Why did Shivraj Singh Chouhan say after leaving the post of CM, I am in MP, will remain in MP only.
18 साल तक मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभालने के बाद अब शिवराज सिंह चौहान की जगह प्रदेश में नए मुख्यमंत्री के नाम का एलान हुआ. मोहन यादव को प्रदेश की कमान सौंप दी गई है. ऐसे में अब सवाल उठता है कि किया शिवराज सिंह चौहान दिल्ली जाकर पार्टी नेतृत्व से अपने लिए किसी बड़े पद की मांग रखेंगे? इस सवाल के जवाब पर पूर्व मुख्यमंत्री का बड़ा बयान आया है. उन्होंने कहा, ‘ मुझे दिल्ली जाकर मांगना पसंद नहीं. अपने लिए कुछ मांगने से बेहतर मरना पसंद करूंगा.’ वहीं, शिवराज सिंह चौहान ने यह भी तय कर लिया है कि वह मध्य प्रदेश में हैं और यहीं रहेंगे. कहीं नहीं जाएंगे.
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज ने राज्य के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव को शुभकामनाएं दी. साथ ही उम्मीद जताई कि मोहन यादव के नेतृत्व में राज्य प्रगति और विकास की नई ऊँचाई छूएगा. शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज मेरे मन में संतोष का भाव है. शिवराज सिंह ने मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की ऐतिहासिक जीत के पीछे लाडली बहना योजना की भी बात कही है.
‘बीजेपी को लौटाने का वक्त आ गया’- शिवराज सिंह चौहान
वहीं, शिवराज सिंह चौहान ने बीजेपी नेतृत्व के पक्ष में बात रखी कि पार्टी ने उन्हें 18 साल तक मुख्यमंत्री बनाया. बीजेपी ने उन्हें सब कुछ दिया. इसलिए अब पार्टी को लौटाने का वक्त आ गया है.
जीत की तीन वजहें गिनवाईं
शिवराज सिंह चौहान ने उस दिन को याद किया जब वह पहली बार मुख्य़मंत्री बने थे. शिवराज ने बाबू लाल गौर के बाद मध्य प्रदेश की कमान संभाली थी. अपने समर्थकों के बीच मामा कहे जाने वाले शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जनता ने जिस प्रेम से मामा कहा है, वह मैं भूल नहीं पाउंगा. पहले कार्यकाल के बाद 2008 और 2013 में फिर से बीजेपी की जब सरकार बनी तो भी शिवराज मुख्यमंत्री बने.
‘लाडली’ के बाद ‘लखपति’ योजना की तैयारी
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि
लाडली बहना योजना के बाद अब वह लखपति बहना योजना पर काम करने वाले हैं. इसके लिए वह पूरा दम लगाएंगे. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में नए सीएम के एलान के एक दिन बाद शिवराज सिंह चौहान से मिलने उनकी लाड़ली बहनें पहुंचीं और फूट-फूट कर रोने लगीं. महिलाओं को रोता देख सीएम शिवराज सिंह चौहान भी भावुक हो गए. बहनों को रोता देख पूर्व सीएम भी भावुक नजर आए. वहीं विधानसभा चुनाव में मिली प्रचंड जीत के बाद शिवराज सिंह ने खुद यह स्पष्ट कर दिया था कि वह सीएम पद की रेस में नहीं हैं और मेरा पद मामा का है.