Home Blog EVM पर सवाल,’आशंकाओं को लेकर उठ रहा ईवीएम में छेड़छाड़ कर पाना...

EVM पर सवाल,’आशंकाओं को लेकर उठ रहा ईवीएम में छेड़छाड़ कर पाना संभव नहीं, EVM-VVPAT सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट

0

Question on EVM, apprehensions are being raised that it is not possible to tamper with EVM, Supreme Court during EVM-VVPAT hearing

सुप्रीम कोर्ट में EVM-VVPAT मामले में सुनवाई (Supreme Court On EVM-VVPAT) चल रही है. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि प्रोग्राम मेमोरी में कोई छेड़छाड़ हो सकती है. इस पर चुनाव आयोग ने कहा कि इसे बदला नहीं जा सकता, यह एक फर्मवेयर है, जो सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के बीच का है. इसे बिल्कुल भी नहीं बदला जा सकता. पहले रेंडम तरीके से ईवीएम का चुनाव करने के बाद मशीनें विधानसभा के स्ट्रांग रूम में जाती हैं और राजनीतिक दलों की मौजूदगी में लॉक किया जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जब आप ईवीएम को जब भेजते हैं तो क्या उम्मीदवारों को टेस्ट चेक करने की अनुमति होती है. इस पर चुनाव आयोग ने बताया कि मशीनों को स्ट्रांग रूम में रखने से पहले मॉक पोल आयोजित किया जाता है. उम्मीदवारों को रैंडम मशीनें लेने और जांच करने के लिए पोल करने की अनुमति होती है.

RO NO - 12784/140

याचिकाकर्ताओं की तरफ़ से वकील निजाम पाशा ने दलील देते हुए कहा कि यह व्यवस्था होनी चाहिए कि वोटर अपना VVPAT स्लिप बैलट बॉक्स में ख़ुद डाले. वहीं जस्टिस खन्ना ने इस पर सवाल किया कि इससे क्या वोटर के निजता का अधिकार प्रभावित नहीं होगा. इस पर वकील निजाम पाशा ने दलील दी कि वोटर की निजता से अधिक जरूरी है उसका मत देने का अधिकार! इस पर संजय हेगड़े की तरफ से कहा गया कि सभी पर्चियों के मिलान की सूरत में EC की तरफ़ से 12-13 दिन लगने की जो बात कहीं जा रही है, वो दलील ग़लत है.

वीवीपैट मशीन में पारदर्शिता की उठी मांग

सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि कम से कम यह आदेश दिया जाए कि वीवीपैट मशीन पारदर्शी हो और उसमें बल्ब लगातार जलता रहे, ताकि वोटर को पूरी तरह पुष्टि हो सके. वकील संजय हेगड़े ने कहा कि सभी वीवीपैट पर्चियों को गिनने पर विचार हो. अगर अभी यह नहीं हो सकता, तो कोर्ट अभी हो रहे चुनाव की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए कुछ अंतरिम आदेश दे. बाकी मुद्दों पर बाद में सुनवाई हो.
इस दौरान एक वकील ने कहा कि ईवीएम बनाने वाली कंपनियों के इंजीनियर उसे नियंत्रित कर सकते हैं. कोर्ट ने इसे व्यर्थ की दलील कहा. जजों ने चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह से कहा कि या तो वह खुद या कोई अधिकारी वीवीपैट से जुड़ी प्रक्रिया पर कोर्ट को जानकारी दें. इस पर मनिंदर सिंह ने कहा कि कोर्ट के सवालों का जवाब दिया जाएगा, लेकिन वह विनम्रता पूर्वक कहना चाहते हैं कि सभी याचिकाएं सिर्फ आशंकाओं पर आधारित हैं. उन्होंने बताया कि VVPAT सिर्फ एक प्रिंटर है.

चुनाव आयोग ने बताया कैसे काम करता है वीवीपैट?

चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने जजों को संबोधित करते हुए बताया कि बटन यूनिट में सिर्फ यह जानकारी होती है कि कितने नंबर का बटन दबाया गया. यही जानकारी कंट्रोल यूनिट को जाती है. कंट्रोल यूनिट से वीवीपैट को प्रिंटिंग का कमांड जाता है. इस पर जज ने पूछा तो फिर वीवीपैट को कैसे पता चलता है कि किस सिंबल को प्रकाशित करना है?
अधिकारी ने बताया कि एक बहुत छोटा सिंबल लोडिंग यूनिट होता है, जो टीवी रिमोट के आकार का होता है. उसे बाहर से नियंत्रित नहीं किया जा सकता क्योंकि वह इंटरनेट या किसी बाहरी नेटवर्क से नहीं जुड़ सकता. यह यूनिट कंट्रोल यूनिट से मिले कमांड को प्रोसेस कर वीवीपैट को जानकारी देता है.

