We should never forget God and death in our life, Manoj Pandey
जांजगीर चाँपा ।सिवनी नैला में राधा कृष्ण मंदिर परिसर में मिश्रा परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा महापुराण में मनोज पाण्डेय सिरसा दुर्ग ने गजेंद्र मोक्ष की कथा सुनाया कहा की हाथी जीव है . मगर काल, है तालाब भवसागर है.जब जीव रूपी हाथी को मगर रूपी कल भवसागर में डूबने लगता है तो जीव घबरा करके भगवान को पुकारता है .भगवान बड़े कृपालु हैं दयालु हैं वह जाकर के जीव रूपी हाथी की रक्षा करते हैं .हम भी अपने जीवन में भगवान को और मृत्यु को कभी ना भूलें.मृत्यु कभी भी आ सकती है कॉल रूपी मगर घात लगाए बैठा है हमें हमेशा सावधान रहना चाहिए भगवान को निरंतर याद करते रहना चाहिए . यह शिक्षा हमें गजेंद्र मोक्ष की कथा से प्राप्त होती है.
भगवान वामन की कथा में भगवान वामन का यज्ञोपवीत संस्कार उपनयन संस्कार उनके पिता कश्यप जी ने करवाया . जन्म के समय हमें दो नयन प्राप्त होता है शरीर में.और उपनयन के समय गुरुजी हमें एक नई दृष्टि प्रदान करते हैं .वास्तव में हमारे सभी धर्म ग्रंथ कूट भाषा में लिखे गए हैं.जब तक हमारे गुरुजी कृपा करके हमें दृष्टि या दृष्टिकोण प्रदान नहीं करते हैं हम हमारे ग्रंथो का सही आशय तात्पर्य नहीं समझ पाते हैं या गुरु की दी हुई दृष्टि से दृष्टिकोण से ही शास्त्रों का का अवलोकन होना चाहिए. यही उपनयन संस्कार का रहस्य है.उपनयन संस्कार में पिता बालक को मेखला प्रदान करते हैं मेखला कल का अनुशासन है पिता के द्वारा पुत्र को कुल की रीत नियम परंपराएं संस्कार आदर्श आदि की शिक्षा दी जाती है और निर्देश दिया जाता है कि इन परंपराओं नियमों से बंध करके तुम जीवन जीना.यह मेखला धारण का रहस्य है भगवान जी यज्ञोपवीत के पश्चात बली की सभा में जाते हैं और उसे दान में तीन पाँव भूमि प्राप्त करते हैं और बदले में बली को अपने आप को भी प्रदान कर देते हैं.यह भगवान की बहुत बड़ी कृपा है भगवान की बली को छलने नहीं गए थे बल्कि उसे पर कृपा करने गए थे.
जब भगवान वामन ने बली से तीन पाव भूमि का दान प्राप्त कर लिया और बली का सर्वस्व छीन लिया बली को बंदी बना लिया तब प्रहलाद जी वहां आते हैं और भगवान जी से शिकायत नहीं करते बल्कि यह कहते हैं कि प्रभु जितना सुंदर आपका देना था उससे भी 100 गुना सुंदर तो आपका लेना है .आपने मेरे पौत्र पर बहुत बड़ी कृपा की है.
भगवान जी ने प्रहलाद को वचन दिया था कि तुम्हारे कुल में उत्पन्न हुए किसी भी दैत्य का मैं वध नहीं करूंगा. इसीलिए उन्होंने विरोचन बली या बाणासुर किसी का भी वध नहीं किया इन पर कृपा की. कथा श्रवण करने वालों में मुख्य यजमान जय मंगल मिश्रा गोरेलाल मिश्रा कालिका प्रसाद मिश्रा सियाराम मिश्रा कृष्ण कुमार पांडे भरत लाल पांडे शैलेंद्र पांडे सुकेश शर्मा कार्तिकेश्वर पांडे आशीष मिश्रा ओंकार मिश्रा अभय मिश्रा आचार्य अंशुमान मिश्रा सहित गांव के श्रद्धालु उपस्थित थे