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CRPF बटालियन पर हमला, मणिपुर में देर रात कुकी उग्रवादियों ने घात लगाकर किया अटैक, 2 जवान शहीद

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CRPF battalion attacked, Kuki militants ambushed in Manipur late night, 2 soldiers martyred

मणिपुर में हिंसा का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. खबर है कि कुकी उग्रवादियों ने शुक्रवार की आधी रात में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल पर हमला कर दिया. इस हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के दो जवान शहीद हो गए हैं. पुलिस ने बताया कि हमला आधी रात को शुरू हुआ और इलाके में 2:15 बजे तक जारी रहा.
पुलिस ने बताया कि शहीद दोनों जवान मणिपुर के बिष्णुपुर जिले के नारानसेना इलाके में तैनात CRPF की 128 वीं बटालियन के थे. बता दें कि यह पहली बार नहीं है कि जब इस तरह से जवानों पर हमला किया गया है. इससे पहले भी कई बार जवानों पर कुकी उग्रवादियों द्वारा हमला किया जा चुका है. मणिपुर से हिंसा की खबरें लगातार आती रहती हैं.

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इस बीच, मणिपुर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी, प्रदीप कुमार झा ने शुक्रवार को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में बाहरी मणिपुर में अधिक मतदान और हिंसा की न्यूनतम घटनाओं पर प्रकाश डाला. मणिपुर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा, “लगभग एक घंटे पहले हमें मिली आखिरी रिपोर्ट तक, मतदान प्रतिशत 75 प्रतिशत के बीच था और कोई बड़ी गड़बड़ी की सूचना नहीं थी.”
इससे पहले, आम चुनाव के पहले चरण के दौरान छत्तीसगढ़ में एक IED विस्फोट में CRPF के एक सहायक कमांडेंट घायल हो गए थे. बीजापुर पुलिस ने बताया कि घटना के वक्त वह भैरमगढ़ के चिहका गांव के पास चुनाव ड्यूटी पर थे.

उपद्रवियों ने 3 जिलों में की फायरिंग

इससे पहले उपद्रवियों ने तीन जिलों कांगपोकपी, उखरूल और इंफाल पूर्व के ट्राइजंक्शन जिले में एक दूसरे पर फायरिंग की. इस गोलीबारी में कुकी समुदाय के 2 लोगों की मौत हो गई. इसके बाद थौबल जिले के हेइरोक और तेंगनौपाल के बीच 2 दिन की क्रॉस फायरिंग के बाद इम्फाल पूर्वी जिले के मोइरंगपुरेल में फिर से हिंसा भड़क उठी. जिसमें कांगपोकपी और इंफाल पूर्व दोनों के हथियारबंद उपद्रवी शामिल थे.

पिछले साल भड़की थी हिंसा

पिछले साल 3 मई को मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के बाद भड़की जातीय हिंसा के बाद से मणिपुर में 180 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं. मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं.

MReF ने कुकी नार्को-आतंकवादियों पर नदियों में जहरीला पदार्थ डालने का आरोप भी लगाया है. इससे पहले कुकी इनपी मणिपुर (KIM) ने कुकी-जो प्रभुत्व वाले क्षेत्रों पर कथित हमले की निष्पक्ष जांच के लिए भारत सरकार से अपील की थी. हालांकि MReF ने हमले के दावे को खारिज किया है.

बता दें कि पिछले साल 3 मई को मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में एक ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ निकाला गया था. इस दौरान भड़की जातीय हिंसा में अब तक 180 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं.

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