Home Blog ये कहानी है देश के सबसे बड़े बैंकिंग फ्रॉड की,17 बैंक 34000...

ये कहानी है देश के सबसे बड़े बैंकिंग फ्रॉड की,17 बैंक 34000 करोड़ के बैंक घोटाले में DHFL के पूर्व डायरेक्टर को CBI ने किया गिरफ्तार

0

This is the story of the country’s biggest banking fraud, CBI arrested the former director of DHFL in the bank scam of 17 banks worth Rs 34000 crore.

पिछले 20-30 वर्षों में देश में कई बड़े कॉरपोरेट घोटाले हुए हैं. इनमें कई कारोबारियों की जालसाजी का पर्दाफाश हुआ. स्कैम की इसी लिस्ट में नाम आता है DHFL घोटाले का, जिसके पूर्व डायरेक्टर धीरज वधावन को 34,000 करोड़ के बैंक फ्रॉड केस में सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया गया है. एजेंसी के अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि वधावन को 13 मई की शाम को मुंबई से हिरासत में लिया गया. गिरफ्तारी के बाद धीरज वधावन को दिल्ली की एक स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
सीबीआई ने 17 बैंकों के कंसोर्टियम से 34,000 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी को लेकर डीएचएफएल के खिलाफ मामला दर्ज किया था. बताया जाता है कि यह देश में सबसे बड़ा बैंकिंग लोन स्कैम था. आइये आपको बताते हैं 34,000 करोड़ के इस घोटाले ने बैंकों के साथ-साथ आम लोगों को किस तरह नुकसान पहुंचाया.

RO NO - 12784/140

क्या था DHFL घोटाला

DHFL यानी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड, इसके प्रमोटर्स कपिल और धीरज वधावन समेत अन्य लोगों ने 34,000 करोड़ के बैंक फ्रॉड को अंजाम दिया था. सीबीआई द्वारा चार्जशीट के अनुसार, इन लोगों पर आपराधिक साजिश में शामिल होने, तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने और छिपाने, आपराधिक विश्वासघात करने व सार्वजनिक धन का दुरुपयोग करने का आरोप है. इन लोगों ने मई 2019 से लोन पेमेंट में चूक करके कंसोर्टियम को 34,615 करोड़ रुपये का चूना लगाया गया.
सीबीआई ने कंपनी पर वित्तीय अनियमितता, फंड डायवर्जन, रिकॉर्ड में हेराफेरी करने और सार्वजनिक धन का उपयोग करके “कपिल और धीरज वधावन के लिए संपत्ति बनाने” के लिए सर्कुलर लेनदेन में शामिल होने का आरोप लगाया है. अधिकारियों के अनुसार, डीएचएफएल लोन अकाउंट्स को विभिन्न बैंकों द्वारा अलग-अलग अंतराल पर NPA के रूप में वर्गीकृत किया गया था.

कैसे हुआ घोटाले का पर्दाफाश

जनवरी 2019 में फंड डायवर्जन के आरोपों को लेकर मीडिया में खबरें चलीं. जांच के दायरे में आने के बाद डीएचएफएल के धीरज और कपिल वधावन के बुरे दिनों की उल्टी गिनती शुरू हो गई. 1 फरवरी, 2019 को बैंकों ने एक बैठक बुलाई और 1 अप्रैल, 2015 से 31 दिसंबर, 2018 तक डीएचएफएल का “स्पेशल रिव्यू ऑडिट” कराया गया.

इस ऑडिट रिपोर्ट पता चला कि डीएचएफएल और उसके निदेशकों से जुड़ी संबंधित संस्थाओं और व्यक्तियों को दिए गए लोन और एडवांस अमाउंट का दुरुपयोग किया. डीएचएफएल प्रमोटरों से जुड़ी 66 संस्थाओं को 29,100 करोड़ रुपये का वितरण किया गया. इनमें से अधिकांश लेनदेन में जमीन और संपत्तियों में निवेश शामिल था.

