाले मालदीव संसद में अभी मुइज्जू की सरकार है.

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भारत चाहेगा एमडीपी को मिले जीत

इस चुनाव में मौजूदा राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की शत्रुतापूर्ण भारत नीति, विशेष रूप से हिंद महासागर द्वीपसमूह से भारतीय सैन्य कर्मियों को बाहर निकालने के फैसले का भी इम्तिहान होगा. भारत उम्मीद करेगा कि इस चुनाव में मुख्य विपक्षी दल और भारत समर्थक पार्टी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) को बहुमत मिले.

भारत के लिए इसलिए है महत्वपूर्ण

इस चुनाव को देखें तो यह भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. दरअसल, मोहम्मद मुइज्जू सितंबर 2023 में इब्राहिम सोलिह को हराकर राष्ट्रपति बने थे. भारत विरोधी मुइज्जू ने पद संभालने के बाद वर्षों से चली आ रही परंपरा को तोड़ते हुए पहली यात्रा के लिए भारत की जगह चीन को चुना. यही नहीं, उन्होंने पिछले चुनाव में अपना पूरा प्रचार इंडिया आउट के नाम पर चलाया था. राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने मालदीव से भारतीय सैनिकों को बाहर करने का फैसला किया. उसने चीन से अपनी नजदीकी भी बढ़ाई. अगर मुइज्जू जीतते हैं तो एक बार फिर भारत और मालदीव के संबंध खराब होंगे.

इस महीने ही चीन को दिए हैं कई बड़े ठेके

अपने सुंदर समुद्र तटों और अच्छे रिसॉर्ट्स के लिए दक्षिण एशिया में सबसे महंगे और बेहतरीन टूरिस्ट प्लेस में शामिल मालदीव के साथ तीन महीने पहले भारत के संबंधों में और कड़वाहट आई थी. इस महीने मुइज्जू ने चीन के स्वामित्व वाली कंपनियों को हाई-प्रोफाइल ठेके दिए हैं.

पूर्व विदेश मंत्री ने लगाया यह आरोप

शाहिद जो संयुक्त राष्ट्र महासभा के पूर्व अध्यक्ष भी हैं ने कहा कि ‘मुइज्जू ‘झूठ और नफरत फैलाकर’ सत्ता में आए और सभी विकास परियोजनाएं रोक दी गईं. विपक्ष के हजारों लोगों को नौकरी से निलंबित करने और बर्खास्त करने की धमकी दी गई है. राजनीतिक संबद्धता के आधार पर आवश्यक सेवाओं की डिलीवरी को प्रतिबंधित करने की मांग की जा रही है.’

चीन समर्थक रहे हैं मुइज्जू

उन्होंने मजबूत विधायी निरीक्षण के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि ‘उन्होंने मजबूत विधायी निरीक्षण के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा ‘बर्बादी और भ्रष्टाचार बड़े पैमाने पर है. लोग इस प्रशासन के तहत लोकतांत्रिक मूल्यों और सिद्धांतों की गिरावट को स्पष्ट रूप से देख रहे हैं, और हमें विश्वास है कि वे कल अपने वोट में अपनी प्रतिक्रिया दिखाएंगे.’ मालूम हो कि अक्सर चीन समर्थक नेता के रूप में जाने जाने वाले मुइज्जू ने पिछले साल राष्ट्रपति चुनाव में अपने एमडीपी पूर्ववर्ती इब्राहिम सोलिह को हराया था, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत और चीन के बीच आमने-सामने के रूप में देखा गया था.

चीन के समर्थक और भारत के विरोधी

इस महीने मोहम्मद ,वहीं पूर्ववर्ती इब्राहिम मोहम्मद सोलिह की भारत समर्थक मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के प्रभुत्व वाली वर्तमान संसद द्वीपसमूह की कूटनीति को फिर से व्यवस्थित करने की कोशिश कर रही है. लेकिन इस काम में मुइज्जू प्रशासन लगातार बाधा डजाल रहा है.

मुइज्जू के एक वरिष्ठ सहयोगी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वह भारतीय सैनिकों को वापस भेजने के वादे पर सत्ता में आए थे और वह इस पर काम कर रहे हैं. सत्ता में आने के बाद से संसद उनके साथ सहयोग नहीं कर रही है. मुइज्जू के कार्यालय में आने के बाद से सांसदों ने उनके तीन नामित लोगों को कैबिनेट में शामिल करने से रोक दिया है साथ ही उनके कुछ खर्च प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया है.

किसी एक पार्टी को बहुमत मिलना मुश्किल

मुइज्जू की पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) सहित सभी मुख्य राजनीतिक दलों में विभाजन से किसी एक पार्टी के लिए बहुमत हासिल करना आसान नहीं है. हालांकि इस सप्ताह मुइज्जू की संभावनाओं को उस समय बल मिला जब उनके गुरु यामीन को इस सप्ताह नजरबंदी से रिहा कर दिया गया. राजधानी माले की एक अदालत ने भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में दोबारा सुनवाई का आदेश दिया है जिसमें 2018 में दोबारा चुनाव हारने के बाद यामीन को जेल भेज दिया गया था.

पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन भी हैं भारत विरोधी

यामीन ने भी सत्ता में रहते हुए बीजिंग के साथ करीबी तालमेल का समर्थन किया था लेकिन उनकी सजा के कारण वह पिछले साल का राष्ट्रपति चुनाव अपने दम पर लड़ने में असमर्थ हो गए. इसके बाद उन्होंने मुइज्जू को आगे रखा. गुरुवार को रिहा होने के बाद यामीन ने भारत विरोधी अभियान को जारी रखने की कसम खाई जिससे उनके सहयोगी को जीत में मदद मिली.

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