कान्हा तिवारी
जांजगीर चांपा..समय पर यदि किसी मरीज का इलाज ना हो तो दर्द और बढ़ जाता है साथ ही गंभीर मरीजों की मौत भी हो सकती है। जांजगीर जिला अस्पताल के मरीज इन दिनों ऐसे ही परेशानियों से जुझ रहें है। कहने को तो कई ओपीडी है मगर चिकित्सक तय समय में ओपीडी में नहीं आते मरीजों की चिखपुकार को सुन कर भी अनसुना किया जा रहा है ।
जिले के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल जिला चिकित्सालय भली ही दूर से देखने में अच्छे लगते हो लेकिन अंदर जाने से हकीकत पता लगती है अपने कहावत तो सुनी होगी दूर के ढोल लगते है इसी तरह जिला चिकित्सालय है। जांजगीर मुख्यालय में यह स्थित दिखने तो बड़े सुंदर लगता लेकिन अंदर जाने से हकीकत का अंदाजा इलाज कराने जिले के सुदूर अंचल से इलाज कराने आए लोग ही बताते है अंदर का राज
ओपीडी के समय डॉक्टर रहते हैं नदारत
घंटो इंतजार के बाद भी ओपीडी के समय पर डॉक्टर के दर्शन नहीं हो पाए हालांकि ने का भगवान तो जरूर कहा जाता है लेकिन जिला मुख्यालय की डॉक्टर के करतूत से दूरस्थ अंचल से आए लोग अपनी समस्या को लेकर घंटा माथा पकड़ बैठे रहते हैं । इंतजार का सब्र टूट जाने के बाद बेवश होकर निजी अस्पताल जाने को मजबूर मरीज छत्तीसगढ़ में सरकार के द्वारा गरीबों के स्वास्थ्य शिक्षा के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रहे हैं लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल इस तरह से है कि अब गरीब टपके के लोग डॉक्टर के दर्पण नहीं होने से कर्ज लेकर निजी अस्पताल जाने मजबूर है। वही जिम्मेदार अधिकारी इस संबंध में कुछ भी कहने से बच रहे हैं इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह से अव्यवस्थाओं का आलम जिला चिकित्सालय जांजगीर है।