शेयरों की गिरावट से मचा हड़कंप

इस घोटाले का खुलासा 2019 में हुआ लेकिन डीएचएफएल के दिवालिया होने की खबरें 2018 में ही सामने आने लगी थी. डीएचएफल के डिफॉल्ट होने की खबर के चलते 21 सितंबर 2018 में कंपनी के शेयर भर भराकर गिर गए. यह गिरावट इतनी बड़ी और गहरी थी कि एक दिन में डीएचएफएल के शेयर 60 फीसदी तक टूट गए. डीएचएफएल प्रमोटर्स कपिल वधावन और धीरज वधावन के कारनामों को लेकर आगे खुलासे होते रहे और कंपनी के शेयरों में गिरावट गहराती गई. आखिरकार जून 2021 में डीएचएफल के शेयर मार्केट से डी लिस्ट यानी शेयर बाजार से बाहर हो गए.

सबसे बड़ा बैंकिंग फ्रॉड

34,000 करोड़ रुपये की 17 बैंकों की कंसोर्टियम से धोखाधड़ी के मामले में सीबीआई पहले ही मामला दर्ज कर चुकी है. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया इस बैंकों की कंसोर्टियम की अगुवाई कर रही है. बैंक फ्रॉड मामले में सीबीआई की चार्जशीट में 2022 में ही धीरज वधावन के नाम को शामिल कर लिया गया था. वहीं, देश के बैंकिंग इतिहास का इसे सबसे बड़ा फ्रॉड माना जाता है. इससे पहले भी सीबीआई धीरज वधावन को यस बैंक घोटाले मामले में गिरफ्तार कर चुकी थी और इस मामले में फिलहाल वो जमानत पर था.

17 बैंकों से फ्रॉड का आरोप

सीबीआई ने नई दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल कोर्ट में डीएचएफएल के तबके सीएमडी कपिल वधावन और डायरेक्टर धीरज वधावन समेत कुल 74 लोगों और 57 कंपनियों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया था. इनपर 17 बैंकों के साथ फ्रॉड करने का आरोप है. चार्जशीट में सीईओ हरशिल मेहता के नाम को भी शामिल किया गया था.

DHFL की बुक्स में हेराफेरी

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर जो एपआईआर दर्ज की गई उसमें कहा गया कि डीएचएफएल के कपिल वधावन धीरज वधावन जो कि डायरेक्टर था उसने दूसरे आरोपियों के साथ मिलकर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले 17 बैंकों को कंसोर्टियम के साथ फ्रॉड को अंजाम देने के लिए आपराधिक साजिश रची और इन बैंकों पर 42,871.42 करोड़ रुपये कर्ज देने को कहा. कर्ज के हिस्से की बड़ी रकम को निकालकर उसका दुरुउपयोग किया गया. सीबीआई के मुताबिक डीएचएफएल के बुक्स में हेराफेरी की गई. शिकायत में ये आरोप लगाया गया कि 31 जुलाई, 2020 तक बकाये रकम के 17 बैंको के कंसोर्टियम को 34615 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

देश का सबसे बड़ा बैंकिंग फ्रॉड

धीरज वधावन (Dheeraj Wadhawan) को पहले एजेंसी ने यस बैंक भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार किया था और वह जमानत पर थे। सीबीआई ने 17 बैंकों के कंसोर्टियम से ₹34,000 करोड़ की कथित धोखाधड़ी से संबंधित DHFL मामला दर्ज किया था। यह देश में सबसे बड़ा बैंकिंग फ्रॉड है। CBI ने नई दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल कोर्ट में डीएचएफएल के उस समय के सीएमडी कपिल वधावन और डायरेक्टर धीरज वधावन समेत कुल 74 लोगों और 57 कंपनियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। इन सभी पर 17 बैंकों के साथ फ्रॉड करने का आरोप लगायाहै। चार्जशीट में CEO हरशिल मेहता के नाम को भी शामिल किया गया था।

ये है मामला

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (Union Bank of India) की शिकायत पर जो FIR दर्ज की गई उसमें कहा गया कि डीएचएफएल के कपिल वधावन धीरज वधावन जो कि डायरेक्टर था उसने दूसरे आरोपियों के साथ मिलकर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले 17 बैंकों को कंसोर्टियम के साथ फ्रॉड को अंजाम देने के लिए आपराधिक साजिश रची और इन बैंकों पर 42,871.42 करोड़ रुपये कर्ज देने को कहा। कर्ज के हिस्से के बड़े रकम को निकालकर उसका दुरुउपयोग किया। CBI के मुताबिक 31 जुलाई, 2020 तक बकाये रकम के 17 बैंको के कंसोर्टियम को 34615 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here