The High Court granted bail to Sharjeel Imam, who was jailed in the Delhi riots case, for threatening to cut off Assam and the Northeast from the country.
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में साल 2020 में हुए दंगों के केस में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में जेल में बंद जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने शरजील इमाम को वैधानिक जमानत दे दी है। शरजील ने मामले में सात साल की अधिकतम सजा की आधी सजा काट लेने का हवाला देकर जमानत मांगी थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।
शरजील इमाम पर जामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सीएए के विरोध में चल रहे प्रदर्शनों में भड़काऊ भाषण देने का आरोप है।
2019 में दिए थे भाषण
शरजील ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जिसमें उसे अधिकतम सजा की आधी से ज्यादा सजा काट लेने के बाद भी बेल देने से इनकार कर दिया था।
जस्टिस सुरेश कुमार कैत और मनोज जैन की पीठ ने शरजील की याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली है।
दिल्ली पुलिस के अनुसार, इमाम ने कथित तौर पर 13 दिसंबर, 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया में और 16 दिसंबर, 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भाषण दिया, जहां उन्होंने असम और शेष उत्तर पूर्व को देश से काटने की धमकी दी।
सवा चार साल से हिरासत में है शरजील
शरजील इमाम शुरुआत में राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था। बाद में शरजील पर यूएपीए की धारा 13 लगा दी गई। वह इस मामले में 28 जनवरी, 2020 को गिरफ्तार किया गया था।
क्या बोले शरीजल इमाम के वकील?
जनसत्ता.कॉम के साथ बात करते हुए शरजील इमाम के वकील एडवोकेट तालिब मुस्तफा ने बताया कि इमाम को यह बेल कथित राजद्रोह से जुड़े भाषणों क मामले में मिली है।
इमाम पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच द्वारा दर्ज एफआईआर 22/2020 के तहत मामला दर्ज किया गया था। हालांकि, शुरू में राजद्रोह के अपराध के लिए मामला दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में यूएपीए की धारा 13 लगाई गई थी। वह 28 जनवरी, 2020 से इस मामले में हिरासत में है। अब कोर्ट ने उन्हें इस मामले में जमानत दे दी है।
शरजील इमाम के वकील ने बताया कि दिल्ली दंगों से जुड़ा एक और मामला (FIR 59) उनके ऊपर है, जिसपर सुनवाई जुलाई में होनी है। मुस्तफा ने कहा,”यह एक लंबी लड़ाई थी, अब हमें उम्मीद है कि एक आखिरी मामले में भी उन्हें बेल मिल जाएगी, हम काफी पॉज़िटिव होकर काम कर रहे हैं।”
इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने इस मामले को खारिज कर दिया था, तब ट्रायल कोर्ट ने कहा था, “हालांकि आवेदक ने किसी को हथियार उठाने और लोगों को मारने के लिए नहीं कहा था, लेकिन उसके भाषणों और गतिविधियों ने लोगों को संगठित किया, जिससे शहर में अशांति फैल गई और यह दंगों के भड़कने का मुख्य कारण हो सकता है।”
लाइव लॉ के मुताबिक पिछले साल जून में शरजील इमाम ने दिसंबर 2019 में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में दिए गए एक ही भाषण के लिए दो अलग-अलग मामलों में उनके खिलाफ कार्यवाही को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था।