वृक्ष के नीचे खाना पकाकर लोगों को खिलाएं और खुद भी खाये
प्रमोद अवस्थी मस्तूरी
मस्तूरी।कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की ‘आंवला नवमी’ पर रविवार को मस्तूरी शहर सहित अंचल में महिलाओं ने अखंड सौभाग्य, आरोग्य, संतान और सुख समृद्धि की कामना को लेकर आंवला के वृक्ष का विधि विधान से पूजन किया।
महिलाओं ने व्यंजनों में ऋतु फल और मिठाई, पूजन सामग्री के साथ विधि-विधान से पूजा अर्चना की। इस दौरान सूत का धागा आंवले के पेड़ से लपेटकर परिक्रमा लगाई और परिवार की सुख-शांति, खुशहाली और समृद्धि की कामना की।
महिलाओं ने बताया कि मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने से कई जन्म संवर जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवले की उत्पत्ति हुई थी। यह विष्णु भगवान और माता लक्ष्मी का प्रिय वृक्ष है। इसलिए, इस दिन को आंवला के वृक्ष की पूजा से त्रिदेव ब्रह्मा-विष्णु-महेश के साथ ही माता लक्ष्मी की भी अपार कृपा प्राप्त होती है।
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष को आंवले के वृक्ष की पूजा अर्चना करने और आंवले के पेड़ के नीचे भोजन पकाकर खाने और दान पुण्य करने से अक्षय आयु निरोग काया की प्राप्ति होती है। आंवला नवमी को अक्षय नवमी के रूप में भी जाना जाता है।
इस पूजा अर्चना के समय प्रमुख रूप से श्वेता अवस्थी भावना शुक्ला रितु अवस्थी, श्रद्धा शुक्ला, सुषमा शुक्ला निशा अवस्थी, निधि अवस्थी, कामना पांडेय, तथा अन्य महिलाओं ने बढ़-चढ़कर पूजन में हिस्सेदारी की।