Constitution Day- A wonderful confluence of democracy, development and awareness at Amrit Sarovar sites
कांकेर। संविधान दिवस के अवसर पर जिला पंचायत उत्तर बस्तर कांकेर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के निर्देशन में जनपद पंचायत चारामा के अंतर्गत अमृत सरोवर स्थलों पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस विशेष आयोजन का उद्देश्य ग्रामीण जनता को संविधान की महत्ता और उसके मूल्यों से परिचित कराना, साथ ही उनके अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति जागरूक बनाना था।
अमृत सरोवर :- विकास के साथ संवैधानिक मूल्यों का केंद्र
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत चारामा ब्लॉक में 41 अमृत सरोवरों का निर्माण किया गया। इन सरोवरों ने न केवल जल संरक्षण और ग्रामीण विकास को बढ़ावा दिया है, बल्कि अब ये स्थायी रूप से संवैधानिक जागरूकता फैलाने के केंद्र के रूप में कार्य कर रहे हैं। संविधान दिवस के अवसर पर इन स्थलों पर विविध कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें संविधान की उद्देशिका का सामूहिक वाचन, जागरूकता कार्यक्रम और ग्रामीण संवाद शामिल थे।
संविधान की उद्देशिका का सामूहिक वाचन :-
कार्यक्रम की शुरुआत संविधान की उद्देशिका के सामूहिक वाचन से हुई। इस आयोजन में सरपंचों, पंचों, अमृत सरोवर उपयोगकर्ता समूहों और स्थानीय ग्रामीणों ने भाग लिया। संविधान में निहित समानता, स्वतंत्रता, न्याय और बंधुत्व जैसे मूल्यों को सामूहिक रूप से दोहराया गया। यह वाचन संविधान के प्रति निष्ठा और लोकतंत्र को मजबूत करने का एक प्रतीकात्मक कदम था।
संविधान की विशेषताओं पर जागरूकता सत्र :-
इस अवसर पर भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं पर विस्तार से चर्चा की गई। ग्रामीणों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जानकारी दी गई और यह समझाया गया कि संविधान केवल कानूनों का दस्तावेज़ नहीं, बल्कि समाज में समानता और समरसता लाने का साधन है। जल संरक्षण, सामाजिक विकास और सतत प्रगति के संदर्भ में संविधान की भूमिका को रेखांकित किया गया।
ग्रामीण सहभागिता : – लोकतंत्र की मजबूत नींव
संविधान दिवस के इस आयोजन ने ग्रामीण सहभागिता की नई मिसाल पेश की। ग्राम पंचायतों के सरपंचों, पंचों और बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने न केवल कार्यक्रम में भाग लिया, बल्कि संवैधानिक मूल्यों के प्रति अपनी आस्था व्यक्त की। अमृत सरोवर उपयोगकर्ता समूहों ने भी कार्यक्रम को सफल बनाने में अपनी भूमिका निभाई।
संविधान दिवस का व्यापक संदेश :-
यह आयोजन केवल संविधान दिवस मनाने तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसने ग्रामीणों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक किया और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में उनकी भूमिका को सुदृढ़ करने का प्रयास किया। इस कार्यक्रम ने यह संदेश दिया कि जब विकास परियोजनाओं को संवैधानिक मूल्यों से जोड़ा जाता है, तो वे केवल भौतिक संरचनाओं तक सीमित नहीं रहतीं, बल्कि सामाजिक बदलाव और लोकतंत्र को सुदृढ़ करने का माध्यम बनती हैं। संविधान दिवस पर अमृत सरोवर स्थलों पर आयोजित यह कार्यक्रम ग्रामीण विकास और संवैधानिक जागरूकता के अद्भुत मेल का प्रतीक था। इससे यह स्पष्ट हुआ कि जब समाज संविधान के मूल्यों को आत्मसात करता है, तो लोकतंत्र और विकास की जड़ें और गहरी होती हैं।