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देवदूत बने ये लोग, जान पर खेलकर बच्चों को निकाला जब धूं-धूंकर जल रहा था अस्पताल, चारों तरफ थी आग की लपटें,

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These people became angels, they risked their lives to rescue the children when the hospital was burning, there were flames all around.

देश की राजधानी दिल्ली में शनिवार को एक भयानक हादसा हुआ. विवेक विहार के बेबी केयर अस्पताल में शनिवार रात आग लग गई. जिस समय यह आग लगी उस समय अस्पताल में बच्चों का इलाज चल रहा था. इस हादसे में 7 बच्चों की मौत हो गई. मौत की संख्या और बढ़ सकती थी लेकिन कुछ लोग देवदूत बनकर आए और जान की बाजी लगाकर बच्चों को बचाया. आइए इस खबर में उन्हीं लोगों के बारे में जानते हैं.
प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि स्थानीय निवासी और एक गैर-लाभकारी संस्था शहीद सेवा दल के सदस्य मदद के लिए सबसे पहले आगे आए. निवासियों का एक ग्रुप पीछे की ओर से बिल्डिंग पर चढ़ गया और कुछ नवजात शिशुओं को बचाया. वे जल्द ही अग्निशमन विभाग के अधिकारियों और पुलिस से जुड़ गए.

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अस्पताल के बगल में अवैध ऑक्सीजन रिफिलिंग सिलेंडर का होता था काम

सेवा दल के एक सदस्य ने आरोप लगाया कि इमारत में आग लगने के तुरंत बाद अस्पताल के कर्मचारी भाग गए. एक अन्य निवासी मुकेश बंसल ने आरोप लगाया कि इमारत में अवैध ऑक्सीजन रिफिलिंग सिलेंडर का काम चल रहा था. बंसल ने आरोप लगाते हुए आगे कहा कि ‘हमने स्थानीय पार्षद से भी इसकी शिकायत की थी. लेकिन कुछ नहीं किया गया. यह सब पुलिस की नाक के नीचे हो रहा था.’

देवदूत बने पद्मश्री जितेंद्र शंटी

देवदूत में एक नाम पद्मश्री जितेंद्र शंटी का है. आग की सूचना मिलते ही शंटी अपने संगठन की ऑक्सीजन वाली एंबुलेंस लेकर अस्पताल पहुंचे. जान की परवाह किए बिना वह दमकल कर्मियों के साथ अस्पताल की खिड़की तोड़कर अंदर पहुंचे और बच्चों को कंबल में लपेटकर बाहर निकाला. समय रहते उन्होंने बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया.

अस्पताल के अंदर सामने आईं ये 5 बड़ी खामियां

दिल्ली पुलिस ने बच्चों के अस्पताल में हुए अग्निकांड को लेकर कई अहम खुलासे किए। जांच में पाया गया कि अस्पताल में आग से सेफ्टी के पर्याप्त उपाय नहीं थे। इसके अलावा हॉस्पिटल में क्षमता से ज्यादा मरीज थे, इसी वजह से ये भीषण त्रासदी हुई। पुलिस ने आग लगने के सही कारण का पता लगाने और चूक के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराने के लिए घटना की गहन जांच शुरू कर दी है। अस्पताल प्रबंधन भी अपने मरीजों और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में लापरवाही के लिए जांच के दायरे में है। बेबी केयर न्यू बोर्न चाइल्ड हॉस्पिटल को जारी किया गया लाइसेंस 31 मार्च को समाप्त हो गया था। लाइसेंस केवल 5 बेड के लिए था, लेकिन घटना के समय अस्पताल में 12 नवजात बच्चे भर्ती थे। हॉस्पिटल में मौजूद डॉक्टर, नवजात बच्चों को नियो-नेटल इंसेंटिव केयर की जरूरत होने पर इलाज करने के लिए योग्य नहीं थे, क्योंकि वे केवल BAMS डिग्री धारक हैं।

अग्निकांड में मजिस्ट्रेट जांच के आदेश

दिल्ली सरकार ने इस अग्निकांड की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए है। आग ने न केवल अस्पताल को अपनी चपेट में ले लिया था, बल्कि बगल की इमारत में एक बुटीक, एक निजी बैंक, एक चश्मे का शोरूम और दूसरी इमारत में घरेलू सामान बेचने वाली एक दुकान को भी अपनी चपेट में ले लिया था। इसके अलावा, एक स्कूटर, एक एम्बुलेंस और पास के पार्क के एक हिस्से में भी आग लग गई थी। इतनी भीषण त्रासदी के बावजूद वहां जुटी भीड़ के रवैये पर सवाल उठ रहे। ऐसा इसलिए क्योंकि स्थानीय लोग पार्क और इमारत के बीच खड़े होकर घटना का वीडियो बना रहे थे। अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि इस तरह के ऑपरेशन के दौरान सबसे बड़ी चुनौती है वहां मौजूद लोगों को नियंत्रित करना।

इस वजह से भयावह हुआ ये हादसा

आग लगने की स्थिति में अस्पताल में कोई अग्निशामक यंत्र नहीं लगा था। किसी भी आपात स्थिति के लिए अस्पताल में आपातकालीन निकास की व्यवस्था नहीं थी। दिल्ली फायर ब्रिगेड सर्विस के अधिकारियों के अनुसार, शनिवार रात करीब 11.30 बजे विवेक विहार स्थित बेबी केयर न्यू बोर्न अस्पताल में आग लगी और देखते ही देखते यह दो पड़ोसी इमारतों में फैल गई। हालांकि, अस्पताल से बारह नवजात शिशुओं को सफलतापूर्वक बचा लिया गया, लेकिन दुर्भाग्य से, उनमें से सात की आग में जलकर मौत हो गई। अस्पताल की दो मंजिला इमारत में ऑक्सीजन सिलेंडर लगे हुए थे, जो भीषण गर्मी के कारण फट गए, जिससे आस-पास की इमारतों को नुकसान पहुंचा।

जब आग लगी थी तो लोग बना रहे थे वीडियो

समाचार एजेंसी पीटीआई ने दिल्ली अग्निशमन सेवा के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया कि घटनास्थल पर कई लोग जमा हो गए थे और आग का वीडियो बना रहे थे। उनमें से कई लोग आग बुझाने की कोशिश कर रहे लोगों के करीब भी आ गए। अधिकारी ने लोगों को चल रहे अग्निशमन अभियानों से सुरक्षित दूरी बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आग बुझाने का काम करने वाले लोग प्रभावी ढंग से ऐसा कर सकें। एक और समस्या जो उन्हें झेलनी पड़ी, वह थी पानी की कमी और नीचे लटकते बिजली के तार। दिल्ली फायर ब्रिगेड सर्विस जांच कर रही है कि इमारत के पास वैध एनओसी था या नहीं।

 

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