Big decision of the court on the Bhatti incident in Rajasthan: Minor was gang-raped and burnt alive in the furnace, two criminals were given death sentence.
जयपुर। राजस्थान में चर्चित जघन्य भट्टी कांड में पोक्सो कोर्ट ने दो दोषीयों को फांसी की सजा सुनाई है। शाहपुरा जिले के कोटड़ी में नाबालिग से गैंगरेप कर भट्ठी में जलाने के मामले में दो दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। भीलवाड़ा पॉक्सो कोर्ट 2 ने दो दिन पहले 9 में से दो मुख्य आरोपी कालू और कान्हा को दोषी करार दिया था। जबकि सात आरोपियों को बरी कर दिया था। कोर्ट ने फैसला सोमवार तक के लिए सुरक्षित रख लिया था। आज कोर्ट ने कालू और कान्हा को फांसी की सजा सुनाई है।
लोक अभियोजक महावीर किसनावत ने बताया कि नाबालिग लड़की को पिछले साल अगस्त में गैंगरेप के बाद कोयले की भट्ठी में जिंदा जला दिया गया था। पुलिस ने एक महीने के अंदर 473 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए थे। कोर्ट ने भी इस हत्याकांड को जघन्य अपराध माना है। सुनवाई के दौरान कोर्ट में पीड़िता के माता-पिता भी मौजूद रहे। जिन सात आरोपियों को बरी किया है। उनमें दोनों दोषियों की पत्नी, मां, बहन और अन्य शामिल हैं।
बता दें कि शाहपुरा के कोटड़ी थाना इलाके के एक गांव में यह वारदात हुई थी। लड़की 14 साल की थी। उसके पिता ने वारदात से 4 महीने पहले कान्हा और कालू नाम के दो भाइयों को खेत किराए पर दिया था। वे खेत से 1 किलोमीटर दूर कोयला भट्ठी के पास झोपड़ी बनाकर रहने लगे। 2 महीने पहले से लड़की पर दोनों भाइयों की गलत नजर थी। 2 अगस्त 2023 को लड़की का परिवार रिश्तेदारी में गया था। लड़की सुबह 9 बजे तीन बकरियों को चराने निकली थी। दोनों भाई उसका मुंह दबाकर भट्ठी के पीछे ले गए और 4 घंटे तक गैंगरेप किया। उसके बाद भट्टी में फेंककर हत्या कर दी थी।
कोयला भट्ठी में मिले थे लड़की के अवशेष
मवेशी चराने गई 14 वर्षीय लड़की पिछले साल 2 अगस्त को लापता हो गई थी। दोनों युवकों ने लड़की के साथ दुष्कर्म किया और उसे कोयले की भट्ठी में जिंदा जला दिया था। परिवार और ग्रामीणों ने लड़की को जगह-जगह ढूंढा, बाद में भट्ठी में उसका एक चांदी का कड़ा मिला और फिर उसके अवेशष भी मिले थे।
विशेष लोक अभियोजक महावीर सिंह किशनावत के अनुसार, अभियोजन पक्ष ने 43 गवाहों के बयान पेश किए थे। इनमें से 42 ने साक्ष्य का समर्थन किया था।
मामले में 473 पन्नों की आरोपपत्र दायर किया गया था। पिछले 10 महीने से मामले की सुनवाई चल रही थी। केस की जांच तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक श्याम सुंदर बिश्नोई ने की और एडीजी (अपराध) दिनेश एमएन और अजमेर रेंज आईजी लता मनोज द्वारा निगरानी की गई थी।