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15 की उम्र में बना चुके हैं महिलाओं की जान बचाने वाली खास डिवाइस JEE मैन्स में देशभर में सेकंड टॉपर बने वीर,

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At the age of 15, Veer has made a special device that can save the lives of women and became the second topper in the country in JEE Mains.

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर के लाल ने ऑल इंडिया जेईई मेन्स की परीक्षा में परचम लहराया है. किशोर वीर विजयंत नेगी बौरस ने इस परीक्षा में ऑल इंडिया स्तर पर 79वीं रैंक हासिल की है. वहीं, आरक्षित वर्ग में दूसरा स्थान हासिल किया है.
जानकारी के अनुसार, किशोर वीर किन्नौर जिले के ठंगी गांव का रहने वाला है. उन्होंने ऑल इंडिया (एसटी वर्ग) में दूसरे स्थान हासिल किया और प्रदेश और जिला का नाम रोशन किया है. बता दें कि इस वर्ष देशभर में करीब 14 लाख परीक्षार्थियों ने यह परीक्षा दी थी. वीर ने 99.99 प्रतिशत अंक हासिल किए है और वह अब जेईई एडवांस की तैयारी में जुटे हैं.

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वीर विजयंत ने ऑल इंडिया रैंक में पंद्रह राज्य केरला, अरुणाचल प्रदेश, आसाम, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, मेघालय. गोवा, मिजोरम, नागालेण्ड, उडीसा, सिक्किम, त्रिपुरा,मणिपुर उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल, तथा छः केंद्र शासित प्रदेशों अंडमान निकोबार, दादरा नगर हवेली, दियु, जम्मू एवं कश्मीर, लद्दाख, लक्षदीप, पुडुचेरी के टॉपर से बेहतर रैंक हासिल किया है. उधर, राजस्व, बागवानी एवं जनजातीय विकास मंत्री जगत सिंह नेगी ने उनके इस उपलक्ष्य पर किन्नौर का नाम रोशन करने के लिए उन्हें बधाई व शुभकामनाएं दी है.

हिमाचल में किसने किया टॉप

हिमाचल प्रदेश में शिमला शहर के अमृत कौशल ने टॉप किया है. अमृत के अलावा, विशुद्धा सूद ने 99.43 पर्सेंटाइल स्कोर हासिल कर प्रदेश का नाम रोशन किया है. अमृत के पिता डॉ. अंकुर और डॉ. सोनिया निजी क्लीनिक चलाते हैं. अमृत ने सेंट एडवर्ड स्कूल से मैट्रिक और जेसीबी स्कूल न्यू शिमला से 12वीं की पढ़ाई की है.

कंप्यूटर साइंस में बनाना चाहते हैं करियर

17 वर्षीय अर्चित पाटिल का अगला लक्ष्य अब 26 मई को होने वाली जेईई एडवांस्ड परीक्षा पास करना है. वह आगे कंप्यूटर साइंस में अपना करियर बनाना चाहते हैं. उनके पिता डॉ. राहुल पाटिल ने कहा कि हम अर्चित के लिए कुछ विदेशी संस्थानों की तलाश कर रहे हैं.

जेईई टॉप करने के लिए अर्चित का मूलमंत्र

जेईई मेन टॉप करने वाले अर्चित पाटिल की सफलता का मूल मंत्र है निर्धारित शेड्यूल का पालन करना. किसी काम को अधूरा न छोड़ना. वह प्रतिदिन न सिर्फ होमवर्क पूरा करते थे बल्कि सेल्फ स्टडी के लिए भी समय निकालते थे. उनके पिता डॉ. राहुल पाटिल ने कहा कि ट्यूटर्स द्वारा तैयार किए गए शेड्यूल का पालन करने से वह ट्रैक पर रहा. आखिरकार जेईई एक आसान सफर तो होता नहीं. उन्होंने बताया कि अर्चित ने इंटरनेशनल जूनियर साइंस ओलंपियाड में भी हिस्सा लिया था.

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