- कृष्ण कुंज: 169 नगरीय निकायों के 224 एकड़ रकबा में 60 हजार पौधे रोपित
- वन विभाग द्वारा कृष्ण कुंजों में पर्यावरण जागरूकता संबंधी कार्यक्रम सम्पन्न
रायपुर (विश्व परिवार)। छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश के नगरीय निकायों में कृष्ण कुंज का विकास कर रही है। मात्र एक वर्ष में ही इन कृष्ण कुंजों ने हरे-भरे वृक्षों के रूप में अपना आकार लेना शुरू कर दिया है। योजना के तहत प्रदेश में 169 नगरीय निकायों में लगभग 224 एकड़ रकबा में लगभग 60 हजार पौधों का रोपण किया गया हैं।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने पिछले वर्ष श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर राजधानी रायपुर के तेलीबांधा स्थित कृष्ण कुंज में स्वयं वृक्षारोपण कर कृष्ण कुंज की महत्वाकांक्षी योजना की पूरे प्रदेश में शुरूआत की थी। इसी दिन प्रदेश के नगरीय निकायों में बनाए गए कृष्ण कुंज में जनभागीदारी से वृक्षारोपण किया गया था।
इस संबंध में प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री व्ही. श्रीनिवास राव से प्राप्त जानकारी के अनुसार आज जन्माष्टमी के अवसर पर वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में राज्य भर के वन मण्डलों द्वारा अपने-अपने क्षेत्र के कृष्ण कुंजों में कार्यक्रम का आयोजन कर पर्यावरण के प्रति जनजागरूकता का संदेश दिया गया। कार्यक्रम के तहत वन मण्डल बीजापुर द्वारा कृष्ण कुंज में ‘‘मटकी फोड़‘‘ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। साथ ही इस दौरान वहां बच्चों और उपस्थित लोगोें को कृष्ण कुंज में लगाए गए धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के पौधों के बारे में जानकारी दी गई । इसी तरह कृष्ण कुंज बालोद में आयोजित मटकी फोड़ प्रतियोगिता में स्वामी आत्मानंद स्कूल एवं शासकीय माध्यमिक विद्यालय के बच्चों ने जोर-शोर के साथ भाग लिया । इसके अलावा रायगढ़, बलौदाबाजार तथा पेण्ड्रा आदि वन मण्डलों मंे भी पर्यावरण जागरूकता संबंधी विविध कार्यक्रमों का आयोजन कृष्ण कुंजों में किया गया।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप कृष्ण कुंज में वृक्षारोपण से जन-जन को जोड़ना और सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के वृक्षों के रोपण करने का कार्य किया जा रहा है। जहां पर पर्यावरण संतुलन बनाए रखने वाले और भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन देने वाले चंदन, रूद्राक्ष, बरगद, पीपल, कदम्ब जैसे वृक्षों का रोपण शामिल है। कृष्ण कुंज में आम, ईमली, बेर, गंगा ईमली, जामुन, शहतुत, तेंदू, चिरौंजी, अनार, कैथा, नीम, पलाश, बेल, आंवला जैसे फलदार वृक्ष भी लगाएं जा रहे हैं।