The lives of the villagers have become difficult due to the dust and smoke from the coal fire at the private coal depot in Bhaneshar village near Jayaramnagar station.
मस्तूरी क्षेत्र के जयरामनगर रेलवे स्टेशन के समीप ग्राम पंचायत भनेशर में तीन निजी कोल डिपो संचालित है
धूल और धुएं के प्रदूषण से लोगों का जीना हुआ दूभर
भनेसर के कोल डिपो के कोयला ढुलाई में लगी निजी कंपनियों की उदासीनता के चलते आसपास के रहवासियों का प्रदूषण के चलते जीना दूभर हो गया है। ढुलाई स्थलों पर कोयले के ढेर में लगी आग से निकल रहे जहरीले धुंए एवं धूल के गुब्बार से ग्रामीणों का जीना दूभर हो गया है जिससे क्षेत्रवासी परेशान हैं।
प्रदूषण से बचाव के लिए लगाए गए पेड़ पौधे भी आ रहे चपेट में
वहीं प्रदूषण से बचाव हेतु लगाये गये पेड़-पौधे भी कोयले के धुएं और धूल की चपेट में आकर खाक होते जा रहे हैं।
कोल परियोजनाओं से आक्सन के तहत निजी कंपनी कोयला खरीद कर उसे परिवहन करने हेतु किसी निर्धारित स्थल पर एकत्रित करती है। निजी कम्पनियों द्वारा रेलमार्ग से कोयला परिवहन करने के लिए जगह-जगह कोल यार्ड बनाया गया है। कोल परियोजनाओं द्वारा प्रदूषण से बचाव हेतु शासन की ओर से लाखों रूपये खर्च करके पेड़-पौधे लगाये जाते हैं। जिसे अनदेखा कर निजी कंपनी द्वारा जमीन को समतल कर कोलयार्ड को भी बढ़ाया जा रहा है। कोलयार्ड से निकल रहे गत कई दिनों से कोयले की ढेर में आग लगा हुआ है, जो दिन-रात जल रहा है। इनसे निकल रहे जहरीले धुंए से ग्रामीण जनों को खोखरी व आसपास के रहवासियों का सांस लेना दूभर हो गया है। कोयले के ढेर में लगी आग के धुएं एवं धूल से आसपास के पेड़-पौधे भी झुलस कर सिमटते चले जा रहे हैं। प्रदूषण से बचाव के लिए लगाए गए पेड़-पौधों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। निजी कंपनी अपनी कार्ययोजना को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए किसी हद तक जाकर निडर होकर कार्य कर रही है। ग्रामवासियों ने परियोजना प्रबंधन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समेत शासन-प्रशासन के अधिकारियों से आग्रह किया है कि धूल-धुंआ से बचाव एवं सिमट रहे पेड़ पौधे के बचाव की ओर समुचित कदम उठावे।
ग्रामीण विकास बंजारे सोनल रामेश्वर सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि कोल डीपो के कोयले के धूल के गुब्बार और धुएं के कारण खांसी के साथ सांस लेने में तकलीफ होने लगी है घर के भोजन सामग्रियों में धूल के कारण भोजन भी प्रदूषित हो जाती है यह कोयले में आग काफ़ी लंबे समय लगी हुई है लेकिन संचालक इस ओर ध्यान ही नहीं दे रहे है।
खनिज इंस्पेक्टर पद्मिनी को फोन लगाने पर उन्होंने फोन ही रिसीव नहीं किया।
मस्तूरी एसडीएम अमित सिन्हा ने कहा कि मैं जल्द ही जांच करवाता हूं।