शासन प्रशासन शिक्षा को लेकर बड़ी-बड़ी दावे और स्लोगन देते रहते हैं ” पढ़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया ” यह सिर्फ कहने सुनने और दीवारों में लिखने मात्रा वाली स्लोगन बनके रह गई है जमीनी हकीकत इसकी विपरीत नजर आती है ।
ताजा मामला शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था नरहरपुर की है जहां पर आज भी मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं है । यह नाम मात्र की आईटीआई बनकर रह गई है जिसमें बच्चों को किसी भी तरह के प्रशिक्षण के लिए इक्विमेंट नहीं है जिससे कि बच्चो में स्लिक डेवलपमेंट हो सके और स्वरोजगार कर सके । पर प्रशासन के उदासीनता और प्राचार्य के लापरवाही से बच्चों को कोई भी प्रेक्टिकल के सामग्री उपलब्ध नहीं कराई जा रही है ।
वर्ष 2014 -2015 में नरहरपुर में आईटीआई कॉलेज खोला गया था इसके बाद से आज तक इस कॉलेज से 6 से 7 बैंच के स्टूडेंट निकल चुके हैं पर स्थाई प्रशासन की लापरवाही से यहां बच्चों को प्रैक्टिकल की कोई भी सामग्री उपलब्ध नहीं कराई गई है ऐसे में कई सवाल खड़ा होता हैं कि यह बच्चे कैसे अपनी स्किल डेवलप करें और स्वरोजगार की ओर आगे बढ़े आईटीआई एक ऐसी शिक्षा पद्धति है जिसमें छात्र बिना प्रायोगिक के किसी भी विषय की अध्ययन नहीं कर सकते है ।
वर्तमान में नरहरपुर आईटीआई में 5 विषय संचालित जिसमें कोपा , वेल्डर, डीजल मैकनिक ,फिटर 1 फिटर 2 , इलेक्ट्रीशियन 1इलेक्ट्रीशियन 2 जैसे विषय अध्ययन कराई जा रही है । नरहरपुर आईटीआई में लगभग 110 छात्र छात्राएं अध्ययनरत है ।
प्राचार्य की मनमानी
प्राचार्य हरिश्चंद्र मनोहर की मनमानी और निरंकुशता से छात्र काफी नाराज लग रहे हैं । छात्रों ने अपनी समस्याओं को लेकर प्राचार्य को कई बार अवगत कराया इसके बाद भी छात्रों को कोई सुविधा प्रदान नही की गई । छात्रों ने कहा कि प्राचार्य कभी भी समय पर कॉलेज नहीं आता है और ना ही छात्रों के हर जानने की कोशिश करता है नीचे न सिर्फ बच्चों के पढ़ाई पर प्रभाव पड़ रही है बल्कि उनके भविष्य भी अधर में है ।
दूर दूर से पढ़ने आते है स्टुडेंट
आईटीआई नरहरपुर में दूर दूर से छात्र-छात्राएं पढ़ने आते हैं पर कॉलेज में किसी भी तरह की कोई सुविधा न होने से छात्रों की पढ़ाई बहुत प्रभावित हो रही है ।