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खिला कमल, जोधपुर में फिर से गजेन्द्र सिंह शेखावत की जीत की हैट्रिक, 500 साल पुराने मंदिर में लिया भवानी का आशीर्वाद

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Lotus bloomed, Gajendra Singh Shekhawat again won a hat-trick of victory in Jodhpur, took the blessings of Bhavani in a 500-year-old temple

जोधपुर. लोकसभा के चुनाव परिणाम में जोधपुर सीट से गजेंद्र सिंह शेखावत ने लगातार तीसरी बार चुनाव जीत कर हैट्रिक बना ली है. शेखावत जोधपुर में ऐसा करने वाले अशोक गहलोत के बाद दूसरे सांसद हैं. शेखावत ने 1 लाख 14 हजार से अधिक मतों से जीत की हैट्रिक बनाई है, जबकि पिछले चुनाव में वो 2 लाख 74 हजार मतों से जीते थे. इसकी बड़ी वजह राजपूत बाहुल्य क्षेत्रों में शेखावत के पक्ष में एक तरफा मतदान नहीं होना बताया जा रहा है. कांग्रेस प्रत्याशी करण सिंह उचियारडा ने शेखावत को इस चुनाव में कड़ी टक्कर दी.
चुनाव जीतने के बाद गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि “जोधपुर की जीत यहां की जनता ने प्रधानमंत्री मोदी को समर्पित की है. इसके लिए भाजपा के नेता और कार्यकर्ताओं ने जो मेहनत की है, मैं उनका धन्यवाद ज्ञापित करता हूं. शेखावत ने कहा कि देश की जनता ने सनातन विरोधियों को सबक सिखाया है. गुरु गोविंद सिंह जी ने कहा था कि जो धर्म के साथ रहता है, ईश्वर उसके साथ रहता है. नरेंद्र मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनेंगे.”
केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत का जोधपुर लोकसभा क्षेत्र से ये तीसरा चुनाव था. तीसरी बार भी जनता ने उन्हें 1,15,003 से अधिक मतों के अंतर से चुनाव जिता दिया. कांग्रेस प्रत्याशी करणसिंह उचियारडा को पटखनी देकर उन्होंने जीत हासिल की. पहले भी दो बार सांसद रहते हुए शेखावत ने केन्द्रीय मंत्री के रूप में अपना दायित्व निभाया है. शेखावत की जीत से जोधपुर में भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं में उत्साह है.

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राजपूतों की नारजगी आई सामने

गजेंद्र सिंह शेखावत राजपूत बाहुल्य इलाकों में इस बार पीछे रहे हैं, जो बताता है कि शेखावत को उनकी नाराजगी झेलनी पड़ी है. पोकरण और शेरगढ़ में पिछड़ने का साफ अर्थ लगाया जा रहा है कि विधायक बाबूसिंह राठौड़ का उनको पूरा सहयेाग नहीं मिला. इसी तरह से लूणी में बडी संख्या में राजपूत हैं, जिसके चलते पिछली बार शेखावत को 69 हजार की बढ़त मिली थी, जो इस बार बहुत कम रह गई.

कांग्रेस से छीनी थी सीट

जोधपुर सीट पर 2014 से बीजेपी का कब्जा है. 2014 के चुनावों से पहले इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा था. कांग्रेस उम्मीदवार यहां से 8 बार जीत कर संसद पहुंच चुके हैं. बीजेपी की झोली में भी यह सीट 5 बार गिरी. जहां तक चुनावी समीकरणों की बात है, ठाकुर बाहुल्य इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी लगभग बराबर दमखम रखती हैं. चूंकि यहां मुस्लिम वोटर निर्णायक होते हैं, इसलिए यह सीट कभी कांग्रेस तो कभी दूसरी पार्टियों के खाते में चली जाती है.

पूर्व सीएम के पुत्र को भी दे चुके पटखनी

साल 2019 में भी इस सीट पर काफी रोचक मुकाबला था. शेखावत कांग्रेस के टिकट पर उतरे पूर्व सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को करीब दो लाख 74 हजार वोटों से हरा चुके हैं. उस चुनाव में शेखावत को करीब 7 लाख 88 हजार वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार वैभव गहलोत महज 5 लाख 14 हजार वोटों पर सिमट गए थे. इस सीट पर बीएसपी ने भी अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन इस पार्टी के खाते में महज 11 हजार वोट आए, जबकि इससे ज्यादा नोटा को पड़े थे.

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