प्रत्याशियों की मौजूदगी में अपलोड होता है सिंबल और सीरियल नंबर: चुनाव आयोग
सुनवाई के दौरान जज ने पूछा कि क्या-क्या जानकारी इस यूनिट में होती है? इसे कब अपलोड किया जाता है? इसके जवाब में अधिकारी ने बताया कि इसमें सीरियल नम्बर, सिंबल और नाम होता है. इसे मतदान से 1 सप्ताह पहले प्रत्याशियों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में अपलोड किया जाता है. इसके बाद इसे नहीं बदला जा सकता. उन्होंने आगे बताया कि प्रतिनिधियों को इस बात की पुष्टि करवाई जाती है कि जो बटन दबा, उसी की पर्ची वीवीपैट से निकली.

ईवीएम में छेड़छाड़ कर पाना संभव नहीं: चुनाव आयोग

वीवीपैट मामले पर सुनवाई कर रहे जज ने चुनाव आयोग अधिकारी से पूछा कि आपके पास कितने VVPAT हैं? अधिकारी ने बताया कि हमारे पास 17 लाख वीवीपैट हैं. इस पर जज ने सवाल किया कि ईवीएम और वीवीपैट की संख्या अलग क्यों है? वहीं, अधिकारी ने यह समझाना चाहा, लेकिन जज को ही लगा कि उनका सवाल चर्चा को भटका रहा है. इसलिए उन्होंने अधिकारी को जवाब देने से मना कर दिया.

अदालत ने अधिकारी से बारीक से सवाल किया कि मशीन को अलग-अलग मौके पर हैंडल करने वाले लोगों को उसके आंकड़े को लेकर क्या जानकारी होती है. अधिकारी ने हर बात का संतोषजनक उत्तर दिया. उन्होंने बताया कि आंकड़े के बारे में जान पाना या उसमें छेड़छाड़ कर पाना संभव नहीं है. अधिकारी ने यह भी बताया कि मॉक पोल में प्रत्याशी अपनी इच्छा से किसी भी मशीन को जांच सकते हैं.

मॉक पोल से गुजरती हैं 100 फीसदी मशीनें

चुनाव आयोग के अधिकारी ने बताया कि 100 प्रतिशत मशीन मॉक पोल से गुजरती है. हालांकि, प्रत्याशी 5 प्रतिशत की ही खुद जांच करते है. इस पर अदालत ने सवाल किया कि एक मिनट में कितने वोट पड़ते हैं. इसके जवाब में अधिकारी ने कहा कि 4 से कम वोट पड़ते हैं. सुनवाई के दौरान जज ने पूछा मतदान से पहले किए गए दस्तखत और मतदान की वास्तविक संख्या में कितना अंतर पाया जाता है. अधिकारी ने बताया कि ऐसा अंतर नहीं होता. इस आशंका से बचने के लिए ही वोटर को वीवीपैट देखने की सुविधा दी गई थी.

“7 सेकंड तक जलती है VVPAT लाइट”

प्रशांत भूषण ने केरल के लिए अखबार में छपी खबर का हवाला देते हुए कहा कि बीजेपी के पक्ष में EVM में मॉक के समय एक अतिरिक्त वोट पड़ रहा था. इस पर अदालत ने चुनाव आयोग से इसे वेरीफाई करने को कहा. ADR के वकील. प्रशांत भूषण ने कहा कि वीवीपैट मशीन में लाइट 7 सेकंड तक जलती है, अगर वह लाइट हमेशा जलती रहे तो पूरा फंक्शन मतदाता देख सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने मांगी EVM-VVPAT के फंक्शन पर जानकारी

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से EVM-VVPAT के फंक्शन पर जानकारी मांगी. साथ ही संसदीय स्टैंडिंग कमेटी रिपोर्ट पर भी सफाई मांगी. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह से पूछा कि EVM के साथ छेड़छाड़ न हो सके, ये सुनिश्चित करने के लिए आपकी ओर से क्या प्रकिया अपनाई जा रही है. याचिकाकर्ताओं की तरफ से पार्लियामेंटरी स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट का भी हवाला दिया गया है, उस पर आप अपना रुख साफ करिए. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव प्रकिया की अपनी गरिमा होती है, किसी को ये आशंका नहीं रहनी चाहिए कि इसके लिए जो जरुरी कदम उठाए जाने थे, वो नहीं उठाए गए.

अदालत में चुनाव आयोग के अधिकारी की दलील

चुनाव आयोग के अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट में EVM से संबंधित जानकारी देते हुए कोर्ट को बताया कि ईवीएम प्रणाली में तीन यूनिट होते हैं, बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और तीसरा वीवीपीएटी.बैलेट यूनिट सिंबल को दबाने के लिए है, कंट्रोल यूनिट डेटा संग्रहीत करता है और वीवीपीएटी सत्यापन के लिए है. चुनाव आयोग के अधिकारी ने बताया कि कंट्रोल यूनिट VVPAT को प्रिंट करने का आदेश देती है. यह मतदाता को सात सेकंड तक दिखाई देता है और फिर यह वीवीपीएटी के सीलबंद बॉक्स में गिर जाता है. प्रत्येक कंट्रोल यूनिट में 4 MB की मेमोरी होती है. मतदान से 4 दिन पहले कमीशनिंग प्रक्रिया होती है और सभी उम्मीदवारों की मौजूदगी में प्रक्रिया की जांच की जाती है और वहां इंजीनियर भी मौजूद होते हैं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here