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गर्भगृह में जल निकासी की प्रॉब्‍लम… ‘राम मंदिर के गर्भगृह में टपक रहा बरसात का पानी’, मुख्य पुजारी के दावे पर निर्माण समिति ने दिया स्पष्टीकरण

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Water drainage problem in the sanctum sanctorum… ‘Rainwater is dripping into the sanctum sanctorum of Ram temple’, the construction committee gave clarification on the claim of the chief priest

अयोध्या। भव्यता का प्रतिमान गढ़ने वाले नवनिर्मित राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान रामलला पर बरसात का पानी टपकने की शिकायत व्यापक गहमागहमी पैदा करने वाली रही। मीडिया से साझा की गई यह चिंता किसी और की नहीं, बल्कि रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास की थी। ऐसे में जहां यह चिंता राम भक्तों को व्यथित करने वाली थी, वहीं इस शिकायत पर रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से प्रस्तुत स्पष्टीकरण भक्तों की यह व्यथा दूर करने वाला है।
गर्भगृह की छत टपकने की समस्या पर सबसे पहले तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य एवं राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने अपनी राय रखी। उन्होंने स्पष्ट किया कि पानी टपकने की बातें निराधार हैं।

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मंदिर निर्माण में कोई खामी नहीं

उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण समिति करोड़ों रामभक्तों को आश्वस्त करना चाहती है कि मंदिर निर्माण में कोई खामी नहीं है और न ही कोई लापरवाही बरती गई है। हां यह संभव है कि मंदिर के द्वितीय तल पर गूढ़ मंडप का निर्माण अभी चल रहा है और उसका शिखर पूरी तरह से निर्मित न होने तक पानी की कुछ छींटे भूतल तक आ गई होंगी, लेकिन पानी टपकने की बात गलत है। गर्भगृह में जलनिकासी की व्यवस्था न होने पर भी मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष की सफाई सामने आई।

उन्होंने कहा, भक्तों को भगवान तक जल लेकर जाने की अनुमति ही नहीं है। गर्भगृह में जब भगवान का अभिषेक, स्नान और आचमन होता है, तो पुजारी उसे कपड़े से साफ करते रहते हैं और वहां विग्रह के पास ढाल भी बनाया गया है, ताकि जल को वहीं पर पोछ दिया जाए। सोमवार को ही मंदिर निर्माण समिति की दो दिवसीय बैठक के समापन अवसर पर पत्रकारों से बात करते हुए तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के एक अन्य सदस्य डा. अनिल मिश्र ने भी इस बारे में राय रखी।

वाटर प्रूफिंग का भी 20 प्रतिशत काम बाकी

उन्होंने बताया कि प्रथम तल की फर्श का कुछ काम बाकी है। वाटर प्रूफिंग का भी 20 प्रतिशत काम बाकी है। बिजली की वायरिंग के भी लिए जगह-जगह छिद्र किए जाने पड़ रहे हैं। यद्यपि यह समस्या तात्कालिक है और जल्दी ही इस समस्या का समाधान कर लिया जाएगा।

आचार्य सत्येंद्र दास का दावा

सोमवार को मंदिर के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने निर्माण कार्य में लापरवाही का आरोप लगाया था. दावा किया यह दूसरी बार है जब मंदिर की छत से पानी टपक रहा है. पहली बारिश में भी मंदिर की छत से पानी का रिसाव हुआ था. उस समय भी उन्होंने विरोध किया तो पानी की निकासी हुई थी. आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि राम लला के भव्य और दिव्य मंदिर के निर्माण में देश के नामचीन इंजीनियर लगे हैं, बावजूद इसके यह हाल है. मंदिर की छत से पानी का टपकना हैरानी की बात है. हालांकि, आचार्य सत्येंद्र दास के विरोध के बाद ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने इंजीनियरों और अधिकारियों के साथ बैठक की और समस्या के समाधान को लेकर विमर्श किया गया.

राम पथ की सड़क भी धंसने लगी

उधर, प्री मानसून की हल्की बारिश में ही राम पथ की सड़क भी धंसने लगी है. सहादतगंज से नया घाट तक लगभग साढे़ 13 किलोमीटर लंबी इस सड़क का काम हाल ही में पूरा हुआ है. इन जगहों पर गहरे गड़ढे हो गए थे. हालांकि सहादतगंज हनुमानगढ़ी, रिकाबगंज आदि स्थानों पर सड़क धंसने वाली जगह पर पीडब्ल्यूडी ने गिट्टी और मिट्टी डाल कर निर्माण कार्य में हुई अनियमितता पर पर्दा डालने की कोशिश की है. इस संबंध में TV9 भारतवर्ष ने पीडब्ल्यूडी के अधिकारी डीबी सिंह से फोन पर बात की तो उन्होंने जवाब देने के बजाय कहा कि वह मीटिंग में हैं.

क्यों टपकी छत

इधर पहली ही बारिश में राम मंदिर की छत चूने की बात से सोशल मीडिया पर मानों बवाल ही मच गया। वहीं निर्माण की गुणवत्‍ता पर भी सवाल उठने लगे हैं। इस बीच खुद निर्माण समिति के अध्‍यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने छत से पानी टपकने की वजह बता दी है। मिश्र ने कहा, ‘मैं अयोध्या में ही हूं। मैंने पहली मंजिल से बारिश का पानी गिरते हुए देखा है, क्योंकि गुरु मंडप खुला है। जब इसके शिखर का काम पूरा हो जाएगा, तो ये भी ढक जाएगा। फिलहाल ऐसे हालात में ये होना ही है।’

मंदिर की डिजाइन पर भी सवाल

फिलहाल गर्भगृह में भरे हुए पानी को हाथों से या फिर मैन्‍यूअली ही निकाला जा रहा है। ऐसे में पानी की निकासी की समुचीत व्‍यवस्‍था ना होने से इसे लेकर मंदिर की डिजाइन पर भी सवाल उठनेपर नृपेंन्‍द्र मिश्र ने कहा कि गर्भगृह में जल निकासी नहीं हे क्‍योंकि गर्भगृह के पानी को मैन्‍यूअली ही अवशोषित किया जाता है। बाकी सभी मंडपों में ढलान भी है और निकासी की व्‍यवस्‍था भी है।

अब तक 1800 करोड़ खर्च

बता दें कि राम मंदिर में अभी सिर्फ एक फ्लोर ही तैयार है। इसी पर कुल 1800 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। मुख्य शिखर, परकोटा, 5 छोटे शिखर 13 मंदिर, ट्रस्ट के ऑफिस, VVIP वेटिंग एरिया, यात्री सुविधा केंद्र, म्यूजियम, लाइब्रेरी और शोध संस्थान समेत और भी कई काम बाकी हैं। मंदिर के डिजाइन और कंस्ट्रक्शन देखना वालों को कहना है कि बचे काम में 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा भी लग सकते हैं।

 

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