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50 रुपए प्रति किलो की दर से होगी खरीद,उत्तराखंड सरकार की पहल ‘पिरूल लाओ-पैसे पाओ’…

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Purchasing will be done at the rate of Rs 50 per kg, Uttarakhand government’s initiative ‘Bring Pirul-Get Money’…

गत दिनों वर्षा से जंगलों में लगी आग पर काबू होने के बाद फिर से आग की घटनाएं सामने आने लगी हैं। लगातार सामने आ रही घटनाओं से प्रशासन से लेकर आम जनता तक परेशान है। एनडीआरएफ व वन विभाग की टीम आग पर काबू पाने में जुटी हुईं हैं।
सीएम धामी भी जंगल की आग पर काबू पाने के लिए समय-समय पर सख्त निर्देश जारी कर रहे हैं। सीएम ने आग पर काबू पाने के लिए आमजन के साथ मिलकर एक अभियान भी चलाया है। सीएम के इस अभियान से वनाग्नि की घटनाएं काफी कम हो गई हैं साथ ही वन क्षेत्र के पास रहने वाले ग्रामीणों की आमदनी भी हो रही है।

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सीएम धामी का ‘पिरुल लाओ, पैसे पाओ’ अभियान

सीएम धामी ने एक्स पर लिखा, ‘जंगलों में आग लगने की घटनाओं का एक प्रमुख कारण पिरुल होता है। जिसके निस्तारण के लिए हम आमजन के साथ मिलकर अभियान चला रहे हैं। ‘पिरुल लाओ, पैसे पाओ’ अभियान के तहत बड़ी संख्या में लोग पिरुल को इकट्ठा कर ₹ 50/किलो की दर से सरकार को बेच रहे हैं। जिसका व्यापक असर भी देखने को मिल रहा है।
इस अभियान से वर्तमान में वनाग्नि की घटनाएं काफी कम हो गई हैं साथ ही वन क्षेत्र के पास रहने वाले ग्रामीणों की आमदनी भी हो रही है।’

गुमांई व गंगोटी के जंगल भी प्रभावित

मंगलवार को तमलाग गांव से सटे जंगलों में सुलगती आग से गुमांई व गंगोटी वन क्षेत्र भी कुछ हद तक प्रभावित हुआ। जंगल में लगी आग को बुझान के लिए एनडीआरएफ व वन विभाग की टीम जुटी रही।

डीएफओ स्वप्निल अनिरुद्ध ने बताया कि अदवाणी नार्थ व साऊथ क्षेत्र में बीती देर सायं को सेटेलाइट डेटा के आधार पर आग की घटना की सूचना मिली। आग तमलाग के जंगलों में फैल गई तथा सिविल वन क्षेत्र से होते हुए आग बेकाबू होकर रिजर्व फारेस्ट की ओर बढ़ गई, जिससे कि गुमांई व गंगोटी के जंगल भी प्रभावित हो गए।

एप बनेगा मददगार

पीसीबी के सदस्य सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर योजना को तैयार किया जा रहा है. इसमें पीसीबी पिरूल को खरीदने की योजना के नियम और शर्तों को तैयार कर रहा है. इस योजना में एप का इस्तेमाल होगा. पिरूल को खरीद कर निकट के रेंज कार्यालय लाया जाएगा. यहां पर एक गोदाम बनाया जाएगा. रेंज कार्यालय में पिरूल की तौल होगी. उसके माध्यम से तैयार किए जाने वाले एप में पिरूल विक्रेता के नाम, बैंक खाता संख्या, आधार की सूचना समेत अन्य डिटेल को भरा जाएगा. इसमें फोटोग्राफ भी अपलोड होगा. एप में सूचना भरने के बाद डिटेल पीसीबी के पास पहुंचेगी. फिर उसका सत्यापन किया जाएगा. फिर पिरूल की मात्रा के हिसाब से संबंधित विक्रेता के खाते में 24 घंटे में राशि पहुंच जाएगी. बताया कि अभी एप को तैयार करने का काम चल रहा है.

पर्यावरण के साथ लोगो को भी होगा फायदा

प्रदेश में नवंबर-2023 से 14 अप्रैल तक 1065 बार जंगलों में आग लगने की दुर्घटना हो चुकी है. जिसमें 1439 हेक्टेयर की वन संपदा को नुकसान पहुंचा. जंगल की आग से पर्यावरण को काफी नुकसान हुआ है. डॉ धकाते कहते हैं कि अगर जंगल की आग कम होती है तो इससे पर्यावरण को भी लाभ होगा. इसके अलावा पिरूल की बिक्री से लोगों के पास आय का एक विकल्प भी बढ़ेगा. आर्थिक मजबूती में यह फायदे मंद साबित होगी.

 

 

 

 

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