The listeners were moved to hear the story of Sati’s character and Shiva-Parvati’s marriage
प्रमोद अवस्थीमस्तूरी
मस्तूरी नगर के बस स्टैंड के पास श्यामलाल साहू परिवार के यहां चल रही श्रीमद देवी भागवत कथा में बुधवार को सप्तम दिवस पर कुरूद धमतरी के कथावाचक पं तारेंद्र कृष्ण ने सताक्षी महिमा, वराह कथा, हिरण्याक्ष वध, शिव पार्वती विवाह, मनु सतरूपा वंश वर्णन का प्रसंग सुनाया। शिव-पार्वती विवाह प्रसंग सुन श्रद्घालु भाव विभोर हो गए। कथा व्यास ने शिव विवाह का वर्णन करते हुए कहा कि पर्वतराज हिमालय की घोर तपस्या के बाद माता जगदंबा प्रकट हुईं और उन्हें बेटी के रूप में उनके घर में अवतरित होने का वरदान दिया। इसके बाद माता पार्वती हिमालय के घर अवतरित हुईं। बेटी के बड़ी होने पर पर्वतराज को उसकी शादी की चिंता सताने लगी। कहा कि माता पार्वती बचपन से ही बाबा भोलेनाथ की अनन्य भक्त थीं। एक दिन पर्वतराज के घर महर्षि नारद पधारे और उन्होंने भगवान भोलेनाथ के साथ पार्वती के विवाह का संयोग बताया। उन्होंने कहा कि नंदी पर सवार भोलेनाथ जब भूत-पिशाचों के साथ बरात लेकर पहुंचे तो उसे देखकर पर्वतराज और उनके परिजन अचंभित हो गए, लेकिन माता पार्वती ने खुशी से भोलेनाथ को पति के रूप में स्वीकार किया।
कथा श्रवण करने तनक साहू जनक साहू,तथा यजमान श्याम लाल साहू, ओम प्रकाश साहू सपत्नीक सहित तथा भक्तजन भारी संख्या में उपस्थित रहे। बता दें कि कथा सुनने के लिए रोज बड़ी संख्या में ग्रामीण पहुंच रहे हैं। न केवल स्थानीय, बल्कि आसपास के गांवों के लोग भी कथा सुनने के लिए पहुंच रहे हैं।