Raghav Chadha and Satyendar Jain got a big blow again, petition rejected from Rouse Avenue Court, know why now?
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा (Raghav Chadha) और मनी लॉन्ड्रिंग केस में जेल में बंद सत्येंद्र जैन (Satyendar Jain) को एक बार फिर से बड़ा झटका लगा है. दिल्ली के भाजपा नेता छैल बिहारी गोस्वामी द्वारा दर्ज आपराधिक मानहानि मामले में राघव चड्ढा और सत्येन्द्र जैन को राउज एवेन्यू कोर्ट से निराशा हाथ लगी है. राउज एवेन्यु कोर्ट ने राघव चड्ढा और सत्येन्द्र जैन की याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित आदेश तथ्यों के साथ कानून के हिसाब से भी पूरी तरह से सही और कानूनी है.
राज्यसभा सांसद राघव चड्डा और सत्येंद्र जैन ने मानहानि मामले में निचली अदालत द्वारा जारी समन को चुनौती दी थी. छैल बिहारी गोस्वामी ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के सामने शिकायत दर्ज कर दिल्ली के पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक सत्येंद्र जैन और पंजाब से राज्यसभा सांसद चड्ढा पर NDMC के फंड को लेकर उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया था
छवि का खराब करने का आरोप
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने मानहानि मामले में सत्येंद्र जैन और राघव चड्ढा को आरोपी के रूप में तलब करने के मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश को बरकरार रखा है. छैल बिहारी गोस्वामी ने जैन और चड्ढा पर उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) फंड के संबंध में उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी. उन्होंने आरोप लगाया कि अपमानजनक भाषा के इस्तेमाल का मकसद आम आदमी पार्टी की नजर में उनके नैतिक और बौद्धिक चरित्र को कम करना था. बीजेपी नेता गोस्वामी एनडीएमसी की स्थायी समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं.
राघव चड्ढा हैं निलंबित
राघव चड्ढा 11 अगस्त से राज्यसभा से निलंबित हैं. कुछ सांसदों ने राघव चड्ढा पर उनकी सहमति के बिना एक प्रस्ताव में उनका नाम जोड़ने का आरोप लगाया था,
अधिकतर सदस्य सत्तारूढ़ भाजपा के हैं2. उस प्रस्ताव में विवादास्पद दिल्ली सेवा विधेयक की जांच के लिए प्रवर समिति के गठन की मांग की गई थी. यह आरोप लगाया गया था कि राज्यसभा सदस्य ने दिल्ली सेवा विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया था. उन्होंने कथित तौर पर कुछ सदस्यों को प्रस्तावित समिति के सदस्यों के रूप में नामित किया था. इसके बाद यह दावा किया गया था कि कुछ सांसदों ने इसके लिए अपनी सहमति नहीं दी थी. सभापति ने इस शिकायत पर ध्यान देते हुए विशेषाधिकार समिति की जांच लंबित रहने तक चड्ढा को सदन से निलंबित कर दिया था.