रेल लाइन चितवहीं से पेलामा तक तक बिछाया जाना है इस हेतु किसानो के उसे भूमि को अधिग्रहित किया जा रहा है जिससे उत्पादित अनाज से उनका जीवन यापन होता है प्रशासन की दादागिरी उसे समय आती हो जाती है जब गणना पत्रक प्रकाशित होता है किसान की जमीनों का मुआवजा गणना पत्रक में 30% राशि काटकर की गई है जबकि अधिग्रहण से पहले पूरे 100% मुआवजा राशि देने की वादा किया था इस तरह अन्नदाता किसान जो अपनी जमीन के टुकड़ों से अनाज उत्पादित कर जीवन यापन करता था उसे अवने पौने दामों में में जमीन देना पड़ रहा है जिससे किसानों में तीव्र आक्रोश है इतना ही नहीं गणना पत्रक के अनुसार परिसंपत्तियों का मूल्यांकन का जो आधार बनाया गया है वह समझ से परे है एक ही प्रकार की परिसंपत्तियों की अलग-अलग मुआवजा निर्धारण किया जा रहा है परिसंपत्तियों के मुआवजा राशि इतनी कम है जो हास्यास्पद पद स्थिति को जन्म दे रही है गरीब किसानों की परिसंपत्तियों से बेदखल भी किया जा रहा है एवं लागत राशि का 10% भी मुआवजा नहीं दिया जा रहा है गणना पत्रक प्रकाशित होने के बाद चितवहीं से पेलमा तक के किसानों में भारी आक्रोश है चितवाही भालूमुंडा रोड़ोपाली ढोलनारा मिलुपरा खरा सभी गांव के किस एकत्रित होकर किसानों ने बैठक कर सर्व सहमति से निर्णय लिया कि किसी भी परिस्थिति में रेल लाइन हेतु अपनी जमीन नहीं देंगे गरीब किसान रेल लाइन में अपना जमीन जाने की सूचना के कारण जमीन एवं परिसंपत्तियों से बेदखाल हो रहे हैं एवं जीवन यापन अस्त व्यस्त हो रहा है इन किसानों से बात करने से पता चला कि किसान श्री बूढ़ा गोटिया बीडीसी ढोलनारा किसान श्री भोजराम पटेल कामता पटेल वेद राम राठिया पारस लाल पटेल टांकेश्वर सिदार लक्ष्मी राम सिदार संतोष शर्मा किशोर पटेल सरपंच चितवही सरपंच रोडपाली सभी लोगों ने विरोध करने की बात कही एवं अपनी जमीन रेल लाइन में जमीन देने से मना किया