There was a stir, FIR registered, investigation committee formed, 70 units of plasma stolen from JK Lone Hospital in Jaipur.
राजधानी जयपुर में स्थित जेके लॉन अस्पताल से 70 यूनिट प्लाज्मा चोरी हो गया. प्लाजमा चोरी होने की वारदात सामने आते ही अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया. अस्पताल प्रबंधन में इस संबंध में एमएमएस पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराई है. वहीं मामले की जांच के लिए कमेटी भी गठित कर दी गई है. इसके अलावा ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. सतेंद्र सिंह का तबादला कर दिया गया है. बहरहाल पुलिस पूरे मामले की जांच में जुटी है.
पुलिस के अनुसार सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से अटैच जेके लॉन अस्पताल के ब्लड बैंक से 70 यूनिट प्लाज्मा चोरी हो गया. शनिवार रात को यह इसका पता चला. प्लाज्मा चोरी की घटना सामने आते ही अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया. मामले की अस्पताल प्रशासन के स्तर पर ही जांच पड़ताल शुरू कर दी गई है. इस मामले में ब्लड बैंक के एक टेक्नीशियन किशन सहाय पर प्लाज्मा चोरी का आरोप लगा है. पुलिस केस की सभी पहलुओं से जांच कर रही है.
करीब चार करोड़ रुपये का प्लाज्मा बेचा जाता है
जानकारी के अनुसार अस्पताल प्रशासन की ओर से प्लाज्मा को टेंडर करके फेक्सीनेशन यूनिट को बेचा जाता है. फेक्सीनेशन यूनिट प्लाज्मा से प्रोटीन निकालती है. हर साल एसएसएस मेडिकल कॉलेज से करीब चार करोड़ रुपये का प्लाज्मा बेचा जाता है. एक लीटर प्लाज्मा की कीमत करीब 3900 रुपये होती है. प्लाज्मा चोरी के मामले की गंभीरता को देखते हुए इस संबंध में उच्च स्तर पर अवगत कराया गया.
अस्पताल ने किया कमेटी का गठन
इस मामले के सामने आने के बाद जांच के लिए जेके लोन अस्पताल ने एक हाई लेवल कमेटी बनाई है. कमेटी इस बात की जांच करेगी कि आखिर यह चोरी कब से चल रही थी और क्या इसमें कुछ और लोगों की संलिप्तता है? अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर कैलाश मीणा ने सीनियर प्रोफेसर रामबाबू शर्मा की अध्यक्षता में गठित की है. इस हाई लेवल कमेटी में प्रो० डॉ कपिल गर्ग, आईएचटीएम के एचओडी डॉ बीएस मीणा, अतिरिक्त अधीक्षक डॉ मनीष शर्मा एवं उपाधीक्षक डॉक्टर केके यादव शामिल हैं.
अस्पताल का पूरा प्रशासन शक के घेरे में
प्लाज्मा गंभीर बीमारियों के मरीजों के काम आता है और डॉक्टरों की राय के बाद ही मरीजों को चढ़ाया जाता है. इसलिए अब अस्पताल प्रशासन सवालों के घेरे में है की क्या इतने बड़े अस्पताल के ब्लड बैंक में स्टॉक वेरिफिकेशन की कोई व्यवस्था नहीं थी? इस पूरे मामले में अस्पताल प्रशासन के रवैए पर कई सवाल उठते हैं.
अस्पताल ने पुलिस में नहीं दर्ज करवाई रिपोर्ट
आखिर मामले का खुलासा होने के बाद भी अधीक्षक ने पुलिस में मामला क्यों नहीं दर्ज कराया? प्लाज्मा की अक्सर कमी रहती है ऐसे में ब्लड बैंक प्लाज्मा का रिकॉर्ड क्यों नहीं रख रहा था? 76 बैग का स्टॉक बहुत बड़ा होता है, क्या अकेले टेक्नीशियन इसमें संलिप्त था? सरकारी अस्पतालों में प्लाज्मा फ्री में मिलता है जबकि बाहर इसकी रेट 3000 से ₹4000 तक की है. इसलिए सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या आरोपी प्लाज्मा को निजी ब्लड बैंक की अस्पतालों में बेच रहा था?
आरोपी टेक्नीशियन किशन सहाय को किया सस्पेंड
उसके बाद इस संबंध में पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने के साथ ही स्वास्थ्य विभाग के एसीएस के निर्देश पर इंटरनल जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है. डॉ. सुशील परमार, डॉ. केसरी सिंह शेखावत, वित्तीय सलाहकार सुरेश जैन और ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक को इस कमेटी का सदस्य बनाया गया है. मामले की जांच पूरी होने तक ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. सतेन्द्र सिंह का तबादला कर दिया गया है. आरोपी टेक्नीशियन किशन सहाय को सस्पेंड किया गया है.