Home कांकेर उपभोक्ता आयोग ने बीमा निगम पर ठोंक दिया जुर्माना

उपभोक्ता आयोग ने बीमा निगम पर ठोंक दिया जुर्माना

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ग्राहक को बीमा राशि देने के लिए 4 वर्ष तक घुमाया

कांकेर । हमारे देश में चाहे जीवन बीमा निगम हो अथवा निजी बीमा कंपनियां, इन सब का तौर तरीक़ा एक जैसा ही रहता है। बीमा करते समय बहुत अधिक प्रेम प्रदर्शन किया जाता है लेकिन जब बीमा का पैसा वापस देने का समय आता है, तो ये सभी रोने लगते हैं और ग्राहक को भी रुलाते हैं। कांकेर में ऐसा ही एक उदाहरण भारतीय जीवन बीमा निगम का भी है। जिसमें ग्राहक को बीमा राशि देने के लिए 4 वर्ष तक घुमाया गया।अब जाकर उपभोक्ता आयोग की शरण लेने के कारण हक़दार को उसका पैसा (मय- ब्याज हरजा खर्चा ) मिल रहा है। उपभोक्ता आयोग ज़िला कांकेर की अध्यक्ष सुजाता जसवाल तथा सदस्य डाकेश्वर सोनी की बेंच ने अपने एक फ़ैसले में बीमा रकम उत्तराधिकारी को दिलाने के साथ-साथ बीमा निगम पर जुर्माना भी ठोक दिया है। मामला इस प्रकार है कि दावा कर्ता छबिकांत कोडोपी ग्राम सरंगपाल के पिता स्वर्गीय परमानंद ने चिल्ड्रन मनी बैंक पॉलिसी के तहत आज से 18 वर्ष पूर्व 50,000 का बीमा दिनांक 28 3 1996 को किया था । पॉलिसी की परिपक्वता तिथि 28 3 3 2019 थी लेकिन बीमा राशि के हक़दार छबिकांत को इस तिथि पर कोई रकम नहीं दी गई और बीमा निगम वाले विभिन्न तकनीकी बहाने बना बनाकर चार वर्ष तक उसे घुमाते रहे । इससे व्यथित होकर फ़रियादी ने उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग जिला उत्तर बस्तर कांकेर में फ़रियाद की। इससे पहले उसके द्वारा अपने वकील के माध्यम से जीवन बीमा निगम को नोटिस भी प्रेषित किया गया था लेकिन उसका कोई प्रति उत्तर आज तक नहीं मिला। उपभोक्ता आयोग में मामला आने के पश्चात जीवन बीमा निगम की ओर से कहा गया कि 51,000 फ़रियादी के खाते में जमा कर दिए गए हैं और अब कुछ भी देना शेष नहीं है। उपभोक्ता आयोग ने इसे पर्याप्त न मानते हुए अपने फ़ैसले में आदेश दिया है कि सेवा में कमी एवं व्यावसायिक कदा-चरण की क्षतिपूर्ति राशि 10,000 एक माह के अंदर प्रदान करनी होगी। इसमें विलंब किए जाने पर 100 प्रतिदिन की दर से जुर्माना भी देय होगा। यही नहीं, फ़रियादी को मानसिक पीड़ा एवं परेशानी के संबंध में 5000 क्षतिपूर्ति राशि भी एक माह के भीतर प्रदान करनी होगी। बीमा निगम स्वयं पर अधिरोपित जुर्माने की राशि 5,000आदेश दिनांक से एक माह के भीतर जिला आयोग में जमा करेगा, जिसे उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा किया जाएगा। मुक़दमे के परिवाद व्यय के रूप में 3,000 भी वहन करने होंगे। उपर्युक्त फैसले से छविकांत को इंसाफ़ मिला है और ज़िले की आम जनता भी इसे जानकर प्रसन्न है।..

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