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श्रमिक आंदोलन के सूत्रधार एवम सहकारिता आंदोलन के प्रणेता ठाकुर प्यारेलाल सिंह :- ओपी चौधरी

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Thakur Pyarelal Singh, founder of labor movement and pioneer of cooperative movement:- OP Chaudhary

जयंती पर ओपी ने कहा प्रदेश वासी आपका योगदान नही भुला पायेंगे

RO NO - 12784/140

रायगढ़ :- देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानीनियो एवम तथा क्रांतिकारियो में एक ठाकुर प्यारे लाल सिंह को छत्तीसगढ़ के श्रमिक आंदोलन के सूत्रधार तथा सहकारिता आंदोलन के प्रणेता निरूपित करते हुए विधायक ओपी चौधरी ने उनकी जयंती पर पुण्य स्मरण कर किया। 21 दिसम्बर 1891 को छत्तीस गढ़ के राजनांदगांव जिले के दैहान ग्राम में पिता दीनदयाल सिंह एवं माता नर्मदा देवी की संतान ठाकुर प्यारे लाल सिंह की प्रारंभिक शिक्षा राजनांदगांव एवम रायपुर में हुई। उच्च शिक्षा के लिए वे नागपुर तथा जबलपुर गए और 1916 में वकालत की परीक्षा उत्तीर्ण की। बाल्यकाल से ही वे मेधावी रहे। राष्ट्रीयता की भावना उनके रगों में रही। 1906 के दौरान बंगाल के क्रांतिकारियों के संपर्क में आकर ठाकुर प्यारे लाल सिंह ने क्रांतिकारी साहित्य का प्रचार प्रसार शुरू किया।
छात्रों को एकजुट कर जुलूस निकाल कर वन्देमातरम् का नारा लगवाने वाले ठाकुर सिंह ने
1909 के दौरान सरस्वती पुस्तकालय की स्थापना की। 1920 के दौरान राजनांदगांव में मिल-मालिकों के शोषण खिलाफ सशक्त आवाज बने ठाकुर प्यारे लाल सिंह के नेतृत्व में मजदूरों की जीत मिली। राष्ट्रीय आंदोलन के साथ साथ स्थानीय आंदोलनों के लिए जन-मानस में उत्साह का संचार किया। छत्तीसगढ़ में नशे के खिलाफ, हिन्दू-मुस्लिम एकता, नमक कानून तोड़ना, दलित उत्थान जैसे आंदोलनों का कुशलता पूर्वक नेतृत्व करने वाले प्यारे लाल सिंह देश सेवा करते हुए अनेकों बार जेल गए। अंग्रेजी हुकूमत ने मनोबल तोड़ने के लिए आपके घर में छापा मार कर सामान कुर्क किया लेकिन आपके हौसले नही डिगे। राजनैतिक झंझावातों के मध्य वे रायपुर नगरपालिका के अध्यक्ष चुने गए। उन्नीस सौ पचास के दशक में छत्तीसगढ़ के बुनकरों को संगठित करने के लिए प्यारे लाल सिंह जी ने छत्तीसगढ़ बुनकर सहकारी संघ की स्थापना की । प्रवासी छत्तीसगढ़ियों को शोषण एवं अत्याचार से मुक्त कराने की दिशा में भी निरंतर सक्रिय रहे।सत्ता पक्ष को छोड़कर आचार्य कृपलानी की किसान मजदूर प्रजा पार्टी में शामिल होकर 1952 में रायपुर विधानसभा के लिए चुने गए एवं विरोधी दल के नेता बने। आपके सहयोग से विनोबा भावे ने भूदान एवं सर्वोदय आंदोलन को छत्तीसगढ़ में विस्तारित किया। छत्तीसगढ़ शासन आपकी स्मृति में सहकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए ‘ठाकुर प्यारेलाल सिंह सम्मान’ भी स्थापित किया है।

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