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चट्टानों के नमूने और चंद्रमा की धूल के साथ करने जा रहा ये काम,चीन का मून मिशन आज लॉन्‍च, इसमें क्‍या है PAK कनेक्शन?

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This work is going to be done with rock samples and moon dust, China’s Moon mission launched today, what is the PAK connection in this?

चीन ने अपने मून मिशन की शुरुआत शुक्रवार को की. इस मिशन के माध्‍यम से चीन चांद के सबसे दूर और अंधेरे में रहने वाले हिस्‍से पर पहुंचकर वहां से पहली बार मिट्टी के नमूने एकत्र करके उन्हें वैज्ञानिक अध्ययन के लिए पृथ्वी पर लाएगा. चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन (CNSA) के चांग’ई-6 मिशन की शुरुआत शुक्रवार को हो गई है. चीन की स्‍पेस एजेंसी का कहना है कि चंद्रमा के सबसे दूर वाले हिस्से से नमूने एकत्र करने और फिर उन्हें पृथ्वी पर वापस लाने का काम चांद पर खोज करने के इतिहास में अपनी तरह का पहला प्रयास है. इस मिशन में उसका दोस्‍त पाकिस्‍तान भी जुड़ा हुआ है. मन में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर कैसे? आइये हम आपको बताते हैं.
इस मून मिशन को लॉन्ग मार्च-5 Y8 रॉकेट की मदद से ले जाया जाएगा. चीन के दक्षिणी द्वीप प्रांत हैनान के तट से इसे अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया. सरकारी चाइना डेली की एक रिपोर्ट के अनुसार, चांग’ई 6 में चार घटक शामिल हैं: एक ऑर्बिटर, एक लैंडर, एक एसेंडर और एक री-एंट्री मॉड्यूल. बताया जा रहा है क‍ि चीन का मून मिशन चंद्रमा पर धूल और चट्टानों को इकट्ठा करने के बाद उनके नमूनों को मॉड्यूल में स्थानांतरित करने के लिए चांद की कक्षा में ले जाएगा. जिसकी मदद से उसे वापस पृथ्वी पर पाया जाएगा.

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53 दिनों तक चलेगा चांग’ई-6 मिशन

चीन का यह पूरा मिशन 53 दिनों तक चलेगा। चंद्रमा का सुदूर भाग पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है। प्रक्षेपण के एक घंटे बाद, चीनी अधिकारी ने घोषणा की कि चांग’ई-6 का प्रक्षेपण पूरी तरह सफल रहा। चंद्रमा पर रिसर्च के लिए (लॉन्ग मार्च-5 Y8) रॉकेट द्वारा चीन के दक्षिणी द्वीप प्रांत हैनान के तट पर वेनचांग अंतरिक्ष प्रक्षेपण स्थल से आसानी से लॉन्च किया गया। लॉन्च का सरकारी टेलीविजन द्वारा सीधा प्रसारण किया गया।

चार घटक पर आधारित ‘चांग’ ई-6 मिशन

सीएनएसए के अनुसार, चांग’ई 6 में चार घटक शामिल हैं: एक ऑर्बिटर, एक लैंडर, एक एसेंडर और एक पुनः प्रवेश मॉड्यूल। चंद्रमा पर धूल और चट्टानों के नमूनों को इकट्ठा करने के बाद, नमूनों को पुन: प्रवेश मॉड्यूल में स्थानांतरित करने के लिए चंद्र ऑर्बिटर में ले जाएगा। उसके बाद उन्हें वापस पृथ्वी पर लाया जाएगा। सीएनएसए ने पहले कहा था कि मिशन स्वचालित नमूना संग्रह, टेक-ऑफ और चंद्रमा के दूर से चढ़ाई जैसी प्रमुख टेक्नॉलजी में सफलता हासिल करने के लिए तैयार है। इस बीच यह लैंडिंग क्षेत्र का वैज्ञानिक अन्वेषण करेगी।

चीन के मून मिशन में पाकिस्तान का ऑर्बिटर भी शामिल

सीएनएसए ने घोषणा की है कि फ्रांस, इटली और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी/स्वीडन के वैज्ञानिक उपकरण चांग’ई-6 मिशन के लैंडर पर और ऑर्बिटर पर एक पाकिस्तानी पेलोड होंगे। यह पहली बार है कि चीन ने अपने चंद्रमा मिशन में अपने सदाबहार सहयोगी पाकिस्तान के ऑर्बिटर को शामिल किया है।

चीन और पाकिस्तान ने मिलकर तैयार की सैटेलाइट

इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस टेक्नोलॉजी (आईएसटी) के हवाले से पाकिस्तान से आई रिपोर्ट के मुताबिक, सैटेलाइट आईसीयूबीई-क्यू को चीन की शंघाई यूनिवर्सिटी एसजेटीयू और पाकिस्तान की राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी सुपारको के सहयोग से आईएसटी द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है। आईसीयूबीई-क्यू ऑर्बिटर चंद्रमा की सतह की छवि लेने के लिए दो ऑप्टिकल कैमरे ले जाता है।

चीन की चंद्रमा पर चंद्र स्टेशन बनाने की योजना

चांग’ए चंद्र अन्वेषण जांच का नाम चीनी पौराणिक ‘चंद्रमा देवी’ के नाम पर रखा गया है। चांग’ई 5 चंद्रमा के निकट से नमूने लेकर आया। चीनी ने कहा कि नमूनों के विश्लेषण से पता चला कि उनमें चंद्र की धूल में लगे छोटे कणों में पानी था। चीन भविष्य में चंद्रमा पर एक चंद्र स्टेशन बनाने की भी योजना बना रहा है।
बता दें कि हाल ही में भारत ने अपने मिशन मून चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। इसके साथ ही भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र के पास उतरने वाला पहला देश बन गया।

पाकिस्‍तान का पेलोड भी शामिल

सीएनएसए ने घोषणा की है कि फ्रांस, इटली और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और स्वीडन के वैज्ञानिक उपकरण चांग’ई-6 मिशन के लैंडर पर हैं. साथ ही ऑर्बिटर पर एक पाकिस्तानी पेलोड भी है. पाकिस्तान ने चीन मिशन के माध्‍यम से अपने छोटे से चंद्र मिशन का नाम आईक्यूब-कमर रखा है. बता दें कि चीन ने अतीत में चंद्रमा पर मानवरहित मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च किया था, जिसमें एक रोवर को उतारना भी शामिल था. चीन ने भी मंगल ग्रह पर एक रोवर भेजा है. इससे पहले, चीन ने 2030 तक चंद्रमा पर मानवयुक्त लैंडिंग की योजना की घोषणा की थी. भारत पिछले साल चंद्रयान-3 की मदद से चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला देश बन गया था.

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