This is how India dodged the ‘superpower’ in the 1998 nuclear test. Why did two Indian scientists raise questions on the success of the nuclear test on May 11, 1998 and Dr. Kalam?
11 मई साल का 131वां दिन है और इतिहास में इस दिन के नाम पर बहुत सी घटनाएं दर्ज हैं। वर्ष 2000 में 11 मई के ही दिन भारत की आबादी ने एक अरब का आंकड़ा छू लिया, जब नयी दिल्ली में जन्मी एक बच्ची को देश का एक अरबवां नागरिक घोषित किया गया।
यह दिन देश के इतिहास में एक और खास घटना के साथ दर्ज है। 11 मई 1998 को भारत सरकार ने पोकरण में सफलतापूर्वक परमाणु परीक्षण करने का ऐलान किया था। देश दुनिया के इतिहास में 11 मई की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:-
1752: अमेरिका के फिलाडेल्फिया में अग्नि हानि बीमा पालिसी की शुरूआत की गई। 1784 : अंग्रेजों और मैसूर के शासक टीपू सुल्तान के बीच संधि। 1833 : अमेरिका से क्यूबेक जा रहे जहाज लेडी ऑफ द लेक के हिमखंड से टकराकर अटलांटिक महासागर में डूबने से 215 लोगों की मौत।
1940 : ब्रिटिश ब्राडकास्टिंग सर्विस ने अपनी हिंदी सेवा की शुरूआत की। 1951: राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने नवनिर्मित सोमनाथ मंदिर का उद्घाटन किया। 1962 : सर्वपल्ली राधाकृष्णन को भारत का राष्ट्रपति चुना गया। उन्होंने डा. राजेन्द्र प्रसाद का स्थान लिया। 1965 : बांग्लादेश में चक्रवाती तूफान में 17 हजार लोगों की मौत। 1988 : फ्रांस ने परमाणु परीक्षण किया।
ऑपरेशन शक्ति के तहत लगातार तीन धमाके से दहला था पोखरण
भारत ने अपने परमाणु परीक्षण के लिए खेतोलाई गांव के पास पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज को चुना था. पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम इस पूरे ऑपरेशन के अगुवा थे. 11 मई को तय समय पर खेतोलाई से करीब पांच किमी दूर स्थित फायरिंग रेंज में एक के बाद एक तीन धमाके हुए तो पूरा इलाका दहल उठा. आसमान की ओर बादल का गुबार दिखने लगा और तब पूरे पोखरण के साथ दुनिया को पता चला कि अब भारत परमाणु ताकत वाले देशों की सूची में शामिल हो चुका है. इसके बाद भारत ने 13 मई को भी परमाणु परीक्षण किया था.
अमेरिका न रोकता तो भारत पहले ही कर लेता परीक्षण
यह भारत का दूसरा परमाणु परीक्षण था. इससे पहले 18 मई 1974 को भारत अपना पहला परीक्षण कर चुका था. तब इस ऑपरेशन को नाम दिया गया था स्माइलिंग बुद्धा. इसके साथ ही भारत दुनिया का छठवां देश बन गया था जिसके पास परमाणु बम बनाने की क्षमता थी. हालांकि, इसके लिए और परीक्षणों की जरूरत थी. इसको देखते हुए भारत ने 1995 में एक बार फिर से परीक्षण की योजना बनाई. तब भारत पर सैटेलाइट के जरिए नजर रखने वाले अमेरिका को इसका पता चल गया और उसने दबाव बनाकर परीक्षण नहीं करने दिया.
सैटेलाइट और CIA को चकमा देने के लिए बनी थी गुप्त योजना
ऐसे में भारत ने दोबारा दूसरे परीक्षण की योजना बनाई तो सबकुछ पूरी तरह से गुप्त रखा गया. अमेरिका के सैटेलाइट के साथ ही उसकी खुफिया एजेंसी सीआईए को भी चकमा देने की तैयारी की गई. वैज्ञानिकों ने फौजियों का वेष धारण किया, जिससे सैटेलाइट के जरिए उनको पहचाना न जा सके. सभी वैज्ञानिकों को कोड नाम दिया गया. मिसाइल मैन अब्दुल कलाम को मेजर जनरल पृथ्वीराज के रूप में इस मिशन का अगुवा नियुक्त किया गया. फिर 11 मई को दोपहर 3:45 बजे भारत ने अपना मिशन पूरा कर लिया और परमाणु प्रौद्योगिकी में दुनिया के दादा देशों की कतार में खड़ा हो गया.
आबादी से दूर पोखरण में रेत के बीच बनाए गए थे कुएं
पोखरण को परमाणु परीक्षण के लिए इसलिए चुना गया था, क्योंकि वहां से आबादी बहुत दूर है. दूसरे रेत के बीच परमाणु परीक्षण के लिए कुएं बनाने से रेडिएशन आदि का खतरा भी बेहद कम था. जैसलमेर से पोखरण की दूरी 110 किलोमीटर है, जो जैसलमेर-जोधपुर मार्ग पर महज एक कस्बा है. इसीलिए वहां रेगिस्तान की रेत में बड़े-बड़े कुएं खोदकर उनमें परमाणु बम रखे गए और इन कुओं पर रेत के पहाड़ खड़े कर दिए गए थे. ऊपर से उन्हें ऐसे ढका गया था, जिससे लगे कि सैनिक साज-ओ-सामान है.
अटल बिहारी वाजपेयी ने मौके पर जाकर किया था ऐलान
इसीलिए भारत के परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिकी एजेंसी सीआईए ने स्वीकार किया था कि भारत उसको चकमा देने में सफल रहा. वास्तव में अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए पहले परमाणु परीक्षण के बाद से भारत की हर हरकत पर नजर रख रही थी. अरबों डॉलर खर्च कर चार सैटेलाइट केवल भारत की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए तैनात किए थे. फिर भी ऑपरेशन शक्ति को पकड़ नहीं पाया और भारत ने दुनिया भर में अपनी शक्ति दिखा दी. इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी खुद परीक्षण वाले स्थान पर गए और ऐलान किया कि अब वह परमाणु संपन्न देश है.