Home स्वास्थ्य चिकित्सकों ने स्वरचित काव्य प्रस्तुति के माध्यम से दिया सकरात्मक जीवन...

चिकित्सकों ने स्वरचित काव्य प्रस्तुति के माध्यम से दिया सकरात्मक जीवन का संदेश

0

एम्स में हिंदी पखवाड़ा प्रारंभ, विभिन्न प्रतियोगिताओं में चिकित्सक, कर्मचारी, छात्र ले रहे भाग

रायपुर (विश्व परिवार)। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में चिकित्सकों और छात्रों ने हिंदी और चिकित्सा विज्ञान की महत्वता को प्रतिविंबित करती हुई सुरमय रचनाएं प्रस्तुत की। इनमें रोगियों को जीवन के प्रति सकारात्मक संदेश देने का प्रयास किया गया। सर्वोत्तम प्रस्तुतियों को हिंदी पखवाड़ा के समापन समारोह में पुरस्कृत किया जाएगा।

राजभाषा प्रकोष्ठ के तत्वावधान में प्रारंभ हुई विभिन्न प्रतियोगिताओं में निबंध प्रतियोगिता के साथ स्व रचित काव्यपाठ भी आयोजित किया गया। इसमें अधिष्ठाता प्रो. आलोक चंद्र अग्रवाल ने दवाइयों की उपयोगिता पर रचना प्रस्तुत की। गोपाल शर्मा की कैसे बताऊं तुझे ए हिंदी किं तू कितनी प्यारी-प्यारी है…काफी सराही गई। डॉ. अरूणिता जगझापे ने जिंदगी को आस बंधाती रचना जीती जिंदगी में एक सूखे पेड़ के पुनः हरे-भरे होने की काव्यात्मक प्रस्तुति दी। डॉ. शिव शंकर मिश्रा ने इक चांद ही उसका हमसाया बेशर्त साथ जो चलता है… प्रस्तुत की। शिखा श्रीवास्तव ने जलता मणिपुर के माध्यम से महिलाओं की वेदना को उकेरा।

छात्र वर्ग में डॉ. कृति अग्रवाल ने रस भस्म रचना के अंतर्गत प्रखुर सुखी मनमोही थी, वीरांगना वो ऐसी थी…रचना प्रस्तुत की। डॉ. ध्रुव नरापुरे ने समय है निकल जाएगा…के माध्यम से बुरे समय के भी जल्द गुजर जाने की काव्यमयी प्रस्तुति दी। केशव कुमार साहू ने धर्मयुद्ध रचना प्रस्तुत की।

निर्णायकों में डॉ. विनिता सिंह, डॉ. मुदालशा रविना और डॉ. सुनील राय थे। इस अवसर पर प्रो. अनिल गोयल, कुलसचिव डॉ. अतुल जिंदल, मधुरागी श्रीवास्तव, सैयद शादाब, उमेश पांडेय सहित बड़ी संख्या में चिकित्सकों, कर्मचारियों और छात्रों ने भाग लिया।

******

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here